चित्रकला की दुनिया में जगमोहन बंगाणी एक सुपरिचित और प्रतिष्ठित नाम है। कैलीग्राफी और रंगों के अद्भुत समायोजन के कारण उसकी एक अलग पहचान है। उसके चित्रों में संगीत की लय और शब्दों की ध्वनि है। वह स्वयं रंगों और शब्दों की दुनिया में जीने वाला कलाकार है। तभी तो वह कहता है कि ‘मैं रंगों से चित्रों की निर्मिति को निर्माण से ज्यादा एन्जॉय करता हूँ”। जगमोहन ने कैलीग्राफी में अभिनव प्रयोग किए हैं। वह एक अलहदा आर्टिस्ट है जिसने मंत्रों को रंगों की दुनिया में उतारा है। वह हिंदी, संस्कृत, पंजाबी और अन्य भाषाओं के शब्दों के माध्यम से कला की एक नई दुनिया रच रहा है। उत्तराखंड का एक सुदूरवर्ती गाँव मौंडा, हिमाचल और उत्तराखंड के बॉर्डर पर स्थित है। जगमोहन इसी मौंडा गाँव से कला (आर्ट) का पीछा करते-करते देहरादून, दिल्ली होते हुए लंदन तक पहुँच जाता है। कला का स्वभाव उसने हिमालय की छाँव से जाना तो उसके आयाम यूरोप भ्रमण के दौरान समझे। उसकी कला जड़ों की तरफ लौटने की द्योतक है। उसकी कला में सांस्कृतिक नाद अंतर्निहित है। इस नाद को आप उसकी पेंटिग्स को देखते हुए महसूस कर सकते हैं।

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हिमालय की धरोहर को समेटने का लघु प्रयास

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हिमालयी विविधता पूर्ण समाज और संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता हैं, देश में उत्तर से लेकर पश्चिम तक का हिमालयी समाज अपने-आप में बहुत बड़ी जनसख्यां का निर्धारण करता हैं, साथ ही देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने का जिम्मा जिस समाज को है उसमें प्रमुख रूप से हिमालय में निवास करने वाला ही समाज है जो सदियों से देश की सीमाओं का सजग प्रहरी की भांति कार्य कर रहा हैं। Read more
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