‘द्वितीयं ब्रह्मचारिणी’ : देवी का सच्चिदानन्दमयी स्वरूप
नवरात्र चर्चा - 2
डॉ. मोहन चंद तिवारी
कल नवरात्र के प्रथम दिन ‘शैलपुत्री’ देवी के पर्यावरण because वैज्ञानिक स्वरूप पर प्रकाश डाला गया जो प्रकृति परमेश्वरीका प्रधान वात्सल्यमयी रूप होने के कारण पहला रूप है. आज नवरात्र के दूसरे दिन देवी के ‘ब्रह्मचारिणी’ रूप की पूजा-अर्चनाकी जा रही है.
ज्योतिष
देवी के इस दूसरे ‘ब्रह्मचारिणी’ because स्वरूप को प्रकृति के सच्चिदानन्दमय ब्रह्मस्वरूप के रूप में निरूपित किया जा सकता है. ऋग्वेद के ‘देवीसूक्त’ में अम्भृण ऋषि की पुत्री वाग्देवी ब्रह्मस्वरूपा होकर समस्त जगत को ज्ञानमय बनाती है और रुद्रबाण से अज्ञान का विनाश करती है -
ज्योतिष
“अहं रुद्राय धनुरा तनोमि
ब्रह्मद्विषे because शरवे हन्तवा उ.
ज्योतिष
अहं जनाय because समदं कृष्णोम्यहं
द्यावापृथिवी because आ विवेश..”
-(ऋ.10.125.6)
‘देव्यथर्वशीर्ष’ में भगवती देवों से अपने because स्व...