जनजाति महिला कल्याण एवं बालोत्थान समिति ने मनाया अपना 33 वां स्थापना दिवस

Tribal Women Welfare and Child Welfare Committee
  • हिमांतर ब्यूरो, बड़कोट उत्तरकाशी

जनजाति महिला कल्याण एवं बालोत्थान समिति ने अपना 33वां स्थापना दिवस शरुखेत, बड़कोट स्थित कार्यालय में एक संगोष्ठी का आयोजन कर मनाया. संस्था पिछले 33 वर्षों क्षेत्र में गरीब, असहाय, पीड़ित महिलाओं, बच्चों के विकास व सक्षम जीवन हेतु विभिन्न कार्य करती आ रही है. जिसमें प्रौढ़ शिक्षा, विभिन्न रोजगार परक प्रशिक्षण, निःशुल्क कंप्यूटर प्रशिक्षण, सिलाई बुनाई, ब्यूटी पार्लर, फल प्रशिक्षण, कुटीर उद्योग आदि अनेक प्रशिक्षणों से लोग लाभान्वित हो रहे हैं. संस्था ने क्षेत्र में लगभग 500 महिलाएं प्रौढ़ शिक्षा में और लगभग 800 से अधिक युवाओं को निःशुल्क कंप्यूटर प्रशिक्षण देने के साथ ही 1600 से अधिक महिलाओं को विभिन्न रोजगार परक प्रशिक्षण दिए हैं.

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए संस्था की संस्थापक अध्यक्ष गलेशियर लेडी शांति ठाकुर ने मानवीय गतिविधियों के कारण पिघलते ग्लेशियरों व नदियों के घटते जलस्तर पर चिंता वक्त करते हुए कहा कि मानव जीवन के अस्तित्व के लिए हिमालय का सरंक्षण जरूरी है. हिमालय के निकटवर्ती क्षेत्रों में मानव गतिविधियां सीमित रहनी चाहिए, जिससे हिमालय व गलेशियरों पर दुष्प्रभाव न पड़े.

समिति के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि संस्था जनजाति महिला कल्याण एवं बालोत्थान समिति, बड़कोट उत्तरकाशी का 33वां स्थापना दिवस मनाते हुए हमें आज गर्व महसूस हो रहा है.  संस्था द्वारा 2500 से भी अधिक पीड़ित महिलाओं को कुछ को न्यायालय से, तो कुछ को स्वयं के माध्यम से न्याय दिलवाया गया. कई अनाथ बेसहारे बच्चों को संस्था ने अपने आश्रम शांति शिशु वात्सल्य वाटिका में आश्रय देकर उनका लालन-पालन, शिक्षा आदि स्वयं के स्तर से बिना किसी सरकारी व गैर सरकारी आर्थिक सहायता के की. जब वे समझदार हुए तो कई बालकों को रोजगार से जोड़ दिया. कई बालिकाओं का विवाह किया.

संस्था द्वारा 1993 से 2000 तक गरीब बच्चों के लिए मात्र 40 रुपए फीस में विद्यालय भी संचालित किए गए, जिस विद्यालय से कई बच्चे नवोदय विद्यालय में पास हुए और आज सरकारी सेवाओं में भी कार्यरत हैं. संस्था और संस्था के कार्यकर्ताओं ने इन 33 वर्षों में कई उतार-चढ़ाव देखे, परन्तु कभी अपनी ईमानदारी के साथ समझौता नहीं किया.

कार्यक्रम में उपस्थित वक्ताओं ने कहा कि संस्था के साथ ही अध्यक्ष शांति ठाकुर जिन्हें आज सभी ग्लेशियर लेडी के नाम से जानते हैं, उनके द्वारा विगत 24 वर्षों से पर्यावरण के क्षेत्र में एक अलग व अहम कार्य किया जा रहा है, जो अब उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य बन गया है. मां गंगा के मुख्य आधार गंगोत्री ग्लेशियर, हिमालय एवं हिमनदियो को बचाना एवं उनका सरंक्षण करना उनका मुख्य उद्देश्य है. ग्लेशियर और हिमालय में मानवीय गतिविधियों में रोक लगे,  क्योंकि जितनी अधिक हिमालय क्षेत्र में मानवीय गतिविधियां बढ़ेंगी उतना ही हिमालय का तापमान बढ़ेगा और ग्लेशियरों के पिघलने की रफ्तार बढ़ेगी. अंततः नदियां धीरे-धीरे समाप्ति की ओर अग्रसर होंगी.

कार्यक्रम के अवसर पर संस्था की अध्यक्ष ग्लेशियर लेडी शांति ठाकुर, संस्था की सचिव कल्पना ठाकुर गुलेरिया एवं अन्य सदस्य अनुराधा चौहान, जयेंद्री मनचंदा, हेम श्वेता असवाल, उर्मिला देवी, कमला देवी, पूर्णा देवी, संदीप चौहान सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे.

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