Tag: आधुनिक भारतीय भाषा

हिंदी भाषा के लिए कुछ मत करो, बस गर्व करो

हिंदी भाषा के लिए कुछ मत करो, बस गर्व करो

साहित्‍य-संस्कृति
  हिंदी दिवस (14 सितंबर) पर विशेष डॉ. प्रकाश उप्रेती हिंदी की दुनिया का लगातार विस्तार हो रहा है. इस दुनिया के साथ हिंदी के बाजार का भी विस्तार हो रहा है. इसमें 'हिंदी भाषा' का कितना विस्तार हो रहा है यह संदेहास्पद है! यह संदेह तब और गहरा हो जाता है जब हम देखते हैं कि हिंदी पट्टी के सबसे बड़े राज्य और सबसे अधिक 'हिंदी भाषा की खपत' वाले राज्य की बोर्ड परीक्षा में वर्ष 2019 में 10 लाख बच्चे और 2020 में 8 लाख बच्चे हिंदी में फेल हो जाते हैं. फिर भी हमें बताया जाता है कि हिंदी की इस स्थिति पर विचार करने की बजाय हिंदी पर गर्व करना होता है. “14 सितंबर को हिंदी का श्राद्ध होता है और हम जैसे  हिंदी के पंडितों का यही दिन होता जब हम सुबह से लेकर शाम तक बुक रहते हैं” हिंदी का व्यक्ति, हिंदी का अखबार, हिंदी के विज्ञापन, हिंदी के नेता, हिंदी के शिक्षक सभी हिंदी पर गर्व करने को कहते हैं क्य...
उत्तराखंड की संस्कृति पर गुमान था कवि गुमानी को

उत्तराखंड की संस्कृति पर गुमान था कवि गुमानी को

स्मृति-शेष
डॉ. मोहन चंद तिवारी अगस्त का महीना आजादी,देशभक्ति और राष्ट्रीयता की भावनाओं से जुड़ा एक खास महीना है. इसी महीने का 4 अगस्त का दिन मेरे लिए इसलिए भी खास दिन है क्योंकि इस दिन 24 वर्ष पूर्व 4 अगस्त,1996 को गुमानी पंत के योगदान पर राष्ट्रीय समाचार पत्र 'हिदुस्तान' के रविवासरीय परिशिष्ट में 'अपनी संस्कृति पर गुमान था कवि गुमानी को' इस शीर्षक से मेरा एक लेख छपा था. मैंने दूसरे समाचार पत्रों में भी इसे कई बार प्रकाशनार्थ भेजा था लेकिन उन्होंने छापा नहीं, क्योंकि ज्यादातर राष्ट्रीय स्तर के सम्पादकों की मानसिकता होती है कि वे कुमाऊंनी कवि या कुमाऊंनी साहित्य से सम्बंधित लेखों को आंचलिक श्रेणी का मानते हुए राष्ट्रीय समाचार पत्रों में ज्यादा महत्त्व नहीं देते हैं.हालांकि नवरात्र और शक्तिपूजा और पर्व-उत्सवों पर 'नवभारत टाइम्स' और 'हिंदुस्तान' आदि समाचार पत्रों में मेरे लेख सन् 1980 से छपते रहे हैं. क...