अलौकिक प्राकृतिक सुंदरता का खजाना-बण्डीधूर्रा ट्रैक

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कम और ना जाने, जाने वाले ट्रैंकिंग रूट – पार्ट-1

  • जे. पी. मैठाणी

ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगभग 1300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है पर्यटक स्थल

पीपलकोटी। पीपलकोटी को एक वर्ष पूर्व ही नगर पंचायत बनाया गया। इसकी उत्तर पश्चित दिशा में अलकनन्दा नदी है और इसके आसपास विस्तारित है एक बड़ी घाटी जिसमें कई ग्राम पंचायत हैं। हालांकि पीपलकोटी को बद्रीनाथ एवं हेमकुण्ड का प्रमुख पड़ाव माना जाता है लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि पीपलकोटी के आसपास कई शानदार रोचक कम जाने जाने वाले ट्रैकिंग रूट्स हैं। इन्हीं में से एक बेहद रोमांचक थोड़ा कठिन लेकिन शानदार ट्रैकिंग रूट है पीपलकोटी बण्डीधूर्रा लाॅर्ड कर्जन पास ट्रैक। पीपलकोटी में बायोटूरिज़्म पार्क से नौरख, सल्ला-सोड़ियाणी तक ट्रैकिंग रूट सामान्य है और अधिकतर गाँव के बीच से होकर गुजरता है। सल्ला-सोड़ियाणी तक बीच में पानी के जल स्रोत हैं लेकिन सोड़ियाणी से घुड़धार और बण्डीधुर्रा की बेहद थकाने वाली दुर्गम लेकिन रोमांचक ट्रैकिंग मार्ग है। जैसे ही आप घुड़धार की ओर बढ़ने लगते हैं बण्ड क्षेत्र (पीपलकोटी मुख्य बाजार से 8-9 किमी0 पहले बिरही, कौड़िया, बटुला, मायापुर, श्रीकोट, लुंआं, दिगोली, मेहर गाँव, चातोली, किरूली, कम्यार, गडोरा, अमरपुर, अगथला, गढ़ी, सल्ला, रैतोली, किसानकूड़ा, नौरख, पीपलकोटी, तुनली, मठ, झड़ेता बजनी, कांडा, कुणखेत, सुरेण्डा, गुनियाला, बेमरू, लुदाउं और स्यूंण गाँवों के क्षेत्र को बण्ड क्षेत्र के नाम से जाना जा सकता है।) घुड़धार से नीचे बण्ड क्षेत्र दिखाई देने लगता है। घुड़धार की ऊँचाई समुद्रतल से लगभग 3800 मीटर होगी।

 

 

पीपलकोटी में बायोटूरिज़्म पार्क से नौरख, सल्ला-सोड़ियाणी तक ट्रैकिंग रूट सामान्य है और अधिकतर गांव के बीच से होकर गुजरता है। सल्ला-सोड़ियाणी तक बीच में पानी के जल स्रोत हैं लेकिन सोड़ियाणी से घुड़धार और बण्डीधुर्रा की बेहद थकाने वाली दुर्गम लेकिन रोमांचक ट्रैकिंग मार्ग है।

पीपलकोटी मुख्य बाजार से लगभग 3 किमी0 के ठीक ठाक और सरल ट्रैक के बाद घुड़धार के लिए दुर्गम और थकाने वाली चढ़ाई शुरू होती है। रास्ता बेहद थकाने वाला है और ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ तेज हवा भी चलने लगती है। जो ट्रैकर्स के लिए काफी चुनौती पैदा कर देती है। लेकिन दूसरी तरफ सोचता हूँ घुड़धार के ठीक नीचे प्रतिदिन सल्ला, रैतोली, अगथला और कभी-कभी गडोरा की महिलायें आज भी घास लेने जाती हैं और वापसी में पीठ पर 40 से 60 किलो घास-लकड़ी लादकर लाती हैं। किरूली के रिंगाल हस्तशिल्पी देव रिंगाल लेने के लिए बण्डीधुर्रा के नीचे भतना, शिलाखर्क तक जाते हैं।

पीपलकोटी से महज 14 किमी के ट्रैक के बाद बुग्यालों की श्रृंखला शुरू हो जाती है। यह ट्रैक औली गोरसों तपोवन तक भी जाता है। वहीं दूसरी ओर इस ट्रैक से झींझी और रूपकुण्ड होते हुए वाण मुंदोली तक जाया जा सकता है। आप अपनी सुविधा, संसाधन और समय के अनुसार ट्रैक की लम्बाई और दिनों की संख्या तय कर सकते हैं। यह इस ट्रैक की सबसे बड़ी विशेषता है।

हाल ही में नौरख पीपलकोटी से प्रकृति प्रेमी ट्रैकर्स का एक ग्रुप बण्डीधुर्रा ट्रैक पर गये थे। वैसे तो यह ट्रैक 5 दिन का है लेकिन सभी युवा स्थानीय थे और पहाड़ के परिवेश से परिचित भी। इन्होंने 2 दिन में ही पूरा ट्रैक कर डाला। बण्डीधुर्रा से 4-5 किमी0 नीचे बुग्याल के आधार पर भतना खर्क है। यहाँ पर टेन्ट लगाने के लिए सुरक्षित स्थान है साथ पानी का स्रोत भी है। मार्च के पहले हफ्ते तक भी बण्डीधुर्रा बर्फ से ढका हुआ था। बण्डीधूरा से उत्तर और पूर्व में ऊंची-ऊंची हिमाच्छादित बर्फीली चोटियां जैसे- नंदा देवी (7814 मी.), नंदा घुंघटी (6309 मी.), चौखम्बा (7138 मी0), कामेट (7756 मी.), माणा पर्वत (7273 मी.), द्रोणागिरी (6489 मी.), बेथरतोली (6352), नीलकंठ (6596 मी.) हाथी (6727 मी.), घोड़ी पर्वत (6790 मी.) सहित कई अनाम चोटियां इस ट्रैक से दिखाई देती हैं। ऊपर नीला आसमान और सामने दिखती पर्वत श्रृंखलायें मानो आपका आह्वान कर रही हों। पांव के नीचे अनछुई बर्फ है और बर्फ के नीचे मखमली बुग्याल की घास। जिसका आभास मार्च के इस पहले हफ्ते में नहीं हो पाया। हां बर्फ की शीतल बयारों के बीच पीछे नीचे जंगलों में आजकल खिल रहे बुरांस और काफल की याद यकायक पसर गयी। शानदार प्राकृतिक दृश्य ऐसा लगता मानो कहीं और ही आ गये हैं और लगता नहीं है कि यह जगह पीपलकोटी से महज 14 किमी के ट्रैक के बाद शुरू हो जाती है। यह ट्रैक औली गोरसों तपोवन तक भी जाता है। वहीं दूसरी ओर इस ट्रैक से झींझी और रूपकुण्ड होते हुए वाण मुंदोली तक जाया जा सकता है। आप अपनी सुविधा, संसाधन और समय के अनुसार ट्रैक की लम्बाई और दिनों की संख्या तय कर सकते हैं। यह इस ट्रैक की सबसे बड़ी विशेषता है।

हिमालय की चोटियों पर सूरज की किरणें सुनहरा प्रकाश फैलाने लगती हैं। ठण्डी बर्फीली हवायें बदन में झुरझुरी पैदा करती हैं। बुग्यालों को चढ़ते हुए और वापसी में हालांकि आजकल बांज, बुरांस, मोरू, खर्सु, अयांर, भोजपत्र, कैल, थुनेर के सदाबहार वनक्षेत्र आपकी थकान को मिटा देते हैं।

मैंने वर्ष 2000 और उससे पहले 1998 में जब ये ट्रैक किया था तब पहली बार औली गोरसों से झींझी बिरही घाटी और दूसरी बार नौरख पीपलकोटी में आयोजित नंदा अष्टमी उत्सव के समय बड़ा गांव जोशीमठ से बण्डीधूर्रा होते हुए ब्रह्मकमल लेकर गांव के कैलपीर मंदिर पहुंचे थे। इस दल में सबसे अनुभवी गाइड स्व0 श्री अवतार सिंह नेगी जी, श्री प्रबोध सिंह राणा जी, शिशु मंदिर के प्राध्यापक श्री भरत सिंह सजवाण, श्री बलवन्त सिंह कंडेरी जी के साथ हमने ये ट्रैक किया था। तब बरसात के बाद का समय था। पूरा बुग्याल हरी मखमली घास से लकदक था।अजय भंडारी से हुई बातचीत और छायाचित्रों के साथ-साथ छोटे-छोटे वीडियो देखकर इस ट्रैक की पुरानी यादें फिर से तरोताजा हो गयी।

बण्डीधूर्रा में मखमली बुग्यालों के निकट जैसे ही आप अलसुबह अपने टेन्ट के दरवाजे खोलते हैं तो सामने हिमालय की चोटियों पर सूरज की किरणें सुनहरा प्रकाश फैलाने लगती हैं। ठण्डी बर्फीली हवायें बदन में झुरझुरी पैदा करती हैं। बुग्यालों को चढ़ते हुए और वापसी में हालांकि आजकल बांज, बुरांस, मोरू, खर्सु, अयांर, भोजपत्र, कैल, थुनेर के सदाबहार वनक्षेत्र आपकी थकान को मिटा देते हैं। और बर्फीले पानी की हाड़ जमा देने वाली ठंड आपको जीवन का अलग ही अनुभव कराती है। आप थोड़ा साहसी हैं तो लगभग 5000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बण्डीधुर्रा से आगे लाॅर्ड कर्ज़न पास की तरफ जा सकते हैं।

गैलगढ़ टाॅप (3690 मी.) लाॅर्ड कर्जन पास का लेकिन आजकल बर्फ होने से आगे जाना बेहद रिस्की हो सकता है। बिना ट्रैकिंग उपस्करों और अनुभवी गाइड के कहीं भी हिमालय में स्नो ट्रैक करने से बचना चाहिए। और यही इस बार की युवाओं की इस टीम जिसमें- सोहन नेगी, अजय भंडारी, मनीष नेगी, धर्मेन्द्र भंडारी, आशीष परमार, मयंक परमार, तनुज भंडारी, अभिषेक नेगी, सचिन नेगी, प्रियांशु नेगी और हेमन्त फस्र्वाण शामिल थे, इन साथियों ने यह पूरा ट्रैक मार्च के प्रथम सप्ताह में दो दिन में सम्पन्न कर लिया। इस ट्रैकिंग रूट पर मध्य हिमालय की कई प्रकार की वनस्पतियां जीव-जंतु और पशु-पक्षी देखने को मिलते हैं। लेकिन इसके लिए कम से कम 5 दिवसीय ट्रैक होना चाहिए। ट्रैकिंग दल के सदस्यों के साथ मोबाइल पर हुई चर्चा और कोरोना के लाॅकडाउन के बीच अब इस ट्रैकिंग रूट की जानकारी साझा कर रहे हैं।

उपकरण- जो इस ट्रैक के लिए आवश्यक हैं। टैन्ट, रूकसैक, स्लीपिंग बैग, विंडचीटर, जूते, टोपी, चश्मा, पानी के लिए पर्याप्त बर्तन।

फोटो – अजय भंडारी एवं हेमन्त फर्स्वान

(नोट: यह ट्रैक मार्च के प्रथम सप्ताह में लॉकडाउन के कुछ दिन पहले ही सम्पन्न हुआ )

(लेखक पहाड़ के सरोकारों से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार एवं पीपलकोटी में ‘आगाज’ संस्था से संबंद्ध हैं)

2 COMMENTS

  1. I am the part of this track To help get you even more excited about hiking, check out these wise words that will remind you just how wonderful it is to explore this incredible world we live in. If you’re an avid hiker, you’re probably also into the beauty found in nature—and many of these quotes embody that sentiment. They will have you thinking about the stunning land you’ve seen and have yet to explore. Others are funny and will remind you that hiking can be a source of fun and joy. 😊

  2. उत्तराखण्ड की वो वादियां जहां कण-कण में देवताओं का है वास। स्वर्ग समान हमारा उत्तराखण्ड। बेहद शानदार लेख।

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