दीपावली सामाजिक समरसता व राष्ट्र की खुशहाली का पर्व

  • डॉ.  मोहन चंद तिवारी

दीपावली का because पर्व पूरे देश में लगातार पांच दिनों तक हर्षोल्लास से मनाया जाने वाला राष्ट्रीय लोकपर्व है.शारदीय नवरात्र में प्रकृति देवी के नौ रूपों से शक्ति और ऊर्जा ग्रहण करने के बाद भारत का कृषक समाज धन और धान्य की देवी लक्ष्मी के भव्य स्वागत में जुट जाता है. घर‚ खेत‚ खलिहान के चारों ओर सफाई का अभियान चलाया जाता है तथा नई फसल से बनवाए गए पकवानों से धान्य-लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है.

दीपावली

दीपावली का पर्व धनतेरस because से शुरू होकर भाई दूज पर समाप्त होता है.लेकिन दीपावली की तैयारी बहुत पहले से शुरू हो जाती है. लोग अपने घरों, दुकानों आदि की सफाई करते हैं. दीपावली से पहले घर, मोहल्ले, बाजार आदि सब साफ सुथरे और सजे हुए दिखाई देते हैं.

दीपावली

कृष्णपक्ष अन्धकार का प्रतीक है because और शुक्लपक्ष प्रकाश का. इन दो पक्षों की संक्रान्तियों में गतिशील दीपावली का महा पर्व अन्धकार से प्रकाश की ओर‚अकाल से सुकाल की ओर‚मृत्यु से जीवन की ओर तथा निर्धनता से भौतिक समृद्धि की ओर अग्रसर होने का एक वार्षिक अभियान है.

दीपावली

दीपावली का पर्व धनतेरस से because शुरू होकर भाई दूज पर समाप्त होता है.लेकिन दीपावली की तैयारी बहुत पहले से शुरू हो जाती है. लोग अपने घरों, दुकानों आदि की सफाई करते हैं. दीपावली से पहले घर, मोहल्ले, बाजार आदि सब साफ सुथरे और सजे हुए दिखाई देते हैं.

दीपावली

धनतेरस

दीपावली के पांच पर्वो में धनतेरस because सबसे पहला और बहुत महत्त्वपूर्ण पर्व है. इस दिन धन की देवी लक्ष्मी के साथ भगवान धनवंतरी की भी पूजा की जाती है.मान्यता है कि इस दिन नया सामान बर्तन आदि खरीदने से धन लक्ष्मी के शुभागमन का मार्ग प्रशस्त होता है और घर में धनसम्पत्ति की विशेष अभिवृद्धि होती है. कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही देवताओं के वैद्य धन्वन्तरि जी का भी जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है.

नरक चतुर्दशी

कार्तिक मास के because कृष्णपक्ष की चतुर्दशी नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली के रूप में मनाई जाती है.इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा का विधान है क्योंकि उन्होंने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था और उसके बन्दीगृह से सोलह हजार कन्याओं को मुक्त किया था.

दीपावली

कार्तिक अमावस्या के तीसरे दिन पूरे देश because में दीपावली बड़े धूमधाम से मनाई जाती है. प्रदोष काल में लक्ष्मी व गणेश के साथ विद्या तथा बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की भी पूजा की जाती है. इस दिन व्यापारी वर्ग अपने बहीखाते बदलते हैं. शिक्षा एवं लेखन व्यवसाय से जुड़े लोग ज्ञानवर्धन की कामना से कलम-दवात की पूजा-अर्चना करते हैं. तिजोरी‚ संदूक आदि को स्वास्तिक के चिन्हों से अलंकृत किया जाता है.

गोवर्धन पूजा

चौथे दिन शुक्ल प्रतिपदा की तिथि because को गोवर्धन पूजा का पर्व आता है. भगवान कृष्ण द्वारा इन्द्र के गर्व को पराजित करके लगातार बारिश और बाढ़ से  लोगों और मवेशियों के जीवन की रक्षा करने के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अँगुली पर उठा लिया था. इसलिए इस दिन लोग अपने गाय-बैलों को सजाते हैं और गोबर को पर्वत बनाकर पूजा करते हैं.

भैयादूज

पांचवे दिन का त्यौहार भाइयों because और बहनों के मंगल मिलन का पर्व भैयादूज कहलाता है. इस दिन यम देवता अपनी बहन यमी से मिलने गए और वहाँ अपनी बहन द्वारा उनका आरती के साथ स्वागत हुआ और यम देवता ने अपनी बहन को उपहार दिया. इस तरह बहन अपने भाइयों की आरती उतारती है और फिर भाई अपनी बहन को उपहार भेंट करता है. इस तरह दीपावली का त्यौहार पांचों दिन बड़े उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.

दीपावली ज्ञानमय प्रकाश का पर्व

प्राचीन काल से ही हमारे because देश के ऋषि-मुनि यह मानते आए हैं कि मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु यदि कोई है तो वह है-अज्ञानरूपी अन्धकार. कार्तिक मास की अमावस्या के दिन जब चारों ओर घनघोर अन्धकार का भय और आतंक छाया रहता है तो दीपावली का पर्व मनाते हुए हम दीपमालाओं की पंक्ति जलाकर प्रकाशोत्सव का पर्व मनाते हैं. प्रकाश हमें केवल भय तथा आतंक से ही मुक्ति नहीं दिलाता बल्कि श्रम तथा उद्योग के कुशल प्रबन्धन की भी प्रेरणा देता है.दीपावली के अवसर पर ब्रह्मांड में व्याप्त दीपज्योति में स्थित लक्ष्मी को नमस्कार सहित जागृत करने का मंत्र बोला जाता है-
“सर्वेषां ज्योतिषां ज्योतिर्दीपज्योतिःस्थिते नमः.”

दीपावली

दीपावली मुख्य रूप से धन की becauseदेवी लक्ष्मी की समाराधना का पर्व है किंतु कालांतर में इसके साथ ज्ञान और विवेक की देवी सरस्वती तथा विघ्नहर्ता गणपति की पूजा का माहात्म्य भी जुड़ गया.

भारत के प्राचीन राष्ट्रवादी चिन्तकों का यह because मानना था कि राष्ट्रीय धरातल पर दीपावली के दिन धन की देवी लक्ष्मी के साथ ज्ञान और विवेक की देवी सरस्वती की समाराधना से भारतीय राष्ट्रवाद की मूल चेतना सामाजिक समरसता की भावना को मजबूत किया जा सकता है और आर्थिक प्रगति के द्वारा धन्य धान्य सम्पन्न सुराज्य की परिकल्पना को साकार किया जा सकता है.

समरसता व खुशहाली का पर्व

भारतीय दृष्टि से ‘राष्ट्र’ शब्द की परिभाषा है because “रासन्ते चारुशब्दं कुर्वते जनः यस्मिन् प्रदेश विशेषे तद् राष्ट्रम्” अर्थात् जिस प्रदेश में लोग मधुर वाणी में परस्पर संवाद करते हुए सौहार्दपूर्ण भावना से रहते हैं उसे ‘राष्ट्र’ कहते हैं. एक दूसरी परिभाषा के अनुसार पशु,धन,धान्य‚ स्वर्ण आदि आर्थिक वैभव से सम्पन्न देश ‘राष्ट्र’ राज्य के रूप में सुशोभित होता है- “पशुधनधान्यहिरण्यसम्पदा राजते शोभते इति राष्ट्रम्.” राष्ट्र सम्बन्धी इन दोनों परिभाषाओं में सरस्वती जहां सामाजिक समरसता के विचार की द्योतक है तो लक्ष्मी आर्थिक प्रगति की प्रतीक है.

दीपावली

स्कन्दपुराण की एक कथा के because अनुसार राजा पृथु के काल में अंधविकासवादियों ने पृथ्वी के उदर को चीर-फाड़ कर धरती का निर्ममता से दोहन किया तो उससे त्रस्त होकर पृथ्वी आत्मरक्षा हेतु गाय का रूप धारण करके विष्णु के पास पहुँची. इसी आख्यान विशेष के सन्दर्भ में भारतीय चिन्तकों ने प्रजा के नागरिक अधिकारों और धरती के प्राकृतिक संसाधनों का राजनैतिक सत्ताबल के द्वारा दुरुपयोग को रोकने के लिए गोरूपधरा because ‘लोकपाल लक्ष्मी’ का चिन्तन दिया ताकि कृषि सभ्यता का मूल गोवंश तथा आर्थिक संसाधनों की मूलाधार धरती माता की अन्धविकासवादी अत्याचारियों से रक्षा हो सके. यही कारण है कि इस प्रकाश पर्व दीपावली के साथ गोवर्धनपूजा और ‘यम द्वितीया’ यानी भैयादूज के दिन यमुना नदी में स्नान का विशेष माहात्म्य भी जुड़ा हुआ है.

‘राष्ट्रलक्ष्मी’ की रक्षा-सुरक्षा का पर्व

प्रत्येक युग में धनलिप्सा because तथा राजसत्ता के गठजोड़ से जब जब बाहुबलियों और धनबलियों द्वारा प्राकृतिक और आर्थिक संसाधनों के संदोहन से राष्ट्रलक्ष्मी का शोषण और अपहरण करने की घिनौनी चेष्टाएं होती है, तब तब लोक मंगलकारी विघ्नहर्ता गणपति जनलोकपाल के रूप में राष्ट्रलक्ष्मी के रक्षक बन कर उन बाहुबलियों को दण्डित करते हैं.इसलिए दीपावली के अवसर पर ‘राष्ट्रलक्ष्मी’ की रक्षा-सुरक्षा के लिए गणेश सहित लक्ष्मीपूजा का भी विधान किया गया है.

दीपावली धार्मिक सहिष्णुता का पर्व

ऐतिहासिक दृष्टि से दीपावली मूलतः तो अयोध्या के सूर्यवंशी क्षत्रियों का मुख्य पर्व था. मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम रावण का वध करके चौदह वर्षों का वनवास पूर्ण कर इसी दिन because अपने नगर अयोध्या लौटे तो अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में दीपक जलाकर प्रकाशोत्सव मनाया था. राजा पृथु ने इस दिन प्रजा को अन्न-धन प्रदान किया था तभी से कृषक समाज द्वारा दीपावली मनाने की परंपरा भी शुरू हुई. समुद्र मंथन के समय इसी दिन क्षीरसागर से लक्ष्मी प्रकट हुई. इसलिए यह दिन लक्ष्मी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. दीपावली के दिन ही 24वें जैन because तीर्थंकर महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस, आदिगुरु शंकराचार्य और स्वामी रामतीर्थ का जन्म दिवस,महर्षि दयानन्द सरस्वती का अवसान दिवस आदि महत्त्वपूर्ण पुण्य तिथियां भी मनाई जाती हैं.

सिक्खों के छठे गुरु because हरगोविन्द सिंह जी को इसी दिन जेल से रिहा किया गया था और सन् 1577 में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास भी इसी दिन हुआ. मुस्लिम बादशाहों ने भी दीपावली के राष्ट्रीय महत्त्व को स्वीकार किया है. बादशाह अकबर के शासनकाल में दौलत खाने के सामने 40 गज ऊंचे बांस पर एक बड़ा आकाशदीप दीपावली के दिन लटकाया जाता था. जहांगीर, बहादुरशाह जफर भी दीपावली के त्योहार को बड़े धूमधाम से मनाते थे.

दीपावली

सिक्खों के छठे गुरु हरगोविन्द because सिंह जी को इसी दिन जेल से रिहा किया गया था और सन् 1577 में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास भी इसी दिन हुआ. मुस्लिम बादशाहों ने भी दीपावली के राष्ट्रीय महत्त्व को स्वीकार किया है. बादशाह अकबर के शासनकाल में दौलत खाने के सामने 40 गज ऊंचे बांस पर एक बड़ा आकाशदीप दीपावली के दिन लटकाया जाता था. जहांगीर, बहादुरशाह जफर भी दीपावली के त्योहार को बड़े धूमधाम because से मनाते थे. शाह आलम द्वितीय के समय में समूचे शाही महल को दीपों से सजाया जाता था तथा लालकिले में हिन्दू और मुस्लमान मिलकर दीपावली मनाते थे.इस प्रकार दीपावली का पर्व भारत की विविधतापूर्ण साझा संस्कृति को प्रोत्साहित करने वाला विभिन्न धर्मों की पुण्य तिथियों से जुड़ा सामाजिक समरसता का एक राष्ट्रीय लोकपर्व भी है.

विदेशों में भी लोकप्रिय है दीपावली

दीपावली का त्यौहार केवल भारत में ही because नहीं, विदेशों मे भी मनाया जाता है.श्रीलंका,पाकिस्तान, म्यांमार, थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, इन्डोनेशिया, मॉरीशस, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड,कनाडा, ब्रिटेन, सयुंक्त अरब अमीरात, सयुंक्त राज्य अमेरिका आदि देशों में भी दीपावली का because त्यौहार मनाया जाता है.इस साझा संस्कृति के त्यौहार को हिन्दू,जैन और सिख समुदाय और विभिन्न संस्कृतियों के लोग सब मिलजुल कर मनाते हैं.सभी देशवासियों को प्रकाशपर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!!

दीपावली

(लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज से एसोसिएट प्रोफेसर के पद से सेवानिवृत्त हैं. एवं विभिन्न पुरस्कार व सम्मानों से सम्मानित हैं. जिनमें 1994 में संस्कृत शिक्षक पुरस्कार’, 1986 में विद्या रत्न सम्मान’ और 1989 में उपराष्ट्रपति डा. शंकर दयाल शर्मा द्वारा आचार्यरत्न देशभूषण सम्मान’ से अलंकृत. साथ ही विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े हुए हैं और देश के तमाम पत्रपत्रिकाओं में दर्जनों लेख प्रकाशित.)

Share this:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *