Tag: Uttarakhand Traditional Grinder

ढाई दिन के झोंपड़े की तरह ढाई दिन का प्यार!

ढाई दिन के झोंपड़े की तरह ढाई दिन का प्यार!

संस्मरण
घट यानी पनचक्की (घराट) डॉ. हरेन्द्र सिंह असवाल पिछली सदी की बात है. उनके लिए जिन्होंने ये देखा नहीं, लेकिन हमारे लिए तो जैसे कल की बात है कि हम रविवार को पीठ में तीस पैंतीस किलो गेहूं, जौ  लादकर घट जा रहे हैं. दूर से ही देख रहा हूँ जैसे घट का पानी टूटा हुआ है और मैं दौड़ रहा हूँ. जैसे ही घट पर पहुँचा तब तक किसी ने पानी लगा दिया और मैं पिछड़कर दूसरे या तीसरे नंबर पर पहुँच गया हूँ. थोड़ा निराश, थोड़ा नज़र इधर-उधर देखकर और फिर सोच रहा हूँ   कि दूसरा घट ख़ाली होगा ? यह सिलसिला हर दूसरे  हफ़्ते में चला ही रहता. घट का पानी टूटना और लगना उसके चलने और न चलने से जुड़ा है. ये घट भी दो तरह के होते थे, एक तो सदा बहार होते  दूसरे बरसाती. बरसाती घट तीन महीने ही चल पाते थे. ऐसे हमारे गांव में कालोगाड पर तीन घट थे एक ग्वाड़  में  नाखून के  काला ताऊ जी का था, दूसरा  गहड़ गाँव के गुसाईं जी का और तीसरा ...