Tag: पृथ्वी दिवस

पृथ्वी दिवस विशेष : वसुंधरा की पुकार

पृथ्वी दिवस विशेष : वसुंधरा की पुकार

कविताएं
मोनिका डागा ‘आनंद’, चेन्नई, तमिलनाडु   वसुंधरा कर रही आर्द्र करूण पुकार, हे मानव ! मत करो इतना अत्याचार, मातृभूमि, कर्मभूमि, तुम्हारी मॉं हूँ मैं, अनुचित है तुम्हारा ये घृणित व्यवहार । अतिशय कर रहे हो तुम जंगलों का दहन, अत्यधिक प्राकृतिक संपदाओं का खनन, पर्यावरण प्रदूषण से दूषित हो रहीं हूँ मैं, असहनीय गहन पीड़ा हो रही हैं अंतर मन । परिवर्तन है गहरा उथल पुथल हैं मची, समझाऊॅं कैसे तू हो गया हठी व लालची, तेरी महत्वाकांक्षाओं से तड़प रही हूँ मैं, अन्य जीव जन्तु हुएं घायल बात कहूँ सच्ची । ईश ने "आनंद" से सृष्टि का सृजन किया, तूने खिलवाड़ मचाया प्रेम को भंग किया, तेरे अमानवीय कृत्यों से बहुत क्रोधित हूँ मैं, तूने मेरी स्मिता, सुंदरता को शर्मसार किया । अहंकारी बन सीमाओं का तू करे उल्लंघन, बड़ा क्रूर विनाशकारी है ये तेरा पागलपल, भयावह कष्टों से पीड़ित हो धूंज रही हूँ ...
पृथ्वी पर ही जीवन है, बचा लें!

पृथ्वी पर ही जीवन है, बचा लें!

समसामयिक
पृथ्वी दिवस पर विशेष प्रो. गिरीश्वर मिश्र  अपने दौड़ भाग भरे व्यस्त दैनिक जीवन में हम सब कुछ अपने को ही ध्यान में रख कर सोचते-विचारते हैं और करते हैं. हम यह भूल जाते हैं कि यह पृथ्वी जिस पर हमारा आशियाना है मंगल, बुध की ही तरह का एक ग्रह है जो विशाल सौर मण्डल का एक सदस्य है . पृथ्वी के भौतिक घटक जैसे स्थल, वायु, जल, मृदा आदि जीव मंडल में जीवों को आश्रय देते हैं और उनके विकास और सवर्धन के लिए ज़रूरी स्रोत उपलब्ध कराते हैं. यह भी गौर तलब है कि अब तक के ज्ञान के हिसाब से धरती ही एक ऐसा ग्रह है जहां जीवन है. इस धरती पर हमारा पर्यावरण एक  परिवृत्त  की तरह है जिसमें वायु मंडल, जल मंडल, तथा स्थल मंडल के अनेक भौतिक और रासायनिक तत्व मौजूद रहते हैं. जैविक और अजैविक दोनों तरह के तत्वों से मिल कर धरती पर संचालित होने वाला पूरा जीवन-चक्र निर्मित होता है . इस जीवन-चक्र का आधार सिद्धांत विभिन्न तत्व...
‘पृथु वैन्य’ जिनके नाम पर ‘पृथिवी’ का नामकरण और लोकतंत्र की स्थापना हुई

‘पृथु वैन्य’ जिनके नाम पर ‘पृथिवी’ का नामकरण और लोकतंत्र की स्थापना हुई

पर्यावरण
 ‘पृथ्वी दिवस’ पर विशेष डॉ. मोहन चंद तिवारी आज 22 अप्रैल का दिन अंतरराष्ट्रीय जगत में ‘पृथ्वी दिवस’ (Earth Day) के रूप में मनाया जाता है. पृथिवी के पर्यावरण को बचाने के लिए ‘पृथ्वी दिवस’ की स्थापना अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन के द्वारा 1970 में की गई थी. ‘पृथ्वी दिवस’ की अवधारणा सभी पहाड़, नदियों, वनस्पतियों, महासागर, ग्राम-नगरों because के पर्यावरण संतुलन की चिंता को अपने आप में समाहित किए हुए.भारतीय परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो पूरे ब्रह्माण्ड में पर्यावरण की शांति 'पृथ्वी दिवस’ का मूल विचार है. अंतरराष्ट्रीय जगत मैंने अपने शोधग्रंथ "अष्टाचक्रा अयोध्या : इतिहास और परंपरा" (उत्तरायण प्रकाशन, दिल्ली, 2006) में 'भारतराष्ट्र' की अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए 'पृथु वैन्य' के because इतिहास पर भी विस्तार से चर्चा की है.और यह बताने का प्रयास किया है कि हमारे भारत में पृथिवी की रक्...