Tag: इगास

हरिबोधनी एकादशी यानी ‘बुढ़ दिवाई’ अथवा ‘इगास’

हरिबोधनी एकादशी यानी ‘बुढ़ दिवाई’ अथवा ‘इगास’

लोक पर्व-त्योहार
चन्द्रशेखर तिवारी दीपावली पर्व के बाद जो एकादशी आती है वह  सामान्यतः हरिबोधनी एकादशी  के नाम से जानी जाती है. इस एकादशी को उत्तराखंड के गढ़वाल अंचल में 'इगास' और कुमाऊं में 'बुढ़ दिवाई' (बूढ़ी दिवाली) कहा जाता  है. धार्मिक मान्यतानुसार  इस दिन चार माह के चार्तुमास में क्षीरसागर में योगनिद्रा में सोने के पश्चात भगवान श्रीबिष्णु जाग्रत अवस्था में आ जाते हैं. परम्परागत रूप से कुमाऊं अंचल में दीपावली का पर्व तीन स्तर पर मनाया जाता है.  सबसे पहले कोजागरी यानी शरद पूर्णिमा की छोटी दिवाली के रूप में बाल  लक्ष्मी की पूजा होती है, फिर मुख्य अमावस के दिन की दिवाली को युवा लक्ष्मी का पूजन होता है. चूंकि की इस अवधि में भगवान विष्णु निद्रा में रहते हैं सो अकेले  ही माता लक्ष्मी के पदचिन्ह  'पौ' की छाप  ऐपणों के साथ  दी जाती है. जबकि अंतिम तीसरी चरण की दिवाली बुढ़ दिवाई  (बूढ़ी दिवाली) के रुप में मनाई जाती...
पौड़ी के ऐरोली गांव में 40 साल बाद मनाई गई ईगास बग्वाल

पौड़ी के ऐरोली गांव में 40 साल बाद मनाई गई ईगास बग्वाल

पौड़ी गढ़वाल
हिमांतर ब्यूरो, पौड़ी राज्य सरकार तथा इसके सांसदों व विधायकों की अपील का लोगो पर असर दिखाई देने लगा है. सरकार की अपील कि ‘इगास-बग्वाल गांव में मनाये’ की तर्ज पर जनपद पौड़ी के चौबट्टाखाल because विधानसभा क्षेत्र के ऐरोली (तल्ली) में ग्रामवासियों द्वारा लगभग 40 बर्षो बाद गांव में इगास- बग्वाल मनाई गई. इस कार्यक्रम में दिल्ली, देहरादून, मुंबई, लखनऊ, कोटद्वार, हरिद्वार से 12 परिवार गांव पहुंचे तथा त्यौहार मनाया. ज्योतिष ऐरोली (तल्ली) विकासखंड पोखरा के because अंतर्गत एक पिछड़ा गांव है जहा पर आजादी के इतने साल बाद भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. गांव में मोटरमार्ग भी नहीं है. इन्ही सब कारणों से गांव से विगत में काफी पलायन हुआ है आज गॉव में सिर्फ 4 परिवार वास करते है. ज्योतिष इस अवसर पर ग्रामीणों द्वारा एक सभा भी आयोजित की गई जिसमे  भविष्य में गांव के विकास पर चर्चा हुई. साथ ही बाहर बस र...