Tag: प्रताप भैया

यों ही नहीं कहा गया था प्रताप भैया को पहाड़ का मालवीय

यों ही नहीं कहा गया था प्रताप भैया को पहाड़ का मालवीय

स्मृति-शेष
ग्यारहवीं पुण्यतिथि विशेष भुवन चंद्र पंत कहते हैं कि यदि एक महिला को शिक्षित करोगे तो उसकी आने वाली पूरी पीढ़ी शिक्षित होगी और यदि एक स्कूल खुलेगा तो 100 जेलों के स्वतः दरवाजे बन्द होंगे. शिक्षा सभ्य because समाज का वह प्रवेश द्वार है, जहां से व्यक्तित्व के विकास के सारे दरवाजे खुलते हैं. इसलिए विद्यादान को सर्वोपरि माना गया है. एक विद्यालय खोलना मतलब अनन्त काल तक उसके माध्यम से अनन्त पीढ़ियों का उद्धार. लेकिन यदि आपने सैंकड़ों स्कूल खोलकर समाज को शिक्षित करने का कार्य किया है, तो निःसंदेह इससे बड़ा परोपकार कोई हो नहीं सकता. नैनीताल नैनीताल के प्रताप भैया ने दर्जनों विद्यालय खोलकर ऐसा ही कुछ कर दिखाया, जिससे उन्हें उत्तराखण्ड के मालवीय कहा गया. इन विद्यालयों के प्रारंभिक दौर में घर-धर जाकर चन्दा इकट्ठा करने से लेकर आवश्यक संसाधन जुटाने को लेकर किन कठिनाइयों से गुजरना पड़ा यह तो या उन ...
शिक्षा प्रसार का ऐसा जुनून प्रताप भैया में ही देखा जा सकता था

शिक्षा प्रसार का ऐसा जुनून प्रताप भैया में ही देखा जा सकता था

स्मृति-शेष
प्रताप भैया की 10वीं पुण्यतिथि पर विशेष भुवन चन्द्र पन्त लखनऊ विश्वविद्यालय से राजनीति का ककहरा शुरू कर महज 25 वर्ष में उत्‍तर प्रदेश विधानसभा का सदस्य और 35 वर्ष की उम्र में उत्‍तर प्रदेश में पहली बार बनी गैरकांग्रेसी सरकार में कैबिनेट मंत्री का ओहदा पा लेने वाले प्रताप भैया यदि राजनीति के लिए बने होते तो शायद शीर्ष तक पहुंचते. लेकिन चाटुकारिता से कोसों दूर राजनीति को उन्होंने मात्र समाजसेवा के माध्यम से ज्यादा तवज्जो ही नहीं दी. लखनऊ या दिल्ली में ही बैठकर राजनीति करते तो आजीविका का प्रश्न था, इसलिए जब मंत्री पद छोड़ा तो सीधे अपने वकालत के पेशे में जुट गये. जब लोग उनसे दिल्ली,  लखनऊ में बैठकर राजनीति करने की सलाह देते तो उनका उत्तर होता, समाजसेवा केवल पद पर बैठकर ही नहीं की जा सकती,  हां नीति निर्माण में सक्रिय भागीदारी अवश्य रहती है, जब कि एक वकील के पेशे के साथ भी समाजसेवा के सा...