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लाटी का उद्धार

लाटी का उद्धार

किस्से-कहानियां
नीमा पाठक केशव दत्त जी आज लोगों के व्यवहार से बहुत दुखी और खिन्न थे मन ही मन सोच रहे थे ऐसा क्या अपराध किया मैंने जो लोग इस तरह मेरा मजाक उड़ा रहे हैं. जो लोग रोज झुक झुक कर because प्रणाम करते थे वे ही लोग आज मुंह पर हँस रहे थे. हर जगह धारे में, नोले में, चाय की दुकान में, खेतों में, बाजार में उन्हीं की चर्चा थी. और तो और उनके खुद के स्कूल में चार लोगों को इकठ्ठा देख कर उनको लग रहा था यहाँ भी सब उन्हीं की चर्चा कर रहे हैं. लोगों का अपने प्रति ऐसा व्यवहार उनको गहरा आघात पहुंचा गया. उन्होंने दुखी होकर घर से बाहर निकलना बंद कर दिया, स्कूल नहीं जाने के भी बहाने ढूंढने लगे. ज्योतिष उनकी पत्नी उनके इस तरह के व्यवहार को जानने की कोशिश कर रही थी, तो पांडेय जी बोले, “लछुली तूने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा, मेरा लोगों में मुंह दिखाना मुश्किल हो गया है अब तो मेरा मन नौकरी पर जाने का भी नहीं है.”  उसी...