वसन्त पंचमी : सारस्वत सभ्यता, समाराधना और साधना का पर्व
वसन्त पंचमी पर विशेष
डॉ. मोहन चंद तिवारी
आज वसंत पंचमी का दिन सारस्वत समाराधना का पावन दिन है.वसंत पंचमी को विशेष रूप से सरस्वती जयंती के रूप में मनाया जाता है. सरस्वती देवी का आविर्भाव दिवस होने के कारण यह because दिन श्री पंचमी अथवा वागीश्वरी जयंती के रूप में भी प्रसिद्ध है. प्राचीन काल में वैदिक अध्ययन का सत्र श्रावणी पूर्णिमा से प्रारम्भ होकर इसी तिथि को समाप्त होता था तथा पुनः नए शिक्षासत्र का प्रारम्भ भी इसी तिथि से होता था. इसलिए वसन्त पंचमी को सारस्वत साधना का पर्व माना जाता है. इस दिन सरस्वती के समुपासक और समस्त शिक्षण संस्थाएं नृत्य संगीत का विशेष आयोजन करते हुए विद्या की अधिष्ठात्री देवी की पूजा अर्चना करती हैं.
पावन ऋतु
भारतीय परम्परा में देवी सरस्वती ज्ञान विज्ञान की अधिष्ठात्री देवी ही नहीं बल्कि 'भारतराष्ट्र' को पहचान देने वाली देवी भी है. ऋग्वेद के अनुसार वंसत प...