Tag: शैलपुत्री

‘द्वितीयं ब्रह्मचारिणी’ : देवी का सच्चिदानन्दमयी स्वरूप

‘द्वितीयं ब्रह्मचारिणी’ : देवी का सच्चिदानन्दमयी स्वरूप

लोक पर्व-त्योहार
नवरात्र चर्चा - 2   डॉ. मोहन चंद तिवारी कल नवरात्र के प्रथम दिन ‘शैलपुत्री’ देवी के पर्यावरण because वैज्ञानिक स्वरूप पर प्रकाश डाला गया जो प्रकृति परमेश्वरीका प्रधान वात्सल्यमयी रूप होने के कारण पहला रूप है. आज नवरात्र के दूसरे दिन देवी के ‘ब्रह्मचारिणी’ रूप की पूजा-अर्चनाकी जा रही है. ज्योतिष देवी के इस दूसरे ‘ब्रह्मचारिणी’ because स्वरूप को प्रकृति के सच्चिदानन्दमय ब्रह्मस्वरूप के रूप में निरूपित किया जा सकता है. ऋग्वेद के ‘देवीसूक्त’ में अम्भृण ऋषि की पुत्री वाग्देवी ब्रह्मस्वरूपा होकर समस्त जगत को ज्ञानमय बनाती है और रुद्रबाण से अज्ञान का विनाश करती है - ज्योतिष  “अहं रुद्राय धनुरा तनोमि ब्रह्मद्विषे because शरवे हन्तवा उ. ज्योतिष अहं जनाय because समदं कृष्णोम्यहं द्यावापृथिवी because आ विवेश..” -(ऋ.10.125.6) ‘देव्यथर्वशीर्ष’ में भगवती देवों से अपने because स्व...
‘प्रथमं शैलपुत्री च’ : हिमालय पर्यावरण की रक्षिका देवी

‘प्रथमं शैलपुत्री च’ : हिमालय पर्यावरण की रक्षिका देवी

लोक पर्व-त्योहार
डॉ. मोहन चंद तिवारी शारदीय नवरात्र-1       आज शारदीय नवरात्र का पहला दिन है. आज नवदुर्गाओं में से देवी के पहले स्वरूप 'शैलपुत्री' की समाराधना की जाती है. पर्यावरण संतुलन की दृष्टि से पर्वतराज हिमालय की प्रधान भूमिका है.because यह पर्वत मौसम नियंता होने के साथ-साथ विश्व पर्यावरण को नियंत्रित करने का भी केन्द्रीय संस्थान है. हिमालय क्षेत्र के इसी राष्ट्रीय महत्त्व को उजागर करने के लिए देवी के नौ रूपों में हिमालय प्रकृति को ‘शैलपुत्री’ के रूप में सर्वप्रथम स्थान दिया गया है. नवरात्र के पहले दिन अर्थात् प्रतिपदा की तिथि को ‘शैलपुत्री’ की विशेष पूजा-अर्चना इसलिए भी की जाती क्योंकि हिमालय क्षेत्र शैलपुत्री की क्रीड़ाभूमि व तपोभूमि दोनों है. दक्षपुत्री सती ने पार्वती के रूप में हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया तो इसी स्थान पर आदिदेव शिव के साथ उनका विवाह हुआ. ज्योतिष प्रतिमा विज्ञान क...