Author: Himantar

हिमालय की धरोहर को समेटने का लघु प्रयास
गाँधी जयंती के अवसर पर चित्रकला प्रतियोगिता

गाँधी जयंती के अवसर पर चित्रकला प्रतियोगिता

देहरादून
हिमांतर डेस्क, देहरादून गाँधी जयंती के पावन अवसर गोर्खाली सुधार सभा द्वारा चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्राओं एवम् सामाजिक संस्थाओं के बच्चों ने प्रतिभाग किया. मुख्य अतिथि उत्तराखंड की स्वर कोकिला, गूँज सामाजिक संस्था की अध्‍यक्षा, कर्मठ समाजसेवी मातृशक्‍ति डा. सोनिया आनंद रावत, विशिष्ट अतिथि श्रीमती विनिता बैनर्जी, गोर्खाली सुधार सभा के अध्‍यक्ष श्री पदम सिंह थापाजी उपाध्यक्ष सुश्री पूजा सुब्बा ने राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीजी की प्रतिमा के आगे दीप प्रज्वलित करते हुए, श्रद्धा सुमन अर्पित किये. अध्यक्ष जी ने सभी प्रतिभागियों का मनोबल बढा़ते हुए कहा कि सभा सदैव शिक्षा के क्षेत्र में मेघावी छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्तियाँ भी प्रदान करती है. आज भी हमने इन प्रतिभावान कलाकारो को मंच प्रदान करने का प्रयास किया है. मुख्य अतिथि डा. सोनिया आनंद ने आ...
मुख्यमंत्री ने राज्य आन्दोलनकारियों को मुज्जफरनगर शहीद स्मारक में दी श्रद्धाजंलि

मुख्यमंत्री ने राज्य आन्दोलनकारियों को मुज्जफरनगर शहीद स्मारक में दी श्रद्धाजंलि

देहरादून
राज्य आन्दोलनकारियों को राजकीय मेडिकल कालेजों में मिलेगी मुफ्त उपचार की सुविधा : मुख्यमंत्री  हिमांतर ब्यूरो, देहरादून मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमारी सरकार शहीदों के सपनों और राज्य आन्दोलनकारियों की भावनाओं के अनुरूप उत्तराखंड को हर क्षेत्र में आगे बढ़ायेगी. जनता सरकार के भाव को समझे. यह बात उन्होंने उत्तराखंड शहीद स्मारक रामपुर तिराहा, मुजफ्फरनगर में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी शहीदों की पुण्य स्मृति पर because उन्हें श्रद्धाजलि अर्पित करते हुए कही. उन्होंने राज्य आन्दोलनकारियों के हित में कई घोषणायें कीं, जिनमें राज्य आन्दोलनकारियों को सरकारी अस्पतालों की तर्ज पर राजकीय मेडिकल कालेजों में मुफ्त उपचार उपलब्ध करवाने, उद्योग धंधों में राज्य आन्दोलकारियों और उनके परिजनों को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार देने और विभिन्न विभागों में सेवारत राज्य आन्दोलनकारियों को हटाये जाने ...
केवल ग्यारह मिनट की दूरी कम करने के लिए 11,000 पेड़ों पर चलेगी आरी!

केवल ग्यारह मिनट की दूरी कम करने के लिए 11,000 पेड़ों पर चलेगी आरी!

देहरादून
हिमांतर ब्यूरो, देहरादून हरे भरे पेड़ों की अपेक्षा यदि सोने और चांदी से लदे पेड़ हों तो क्या जीवन जीने के योग्य भी रह जायेगा? इस यक्ष प्रश्न का उत्तर हम सभी जानने के बावजूद इसे अनदेखा कर रहे हैं. वनों पर आधारित because वन्य जीवन के बिना पृथ्वी पर जीवन अकल्पनीय है. वन न केवल हमारी भूमि के लिए फेफड़े का काम करते हैं बल्कि वे भूमि की रक्षा एवं पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के जीवन के सृजन में भी सहायक होते हैं. बंजर भूमि को मनुष्य जीवन के लिए अनुकूल बनाते हैं, साथ ही वायु को शुद्ध कर जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि  करते हैं. ज्योतिष यदि सरल शब्दों में प्राथमिक विद्यालय के छात्रों को समझाया जाए तो इतना ही समझना है कि पेड़ों पर घोंसला बनाने वाले पक्षी मवेशियों के कीट कीटाणु को खा कर नष्ट करते हैं, जिससे वे रोग मुक्त रहते हैं. वृक्षों पर आरी चलाने से इसका सीधा असर जीवन श्रृंखला की प्रक्रिया पर पड़ेगा...
क्या सच में गाँधी तुम घटते जा रहे हो!..

क्या सच में गाँधी तुम घटते जा रहे हो!..

साहित्‍य-संस्कृति
गांधी जयंती (2 अक्टूबर) पर विशेष प्रकाश उप्रेती देखो गाँधी तुम्हारे चेले कितनी मौज में हैं. because तुम हाड़-मांस की काया के भीतर थे लेकिन तुम्हारे चेले उसके बाहर हैं. इस देश में सबसे आसान और सबसे कठिन गाँधीवादी बनना है. अगर गाँधी का मतलब नैतिक बल, स्वयं को संशोधित करना, आचरण की शुद्धता और अभ्यास है तो वो सबसे मुश्किल है लेकिन अगर कुर्ता, पजामा, टोपी, झोला और कोल्हापुरी चप्पलों का अर्थ ही गाँधीवादी होना है तो सबसे आसान है. because मुझे पता है गाँधी तुम भी अब इस दूसरी जमात वाले लोगों को ही चाहते हो. ज्योतिष आज तुम्हारे चेले इसी जमात के तो हैं. अगर ऐसा नहीं होता तो वो वहाँ नज़र आते जहाँ किसान आंदोलन कर रहे हैं, जहाँ एक माँ अपनी बेटी के लिए आँचल फैला रही है, जहाँ because भात-भात कहते हुए एक लड़की प्राण त्याग देती है, जहाँ सैकडों मजदूर सड़कों पर थे, जहाँ महामारी में इलाज के लिए लोग तड़प रहे...
गांधी जी की दत्तक पुत्री-‘मीरा बहन’

गांधी जी की दत्तक पुत्री-‘मीरा बहन’

साहित्‍य-संस्कृति
एक साधिका और सेविका की जीवन-यात्रा डॉ. अरुण कुकसाल ‘गांधीवाद जैसी कोई वस्तु नहीं है और मैं नहीं because चाहता कि मेरे पीछे मैं कोई सम्प्रदाय छोड़ कर जाऊं. मैंने अपने ही ढंग से सनातन सत्यों को हमारे दैनिक जीवन और समस्याओं पर लागू करने का केवल प्रयत्न किया है....मैंने जो मत बनाये हैं और जिन परिणामों पर मैं पहुंचा हूं, वे किसी भी तरह अन्तिम नहीं हैं. यदि इनसे अच्छे मुझे मिल जांय, तो मैं इन्हें कल ही बदल सकता हूं. मेरे पास दुनिया को सिखाने के लिए कोई नई चीज नहीं है. सत्य और अहिंसा अनन्त काल से चले आ रहे हैं. ज्योतिष ...मैं अहिंसा का उतना बड़ा पुजारी नहीं हूं, जितना कि सत्य का हूं; और मैं सत्य को प्रथम स्थान देता हूं तथा अहिंसा को दूसरा. मैं सत्य के खातिर अहिंसा को छोड़ सकता हूं....मेरे मत के विरुद्ध धर्मशास्त्रों के प्रमाण दिये गए हैं; परन्तु मेरा यह विश्वास पहले से अधिक दृढ़ हुआ है कि स...
बीज शब्द: अभिव्यक्तियाँ, चेतना, मौलिकता, बरकत, विचारधारा

बीज शब्द: अभिव्यक्तियाँ, चेतना, मौलिकता, बरकत, विचारधारा

साहित्‍य-संस्कृति
गांधी का सामाजिक चिन्तन (शोध आलेख) नीलम पांडेय नील, देहरादून, उत्तराखंड  “गांधी, खादी और आजादी गोरों की बरबादी थी, अहिंसा, अदृश्य, अमूक, हक हकूक की लाठी थी” एक महान नेतृत्व के लिऐ सदैव उच्च आदर्शों की आवश्यकता होती है, इसके बिना एक अच्छे समाज की कल्पना कभी नही की जा सकती है. समाज को सही पथ पर ले जाने के लिऐ एक सही नेतृत्व का होना अत्यंत आवश्यक है. जहाँ आदर्श नही हैं, वहाँ लक्ष्य भी नही हैं. गांधी जी ने इन्ही आर्दशों तथा अनुशासनों को अपनाकर, समाज में अपनी सहज, सजीव अभिव्यक्तियाँ दी और समाज के हर एक वर्ग ने उन अपनत्व भरी अभिव्यक्तियों में कहीं ना कहीं स्वयं को महसूस किया तथा उस समय, देशकाल परिस्थियों में उसकी महती आवश्कता को देखते हुऐ असंख्य लोग उनके विचारों के साथ जुड़ते चले गये थे. गांधी जी जानते थे, कि समाज में, सामाजिक चेतना का बीज मंत्र एक साथ, एकमेव चिंतन कर चलने में ही है, जिसमें...
राष्ट्रपिता का भारत–बिम्ब और नैतिकता का व्यावहारिक आग्रह

राष्ट्रपिता का भारत–बिम्ब और नैतिकता का व्यावहारिक आग्रह

साहित्‍य-संस्कृति
गांधी जयंती (2 अक्टूबर) पर विशेष प्रो. गिरीश्वर मिश्र  इतिहास पर नजर दौडाएं तो यह स्पष्ट हो जाता है कि यह देश अतीत में सदियों तक मजहबी साम्राज्यवाद के चपेट में रहने के बाद अंग्रेजी साम्राज्यवाद, जो मुख्यत: because आर्थिक शोषण में विश्वास करता था, के अधीन रहा. राजनैतिक रूप से स्वतंत्र होने के बाद एक तरह के औपनिवेशिक चिंतन से ग्रस्त  अब वैश्वीकरण के युग में पहुँच रहा है. इस दौर में सामाजिक-सांस्कृतिक चिंतन के क्षेत्र में महात्मा गांधी का ‘हिन्द स्वराज’ सर्वाधिक सृजनात्मक उपलब्धि के रूप में उपस्थित हुआ. यह स्वयं में एक आश्चर्यकारी घटना है क्योंकि इस बीच पश्चिम से परिचय के बाद उसे अपनाते हुए हमारे मानसिक संस्कार तद्रूप होते गए. वह भाषा, व्यवहार, पहरावा तथा शिक्षा आदि सबमें परिलक्षित होता है. स्मरणीय है अमेरिकी चिंतन ने यूरोप से अलग दृष्टि स्वीकार की और रूस ने भी स्वायत्त चिंतन की दृष्टि वि...
क्या हैं चावल से जुड़ी मान्यताएं व रस्में…

क्या हैं चावल से जुड़ी मान्यताएं व रस्में…

ट्रैवलॉग
देहरादून के बासमती चावल की दुनियाभर में रही है धाक! मंजू दिल से… भाग-20 मंजू काला आज धानेर खेते रोद्र छाया लुको चोरी खेला  रे भयी लुको चोरी खेला रे! (ठाकुर जी का रविंद्र संगीत) प्राचीन समय से ही भारतीय थाली में दाल और चावल परोसने की परंपरा रही है. चावल की दुनियाभर में तकरीबन चालीस हजार से ज्यादा किस्में हैं. चावल के उत्पादन में भारत दूसरे स्थान पर है. बहुत पहले विश्वभर में धान जंगली रूप में उगता था, लेकिन खुशबू तथा स्वाद के चलते चावल के किस्से मशहूर होने लगे. ढेरों किस्सों-कहानियों because से रूबरू करवाने वाले चावल की नस्लों को सहेजने के लिए फिलीपींस में एक जीन बैंक भी है. फिलीपींस का ही बनाऊ चावल खेती के लिए आठवें आश्चर्य की तरह देखा जाता है. रोचक बात यह भी है कि यहां टेरेस फॉर्मिंग जैसी जगह है, जहां समुद्र तल से 3,000 फीट की ऊंचाई पर हजारों साल पुराने खेत हैं, जहां पहाड़िय...
जगमोहन बंगाणी: चित्रकारी में शब्दों का जादूगर…

जगमोहन बंगाणी: चित्रकारी में शब्दों का जादूगर…

कला-रंगमंच
प्रकाश उप्रेती उत्तराखंड का एक छोटा सा गाँव मौंडा है. यह हिमाचल और उत्तराखंड के बॉर्डर पर स्थित है. एक तरह से उत्तरकाशी जिले का अंतिम छोर . मौंडा गाँव से एक लड़का कला (आर्ट) का पीछा because करते-करते देहरादून, दिल्ली होते हुए लंदन तक पहुँच जाता है. जिस दौर में इस लड़के ने कला का पीछा किया उस दौर में पहाड़ के ज्यादातर लड़कों की दौड़ सड़क से शुरू होकर सेना तक पहुँचती थी. इसलिए लंदन से लौटने पर उसके पिता ने भी उससे पूछा- बेटा विदेश से आ गया है... ये बता कोई सरकारी नौकरी इस पढ़ाई से लगेगी कि नहीं ? पहाड़ के हर पिता की चिंता अपने बेटे के लिए एक अदत सरकारी नौकरी की होती थी. ज्योतिष वह नहीं जानते थे कि उनका लड़का जो कर रहा है उसमें वह सरकारी नौकरी की दौड़ से बहुत दूर अपनी दुनिया में चला गया है. उसकी दुनिया, रंगों की दुनिया है. उसकी दुनिया because भविष्य को रेखाओं के माध्यम से रचने की दुनिया है. उ...
उत्तराखंड एडवेंचर फेस्ट का आगाज

उत्तराखंड एडवेंचर फेस्ट का आगाज

देहरादून
फेस्ट में लगे विभिन्न स्टॉलों में साहसिक पर्यटन की दी जा रही जानकारी हिमांतर ब्यूरो, देहरादून देवभूमि उत्तराखंड में साहसिक खेलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित दो दिवसीय उत्तराखंड एडवेंचर फेस्ट का रविवार को आगाज हो गया. दो दिवसीय फेस्ट में माननीय डॉ. हरक सिंह रावत, पर्यावरण एवं वन मंत्री उत्तराखण्ड सरकार ने साहसिक खेलों की अपार संभावना और रोजगार के अवसर समेत विभिन्न मुद्दों पर विशेषज्ञों के साथ विस्तार से चर्चा की. वहीं इस मौके पर वन मंत्री ने माउंटिंग संबंधित सेवाओं के लिए सिंगल विंडो सिस्टम का शुभारंभ भी किया गया. मसूरी रोड, मालसी में उत्तराखण्ड पर्यटन की ओर से फिक्की (एफएलओ) के सहयोग से 26 और 27 सितंबर को उत्तराखंड एडवेंचर फेस्ट का आयोजन किया जा रहा है. फेस्ट में राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग, माउंटेन बाइकिंग, हॉट एयर बलून, कैंपनिंग, आइसकिंग, कयाकिंग समेत स्थानीय व्यंजन के स्टॉ...