मृगया की शौकीन गुजरी रानी “मृगनयनी”

0
1421

मंजू दिल से… भाग-6

  • मंजू काला

यदि आप ग्वालियर जाऐगा because तो ग्वालियर दुर्ग के भूतल भाग में  स्थित गुजरी महल को जरूर देखिएगा! तोमर वंश के यशस्वी राजा मानसिंह तोमर गुर्जर ने अपनी प्रियतमा गूजरी रानी मृगनयनी के लिये सन् 1486-1516 ई. में यह महल बनवाया था.

गूजरी महल 71 मीटर लम्बा because एवं 60 मीटर चैड़ा आयताकार भवन है, जिसके आन्तरिक भाग में एक विशाल आंगन है. गूजरी महल का बाहरी रूप आज भी प्रायः पूरी तरह से सुरक्षित है. महल के प्रस्तर खण्डों पर खोदकर बनाई गई कलातम्क आकृतियों में हाथी, मयूर, झरोखे आदि एवं बाह्य भाग में गुम्बदाकार छत्रियों की अपनी ही विशेषता है तथा मुख्य द्वार पर निर्माण संबंधी फारसी शिलालेख लगा हुआ है!

प्यारे

पढ़ें— बज उठेंगी हरे कांच की चूडियाँ…!

सम्पूर्ण महल को रंगीन because टाइलों से अलंकृत किया गया..है! कहीं-कहीं प्रस्तर पर बड़ी कलात्मक नयनाभिराम पच्चीकारी भी देखने को मिलेगी आपको!  इस महल के भीतरी भाग में पुरातात्विक संग्रहालय की स्थापना सन 1920 में एम.वी.गर्दे द्वारा कराई गई थी because जिसे सन् 1922 में दर्शकों के लिये खोला गया था. संग्रहालय के 28 कक्षों में मध्य प्रदेश की ईसापूर्व दूसरी शती ई. से 17वीं शती ई. तक की विभिन्न कलाकृतियों और पुरातात्विक धरोहरों का प्रदर्शन किया गया है!

प्यारे

गुजरी महल स्थित संग्रहालय मध्यप्रदेश का becauseसबसे पुराना संग्रहालय है, जिसमें मध्यप्रदेश के पुरातत्व इतिहास से संबंधित महत्वपूर्ण शिलालेख भी रखे गए हैं और विदिशा के बेसनगर, पवाया से प्राप्त महत्वपूर्ण पाषाण प्रतिमाएं रखी हुई हैं. इसके अतिरिक्त संग्रहालय में सग्रहीत पूरा सामग्री में पाषाण प्रतिमाएं, कांस्य प्रतिमाएं, लघुचित्र, मृणमयी मूर्तियां, सिक्के तथा अस्त्र-शस्त्र प्रदर्शित है. इनमें विशेष रूप से दर्शनीय ग्यारसपुर की शालभंजिका की मूर्ति है!

प्यारे

गूजरी रानी   का….गाँव ‘मैहर राई’, because ग्वालियर से 25 किमी मील दूर था. शर्त के अनुसार राजा मानसिंह ने मृगनयनी के गाँव से से नहर द्वारा पीने का पानी लाने की व्यवस्था की  थी! अब सवाल ये है कि ये गुजरी रानी आखिर थी कौन? और मृगनयनी क्यों कहते थे उसको? तो बूझिये!

निम्‍मी और लाखी के सौन्दर्य because और लक्ष्‍यवेध की चर्चा मालवा की राजधानी माण्‍डू, मेवाड़ की राजधानी चित्तौड़ और गुजरात की राजधानी अहमदाबाद तक भी पहुची. उस समय दिल्‍ली के तख्‍त पर गयासुद्दीन खिलजी बैठ चुका था. माण्‍डू के बादशाह बर्बरा और गयासुद्दीन ने निम्‍मी और लाखी को प्राप्‍त करने की योजनाएँ बनाई

नहीं बूझ पाये तो सुनिए..!

प्यारे

कहते हैं कि ग्‍वालियरbecause के दक्षिण-पश्चिम में राई नामक ग्राम था! और उस ग्राम मे निन्नी और उसका भाई अटल रहते थे. निन्नी अपने भाई और अपनी सहेली  लाखी के साथ..सारा दिन जंगलों में घूमकर तितलियाँ  पकडती, और आखेट करती थी, और शेर का भी..!  so निम्‍मी और लाखी के सौन्दर्य और लक्ष्‍यवेध की चर्चा मालवा की राजधानी माण्‍डू, मेवाड़ की राजधानी चित्तौड़ और गुजरात की राजधानी अहमदाबाद तक भी पहुची. उस समय दिल्‍ली के तख्‍त पर गयासुद्दीन खिलजी बैठ चुका था. माण्‍डू के but बादशाह बर्बरा और गयासुद्दीन ने निम्‍मी और लाखी को प्राप्‍त करने की योजनाएँ बनाई. राई गाँव के पुजारी ने उसके सौन्दर्य और लक्ष्‍यवेध की प्रशंसा ग्‍वालियर के राजा मानसिंह के समक्ष भी की!

प्यारे

लाखी की माँ मर गई थी, इसलिए लाखी निम्‍मी और अटल के पास रहने लगी. गयासुद्दीन खिलजी ने, नटो के सरदार को निम्‍मी because और लाखी को लाने के लिए, योजना तैयार की. नटों और नटनियों ने निम्‍मी और लाखी को फुसलाना प्रारम्‍भ किया.

प्यारे

एक दिन  बात है..भोर का समय था… because राजा मानसिंह शिकार खेलने राई गाँव पहुँचे. निम्‍मी के नयन सौंदर्य  , और शिकार मे लक्ष्‍यवेध से मुग्‍ध होकर  वे उसे विवाह करके… ग्‍वालियर ले गये.

प्यारे

अटल गूजर था…और लाखी अहीर. गाववालों ने अटल और लाखी के विवाह का विरोध किया. पुजारी ने उनका विवाह नही कराया. वे नटों के दल के साथ नरवर के किले की तरफ आ गये. लाखी को नटों के षडयंत्र का पता लग गया, इसलिए उसने उनके षडयन्त्र को विफल कर उन्‍हे समाप्‍त कर दिया. महाराजा मानसिंह अटल और लाखी को ले गए और ग्‍वालियर मे उनका विवाह हुआ .

प्यारे

निन्नी…विवाह के पश्‍चात because ‘मृगनयनी’ के नाम से प्रसिद्ध हुई. मृगनयनी से..पहले राजा के आठ पत्नियाँ थीं जिनमे सुमनमोहिनी सबसे बड़ी थी. सुमनमोहिनी के सौतिया डाह की झेलते हुएहुए…मृगनयनी राजा को कर्तव्‍यपथ की ओर अग्रसर होने के लिए प्रेरणा देती रही. so मृगनयनी ने…चित्रकला और संगीतकला का अध्‍ययन प्रारम्‍भ किया….but और मानसिंह ने भी चित्रकला, संगीतकला, मूर्तिकला और भवन निर्माणकला के विकास मे हाथ बढाया.  जब..नरवर के किले पर सिकन्‍दर लोदी का आक्रमण हुआ…तब मृगनयनी ने कला के साथ कर्तव्य की प्रेरणा भी राजा को दी.. थी.. ऐसा वहाँ के लोकगीत.. भी  कहते हैं!

प्यारे

राजा मानसिंह से विवाह के लिए मृगनयनी ने यह शर्त रखी थी कि विवाह के पश्चात भी वह अपने गांव राई का ही पानी पियेगी. उसने कहा था कि अगर राजा मानसिंह यह शर्त मानने को तैयार है, तो तभी वह उनसे विवाह करेंगी! और दूसरी शर्त थी कि वह युद्ध क्षेत्र में हमेशा उनके साथ ही रहेगी.

प्यारे

आजकल  ग्वालियर but के राजा मानसिंह की ..रानी मृगनयनी के गांव राई से..ग्वालियर किले तक की..पाइपलाइन..आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. यहां के नलकेश्वर में ..अब एमपी टूरिज्म व वन विभाग विशेष पैकेज के तहत टूरिस्ट को सैर करा रहे !

प्यारे

पढ़ें— केले के पत्‍तों पर भोजन करना स्‍वास्‍थ्‍य के लिए लाभदायक!

बताया जाता है because कि राजा मानसिंह से विवाह के लिए मृगनयनी ने यह शर्त रखी थी कि विवाह के पश्चात भी वह अपने गांव राई का ही पानी पियेगी. उसने कहा था कि अगर राजा मानसिंह यह शर्त मानने को तैयार है, तो तभी वह उनसे विवाह करेंगी! so और दूसरी शर्त थी कि वह युद्ध क्षेत्र में हमेशा उनके साथ ही रहेगी. बाद में राजा मानसिंह ने  ग्वालन निन्नी को उसके विशाल और हिरनी जैसे नेत्रों के कारण नाम दिया-

मृगनयनी..!

प्यारे

(मंजू काला मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल से ताल्लुक रखती हैं. इनका बचपन प्रकृति के आंगन में गुजरा. पिता और पति दोनों महकमा-ए-जंगलात से जुड़े होने के कारण,because पेड़—पौधों, पशु—पक्षियों में आपकी गहन रूची है. आप हिंदी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लेखन करती हैं. आप ओडिसी की नृतयांगना होने के साथ रेडियो-टेलीविजन की वार्ताकार भी हैं. लोकगंगा पत्रिका की संयुक्त संपादक होने के साथ—साथ आप फूड ब्लागर, बर्ड लोरर, टी-टेलर, बच्चों की स्टोरी टेलर, ट्रेकर भी हैं. नेचर फोटोग्राफी में आपकी खासी दिलचस्‍पी और उस दायित्व को बखूबी निभा रही हैं. आपका लेखन मुख्‍यत: भारत की संस्कृति, कला, खान-पान, लोकगाथाओं, रिति-रिवाजों पर केंद्रित है.)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here