सरकारों को वोट से प्रिय कुछ नहीं!

सरकार का फिर एक फैसला वापस

प्रकाश उप्रेती

उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी सरकार ने देवस्थानम बोर्ड को भंग कर दिया है. देवस्थानम बोर्ड एक्ट मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार ने बनाया था. इस बोर्ड के तहत केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री because और यमुनोत्री से जुड़े 51 मंदिरों की देखरेख का प्रावधान था. इसके गठन से ही पुरोहित बोर्ड का विरोध कर रहे थे. उनका मानना था कि इस बोर्ड से मंदिरों के परंपरागत अधिकार खत्म हो जाएंगे.

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इसी के चलते कुछ समय पहले केदारनाथ धाम में दर्शन करने गए त्रिवेंद्र रावत का पुरोहितों ने भारी विरोध किया था. because इस विरोध प्रदर्शन के कारण वे दर्शन भी नहीं कर पाए और बिना दर्शन के ही वापस लौट आए थे. जब से इस बोर्ड का गठन किया तब से ही पुरोहित इसका विरोध कर रहे थे और एक तरह से आंदोलनरत थे.

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इस मामले के राजनैतिक प्रभाव को समझते और पुरोहितों के विरोध को देखते हुए कुछ समय पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी पक्षों को सुनने और समाधान खोजने के लिए मनोहर कांत because ध्यानी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था. इस समिति ने कुछ समय पहले अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी थी. रिपोर्ट में भी बोर्ड को निरस्त करने का सुझाव दिया गया था.

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आखिर दो साल से चले पुरोहितों के संघर्ष को आज सफलता मिली है. सरकार ने अपना फैसला वापस लिया. आज स्वयं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसकी घोषणा की और कहा- हमारी because सरकार ने चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड विधेयक को वापस लेने का निर्णय लिया है. सरकार का यह फैसला साबित करता है कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के अभी भी मायने हैं. साथ ही सरकारों को वोट से प्रिय कुछ नहीं है.

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(डॉ. प्रकाश उप्रेती because दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर एवं हिमांतर पत्रिका के संपादक हैं और
पहाड़ के सवालों को लेकर हमेशा मुखर रहते हैं.)

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