ये तो पापा की परी है…

0
768

विश्व बेटी दिवस पर विशेष

  • डॉ. दीपा चौहान राणा

यूँ  तो बेटी हर किसी कीbecauseलाडली होती है, पर क्या आप जानते हैं कि एक बेटी अपने पिता की जान होती है. आज बेटियों के लिए बेहद खास दिन है, क्योंकि आज डॉटर्स-डे यानी विश्‍व बेटी दिवस है. दुनिया भर में यह दिन अलग-अलग महीनों में मनाया जाता है, लेकिन भारत में यह दिन सितंबर के आखिरी रविवार को मनाया जाता है.

सप्तेश्वर

बेटियां आज भले ही किसी भी so क्षेत्र में पीछे नहीं हैं. हर क्षेत्र में हैं वो तरक्की कर रही हैं, लेकिन आज भी समाज में कई जगह उन्हें कमतर आंका जाता है. इसे देखते हुए कुछ देश की सरकार ने मिलकर समानता को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया. जिससे लोग जागरूक हो और इस बात को समझे कि हर इंसान बराबर है.

सप्तेश्वर

    सप्तेश्वर

  • यूं तो बेटी हर किसी की butलाडली होती है, पर क्या आप जानते हैं कि बेटी और पिता के बीच खास बॉन्डिंग क्यों होती है, क्योंकि वो पापा की लाडली होती है.
  • जब कोई पुरुष becauseबेटी का पिता बनता है तो उसकी जिंदगी में कई अहम बदलाव होते हैं. जैसे वो पहले से कहीं ज्यादा इमोशनल हो जाता है. इसके अलावा कहीं ज्यादा केयरिंग और पेशेंस उसमें आता है.

  • किसी भी बेटी को butजो सुकून और प्यार, पिता के पास रहकर महसूस होता है वो किसी और के प्यार से नहीं मिलता. वही उसकी जिंदगी के पहले हीरो होते हैं.
  • पापा बेटी की पढ़ाई से because लेकर उसके हर सपने, करियर को पूरा करना चाहते हैं. खुले आसमान में उड़ने के पंख पिता के प्रोत्साहन से ही मिलते हैं.
  • सप्तेश्वर

  • बेटी हमेशा यही समझती है soकि उसके हर सपने को पापा पूरा कर सकते हैं. उसकी हर उलझन को सुलझा सकते हैं. ऐसे ही पिता भी अपनी बेटी की हर ख्वाहिश को पूरा करने की कोशिश करते हैं.
  • लाइफ का कोई पड़ाव हो, becauseपिता कभी अपनी बेटी का साथ नहीं छोड़ते. कैसी भी परिस्थतियां हों, पिता का लाड-प्यार बेटी को संभाले रखता है.

सप्तेश्वर

भारत में डॉटर्स-डे को मनाने के लिए रविवार का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि संडे के दिन हम सभी लोगों की काम से छुट्टी होती है, जिससे कि इस दिन माता पिता अपनी बेटियों के साथ soअच्छे से टाइम स्पेंड कर पाएं और इस दिन को खास बनाएं.

वक्त के साथ धीरे-धीरे लोगों की मानसिकताbecause में बदलाव आ रहा है. लोगों के बीच धीरे-धीरे डॉटर्स डे मनाने का ट्रेंड बढ़ रहा है. आज लोग बेटी के होने पर सेलिब्रेट करने लगे हैं. तो आप क्या सोच रहे हैं आप भी अब आज का दिन अपनी प्यारी लाड़ली बेटी के becauseसाथ सेलिब्रेट करें और उन्हें इस बात का एहसास कराएं कि आपके लिए वह कितनी है .

सप्तेश्वर

बेटियां

सहते हुए जो अपने soदुख छुपा लें उन्हें कहते हैं बेटियां
क्या लिखू  butवह परियों का रुप होती हैं,
या गम में becauseखुशी होती है,
खुशी में हम becauseराज होती हैं,
या कड़कती becauseसर्दी में सुनहरी धूप होती हैं,
ओस की बूंद-सी becauseहोती है बेटियां,
स्पर्श खुरदुरा हो तो becauseरोती हैं बेटियां
चीख  कर जिद पूरी becauseकरते हैं बेटे
गुजारा कर लेती है टूटे becauseसपनों को जोड़कर बेटियां
रोशन करेगा एक ही becauseकुल को बेटा
दो दो कुलों की लाज becauseहोती है बेटियां
चिड़ियों की तरह becauseचहचहाती रहती हैं,
एक दिन उड़ कर becauseचली जाती हैं बेटियां
हीरा अगर बेटा है तो becauseसूच्चा मोती होती है बेटियां
दूसरों का हमदर्द होती becauseहैं बेटियां
कांटो की राह में खुद हीbecause चलती रहेंगी,
दूसरों के लिए फुल बोतीbecause हैं बेटियां
कोख में अगर बच जाएं तो becauseपंखे से लटकती  हैं बेटियां
विधि का विधान है यही इस दुनिया की रस्म becauseमुट्ठी भर नीर होती हैं बेटियां

(लेखिका राणा क्योर होम्योपैथिक क्लिनिक, सुभाष रोड, नियर सचिवालय, देहरादून की ऑर्नर हैं. आप इनसे 7982576595 चीकित्‍सकीय सलाह ले सकते हैं)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here