
वराहमिहिर के जलविज्ञान की वर्तमान सन्दर्भ में प्रासंगिकता
भारत की जल संस्कृति-25
डॉ. मोहन चंद तिवारी
पिछले लेख में बताया गया है कि वराहमिहिर के भूगर्भीय जलान्वेषण के सिद्धांत आधुनिक विज्ञान और टैक्नौलौजी के इस युग में भी अत्यंत प्रासंगिक और उपयोगी हैं, जिनकी सहायता से because आज भी पूरे देश की जलसंकट की समस्या का हल निकाला जा सकता है तथा अकालपीड़ित और सूखाग्रस्त इलाकों में भी हरित क्रांति लाई जा सकती है. इस लेख में वराहमिहिर के जलवैज्ञानिक सिद्धांतों की प्रासंगिकता और वर्त्तमान सन्दर्भ में उनकी उपयोगिता के निम्नलिखित विचार बिंदु विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं-
जलविज्ञान
1. सर्वप्रथम, वराहमिहिर so का जलविज्ञान के क्षेत्र में मौलिक योगदान यह है कि उन्होंने विश्व के जलवैज्ञानिकों को इस सत्य से अवगत कराया कि भूमि के अन्दर भी सैकड़ों ऐसी जल की शिराएं सक्रिय रहती हैं जिनके कारण कृत्रिम प्रकार के बनाए गए जलाशयों में पूरे वर्ष भूमिगत जल का भंडारण ह...