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तार-तार होती गांवों की परंपरा, घर-घर पैदा हो रहे नेता

तार-तार होती गांवों की परंपरा, घर-घर पैदा हो रहे नेता

समसामयिक
पंचायत चुनाव किस्त— 1 शशि मोहन रवांल्टा मारी तो शरीप कंसराओ... मारी तो शरीप ये उंच बौख क डांडा कंसराओ ह्यू पड़ी बरिफ ये।। कंसराओ (कंसेरू) भटाओ (भाटिया) केशनाओ (कृष्णा).... हेड़ खेलण जाणू ये.... कंसराओ, भटाओ, केशनाओ.... हिमालय तीन गांवों का यह गीत अपने आप में एक because बहुत ही गहन संदेश छिपाए हुए है, जिसमें तीन गांवों की एकता को गीत के माध्यम से बखूबी दर्शाया गया है। इस लोक गीत के माध्यम से यह बताने की कोशिश की है कि इन तीनों की गांवों की एकता अटूट है। बर्फ हिमालय की ऊंची चोंटियां because जब बर्फ से आच्छादित हो जाती हैं, तो हम रवांल्टे अपने उच्च हिमालय क्षेत्र में आखेट करने जाते हैं जो हमारे हक—हकूक में शामिल है। जब हिमालय की because ऊंची चोटियों के साथ—साथ हमारे गांव—गोठ्यार तक बर्फ से लक—दक हो आते हैं तो उस दौरान हम हिमालय के वांशिदें अपनी पुरानी परंपराओं को आगे बढ़ाते ह...