तार-तार होती गांवों की परंपरा, घर-घर पैदा हो रहे नेता
पंचायत चुनाव किस्त— 1 शशि मोहन रवांल्टा मारी तो शरीप कंसराओ… मारी तो शरीप ये उंच बौख क डांडा कंसराओ ह्यू पड़ी बरिफ ये।। कंसराओ (कंसेरू) भटाओ (भाटिया) केशनाओ (कृष्णा)…. हेड़ खेलण जाणू ये…. कंसराओ, भटाओ, केशनाओ…. हिमालय तीन गांवों का यह गीत अपने आप में एक because बहुत ही गहन संदेश छिपाए हुए है, […]
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