Tag: उत्तराखण्ड में जल-प्रबन्धन

‘नौला फाउंडेशन’ : लुप्त होते जलस्रोतों को पुनर्जीवित करने का अभियान

‘नौला फाउंडेशन’ : लुप्त होते जलस्रोतों को पुनर्जीवित करने का अभियान

जल-विज्ञान
भारत की जल संस्कृति-37 डॉ. मोहन चंद तिवारी उत्तराखण्ड में जल-प्रबन्धन-8 लेखमाला के बारे में किंचित्वक्तव्य ('हिमांतर' ई पत्रिका में प्रकाशित 'भारत की जल संस्कृति' के धारावाहिक लेख माला का यह 37 वां और 'उत्तराखंड जल प्रबंधन' का 8वां लेख है. मेरे छात्रों, सहयोगी अध्यापकों और अनेक मित्रों का परामर्श है कि ये जल विज्ञान से सम्बंधित सभी लेख पुस्तकाकार के रूप में प्रकाशित हों. पिछले दस वर्षों में एक शोधकर्त्ता और जल संकट की विभिन्न समस्याओं के प्रति गम्भीरता और संवेदनशीलता की भावना से लिखे गए इन because लेखों में यथा सामर्थ्य जल संस्कृति के ज्ञान-विज्ञान और उसके परम्परागत इतिहास को समेटने का यथा सामर्थ्य प्रयास  किया गया है. मेरे छात्रवर्ग, सहयोगी अध्यापकगण और विद्धान् मित्रों द्वारा समय समय पर इन लेखों का जो संज्ञान लिया गया और अपने महत्त्वपूर्ण विचार प्रकट किए गए, उन सब के प्रति मैं ...
जल आंदोलन के प्रणेता सच्चिदानन्द भारती: आधुनिक वराहमिहिर

जल आंदोलन के प्रणेता सच्चिदानन्द भारती: आधुनिक वराहमिहिर

जल-विज्ञान
भारत की जल संस्कृति-36 डॉ. मोहन चंद तिवारी उत्तराखण्ड में जल-प्रबन्धन-7 (12मार्च,2014 को because ‘उत्तराखंड संस्कृत अकादमी’, हरिद्वार द्वारा ‘आई आई टी’ रुड़की में आयोजित विज्ञान से जुड़े छात्रों व जलविज्ञान के अनुसंधानकर्ता विद्वानों के समक्ष मेरे द्वारा दिए गए वक्तव्य ‘प्राचीन भारत में जलविज्ञान‚जलसंरक्षण और जलप्रबंधन’ से सम्बद्ध ‘भारतीय जलविज्ञान’ पर संशोधित लेख का सार) वाटर हारवैस्टिंग वृक्षों, वनस्पतियों द्वारा भूमिगत जल because नाड़ियों को सक्रिय करते हुए केवल तीन दशकों में ही सात सौ हेक्टेयर हिमालय भूमि पर जंगल उगाने और तीस हजार तालाब पुनर्जीवित करने वाले 'पाणी राखो' आंदोलन के प्रणेता उत्तराखण्ड के सच्चिदानन्द भारती को यदि आधुनिक वराहमिहिर की संज्ञा दी जाए तो अत्युक्ति नहीं होगी. वाटर हारवैस्टिंग उत्तराखण्ड के दूधातोली क्षेत्र में सच्चिदानन्द भारती ने प्राचीन जलवैज्ञान...
उत्तराखंड के ऐतिहासिक नौले : जल संस्कृति की अमूल्य धरोहर

उत्तराखंड के ऐतिहासिक नौले : जल संस्कृति की अमूल्य धरोहर

जल-विज्ञान
भारत की जल संस्कृति-34 डॉ. मोहन चंद तिवारी उत्तराखण्ड में जल-प्रबन्धन-5 उत्तराखंड की जल समस्या because को लेकर मैंने पिछली अपनी पोस्टों में परम्परागत जलप्रबंधन और वाटर हार्वेस्टिंग से जुड़े गुल,नौलों और धारों पर जल विज्ञान की दृष्टिसे प्रकाश डाला है. इस लेख में  परम्परागत ऐतिहासिक नौलों और उनसे उभरती जलसंस्कृति के बारे में कुछ जानकारी देना चाहूंगा. वाटर हारवैस्टिंग कुमाऊं,गढ़वाल के अलावा हिमाचल प्रदेश और नेपाल में भी जल आपूर्ति के परंपरागत प्रमुख साधन नौले ही रहे हैं. ये नौले हिमालयवासियों की समृद्ध-प्रबंध परंपरा और लोकसंस्कृति के प्रतीक हैं. कौन नहीं जानता है कि अल्मोड़ा नगर,जिसे चंद राजाओं ने 1563 में राजधानी के रूप में बसाया था,वहां परंपरागत जल प्रबंधन के मुख्य because वहां के 360 नौले ही थे. इन नौलों में चम्पानौला, घासनौला, मल्ला नौला, कपीना नौला, सुनारी नौला, उमापति का न...