
सांस्कृति परंपरा और मत्स्य आखेट का अनोखा त्यौहार
अमेन्द्र बिष्ट
मौण मेले के बहाने जीवित एक परंपरा
जौनपुर, जौनसार और रंवाई इलाकों का जिक्र आते ही मानस पटल पर एक सांस्कृतिक छवि उभर आती है. यूं तो इन इलाकों के लोगों में भी अब परंपराओं को निभाने के लिए पहले जैसी गम्भीरता नहीं है लेकिन समूचे उत्तराखण्ड पर नजर डालें तो अन्य जनपदों की तुलना में आज भी इन इलाकों में परंपराएं जीवित हैं. पलायन और बेरोजगारी का दंश झेल रहे उत्तराखण्ड के लोग अब रोजगार की खोज में मैदानी इलाकों की ओर रूख कर रहे हैं लेकिन रंवाई—जौनपुर एवं जौनसार—बावर के लोग अब भी रोटी के संघर्ष के साथ-साथ परंपराओं को जीवित रखना नहीं भूलते. बुजुर्गो के जरिये उन तक पहुंची परंपराओं को वह अगली पीड़ी तक ले जाने के हर संभव कोशिश कर रहे हैं.
मौण मेला उत्तराखण्ड की परंपराओं में अनूठा मेला है, जिसमें दर्जनों गांव के लोग सामूहिक रूप से मछलियों का शिकार करते हैं.
यूं तो इन इलाकों में बहुत सा...