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आजीविका से आत्मनिर्भरता तक: हिमोत्थान की पहाड़ी पहल को मिला “डूइंग गुड फॉर भारत अवार्ड्स 2025”

आजीविका से आत्मनिर्भरता तक: हिमोत्थान की पहाड़ी पहल को मिला “डूइंग गुड फॉर भारत अवार्ड्स 2025”

दिल्ली-एनसीआर
टाटा ट्रस्ट की सहयोगी संस्था हिमोत्थान को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के 20 गांवों में अपने समग्र ग्रामीण विकास प्रयासों से 1,000 से अधिक परिवारों की आय बढ़ाने के लिए पुरस्कार मिला परिवर्तनकर्ताओं के लिए एशिया के सबसे बड़े मंच ने टाटा ट्रस्ट की सहयोगी, देहरादून स्थित हिमोत्थान सोसाइटी को ग्रामीण विकास में उत्कृष्टता के लिए "डूइंग गुड फॉर भारत अवार्ड्स - 2025" से सम्मानित किया. यह पुरस्कार 12वें भारत सीएसआर और ईएसजी शिखर सम्मेलन - 2025 के दौरान प्रदान किया गया. हिमोत्थान सोसाइटी को यह सम्मान उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के 20 गाँवों में अपने समग्र ग्रामीण विकास प्रयासों के लिए मिला है, जिससे 1,000 से अधिक परिवारों को सीधे लाभ हुआ है. विभिन्न आजीविका गतिविधियों के माध्यम से, हिमोत्थान 1000 परिवारों की औसत वार्षिक आय 60,000 से 80,000 रुपये तक बढ़ा रहा है; साथ ही, प्रशिक्षण क्षमता भी बढ़ाई गई...
प्रकृति और जैविक उत्पादों से दिखाई स्वरोजगार की राह…

प्रकृति और जैविक उत्पादों से दिखाई स्वरोजगार की राह…

चमोली, देहरादून
अनीता मैठाणी स्थानीय संसाधन आधारित स्वरोजगार को मूल मंत्र मानने वाले निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे जगदम्बा प्रसाद मैठाणी वर्ष 1997 से अपने जन्म स्थान पीपलकोटी चमोली और उसके because आसपास स्वरोजगार के नवाचारी प्रयासों के लिए कृत संकल्प हैं. उनके ज्यादातर मित्र उन्हें जेपी के नाम से जानते हैं. शुरुआत में नेशनल एडवेंचर फाउंडेशन से जुड़े होने की वजह से एडवेंचर टूरिज्म और इकोटूरिज्म के प्रति सदैव because रूझान रहा. लेकिन वो जानते थे कि उत्तराखंड में इकोटूरिज्म या इससे मिलते-जुलते स्वरोजगार के संसाधन जैसे- जैविक उत्पाद, हस्तशिल्प, जड़ी-बूटी की खेती और फल तथा उद्यानिकी पहाड़ों में रोजगार उपलब्ध करा सकते हैं. उत्तराखंड उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वरोजगार के ना होने की वजह से ही पलायन हो रहा है. इसलिए अगर स्थानीय संसाधनों जैसे उद्यानिकी, बायोटूरिज्म, so ...