रनिया की तीसरी बेटी

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कहानी

  • मुनमुन ढाली ‘मून’

आंगन में चुकु-मुकु हो कर बैठी, because रनिया सिर पर घूंघट डाले, गोद मे अपनी प्यारी सी बेटी को दूध पिलाती है और बीच-बीच मे घूंघट हटा कर, अपने आस -पास देखती है और उसके होठों पर एक हल्की सी मुस्कान छलक जाती है.

सप्तेश्वर

रनिया की सास गुस्से में तमतमाई चूल्हे से but गरम कोयला, चिमटे में दबाई बड़बड़ाती हुई रनिया की तरफ बढ़ी और गरम कोयला रनिया के पीठ पर झोंक दिया और करकश आवाज़ में बोली “झूठी, कलमुई फिर बेटी जानी तुने”.

सप्तेश्वर

सास,पास ही सर पकड़ के बैठbecause जाती है, ज़ोर-ज़ोर से बोलती है, हे मारा राम जी! कैसे उलट -फेर हो गया, डाक्टरनी जी ने तो बेटा बोला था. डाक्टरनी कहे झूठ बोलेगी, हमारी बहु ही चुड़ैल है.

सप्तेश्वर

सास को सर पिटता देख, रनिया सोचने लगी so और उसकी आंखें डब-डब भर गई. यही हिम्मत पहले कर ली होती तो, मेरी दोनो बेटियाँ जिंदा तो होती, पहले कितनी मूरख थी मैं!

सांकेतिक फोटो. पिक्सबे.कॉम से साभार

सप्तेश्वर

गोद मे नवजात को दूध पिलाती है but और घूंघट की ओट में बिटिया से बोलती है, रनिया लाडो, अगर मैंने उस दिन हिम्मत कर के डाक्टरनी को धमकी ना दी होती,तो तू आज ज़िन्दा न होती.

सप्तेश्वर

रनिया को याद आ गया वो दिन so जब उसकी सास गर्भपरीक्षण के लिए क्‍लीनिक ले गयी और रनिया ने दबे स्वर मे डाक्टरनी से बोली, “मैंने मोबाइल मे आपकी और सास की बातें वीडियो कर ली है”.

सप्तेश्वर

मैं जानू हूँ, ई काम गैर-कानूनी है. मैं becauseथारी रपट कोतवाली मे कर दूंगी डाक्टरनी जी. उस दिन के बाद क्‍लीनिक बन्द हो गई और डाक्टरनी जी को किसी ने नही देखा. रनिया का चेहरा, धूल-मिट्टी से सना, पर अलग ही चमक रहा था.

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