ऑपरेशन सिलक्यारा : 22 मीटर पर पहुंचा उम्मीदों का पाइप, आखिर कब तक कैद में रहेंगी 40 जिंदगियां…?

  • सिलक्यारा-बड़कोट टनल में कैद 40 जिंदगियों की सांसों पर ‘खतरे’ का पहरा जारी।

  • अब तक 22 मीटर तक के गयी ड्रिलिंग।

  • प्रदीप रावत ‘रवांल्टा’

उत्तरकाशी: सिलक्यारा-बड़कोट टनल में कैद 40 जिंदगियों की सांसों पर ‘खतरे’ का पहरा जारी है। ये पहरा कब हटेगा? मजदूरों को बाहर कब निकाला जाएगा? कब तक ऐसे ही वो भीतर इंतजार करते रहेंगे? ये सवाल हर कोई पूछ रहा है। अब टनल के भीतर कैद मजदूरों का हौसला भी जवाब देने लगा है। आखिर कब तक ऐसे ही वो खतरे की आगोश में टनल के भीतर कैद रहेंगे? मदूरों ने भी यही सवाल भीतर से किया है?

मजदूरों के सवालों के आगे सब मौन

लेकिन, टनल के भीतर फंसे मजदूरों के सवालों के आगे सब मौन हैं। किसी के भी पास उनके किसी सवाल का जवाब नहीं है। रेस्क्यू में अब तक SDFR, NDRF, RVNL, THDC, L & T, आपदा प्रबंधन विभाग, सेना की टीमों समेत भू-वैज्ञानिकों तक की टीम रेस्क्यू में जुटी हैं। इसमें सफलता कब मिलेगी, इसका पुख्ता और भरोसे वाला जवाबा भी किसी के पास नहीं है। हर कोई एक ही जवाब देता नजर आ रहा है कि प्रयास कर रहे हैं।

रेस्क्यू ऑपरेशन को 6 दिन

रेस्क्यू ऑपरेशन को 6 दिन हो चुके हैं। और कितने दिन लग सकते हैं, इसका भी किसी के पास कोई जवाब नहीं है। अब तक करीब 22 मीटर तक ऑगर मशीन ड्रिल कर चुकी है। उम्मीदों के पाइप की रफ्तार बहुत कम है। बीच-बीच में बाधाएं भी आकर खड़ी हो रही हैं। इन बाधाओं से पार पाते हुए ही इस उम्मीदों के पाइप को भीतर पहुंचना है और वहां पिछले 6 दिनों से टनल के भीतर कैद 40 जिंदगियों को बाहर निकालना है। सवाल फिर से वहीं आकर ठहर जाता है कि आखिर कब तक?

10 से 12 और पाइपों को अंदर डाला जाना है

जिन पाइपों को हम उम्मीदों का पाइप कह रहे हैं, उनकी बात करें तो अब तक ऑगर मशीन तीन पूरे पाइपों को भीतर की ओर पुश कर चुकी है। जबकि, एक पाइप आधा ही भीतर जा पाया है। कुल मिलाकर 21-22 मीटर ही ड्रिलिंग हो पाई है। ऐसे ही करीब 10 से 12 और पाइपों को अंदर डाला जाना है, लेकिन ये काम कब तक पूरा होगा कुछ कह पाना फिलहाल मुश्किल है।

बाबा बौखनाग की चेतावनी
दुवाओं का दौर चल रहा है। इस बीच आस्था से जुड़ा मसला भी सामने आया है। जिल पहाड़ के नीचे सुरंग बनाई जा रही है। उसके टॉप पर राड़ी डांडा में बाबा बौखनाग का स्थान है। मान्यता है कि यह पूरा पहाड़ ही बौख नाग का निवास स्थान है। सुरंग निर्माण से पहले ही देवता ने कहा था कि सुरंग नहीं बन पाएगी। कजा जा रहा है कि देवता ने बाकायदा परिणाम भुगतने तक ती चेतावनी दी थी।

वैज्ञानिक भले ही इस बात को ना मानें, लेकिन इससे जुड़ी कहानियां और मान्यताओं पर जरा भी ध्यान दिया जाए तो देवता की कही बातों को सच माना जा सकता है। हालांकि, यह पूरी तरह से आस्था और विज्ञान के बीच का मामला है। अब कंपनी के कुछ अधिकारी भी बाबा बौखनाग की शरण में पहुंचे हैं। 

Share this:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *