Tag: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी

राष्ट्रपिता का भारत–बिम्ब और नैतिकता का व्यावहारिक आग्रह

राष्ट्रपिता का भारत–बिम्ब और नैतिकता का व्यावहारिक आग्रह

साहित्‍य-संस्कृति
गांधी जयंती (2 अक्टूबर) पर विशेष प्रो. गिरीश्वर मिश्र  इतिहास पर नजर दौडाएं तो यह स्पष्ट हो जाता है कि यह देश अतीत में सदियों तक मजहबी साम्राज्यवाद के चपेट में रहने के बाद अंग्रेजी साम्राज्यवाद, जो मुख्यत: because आर्थिक शोषण में विश्वास करता था, के अधीन रहा. राजनैतिक रूप से स्वतंत्र होने के बाद एक तरह के औपनिवेशिक चिंतन से ग्रस्त  अब वैश्वीकरण के युग में पहुँच रहा है. इस दौर में सामाजिक-सांस्कृतिक चिंतन के क्षेत्र में महात्मा गांधी का ‘हिन्द स्वराज’ सर्वाधिक सृजनात्मक उपलब्धि के रूप में उपस्थित हुआ. यह स्वयं में एक आश्चर्यकारी घटना है क्योंकि इस बीच पश्चिम से परिचय के बाद उसे अपनाते हुए हमारे मानसिक संस्कार तद्रूप होते गए. वह भाषा, व्यवहार, पहरावा तथा शिक्षा आदि सबमें परिलक्षित होता है. स्मरणीय है अमेरिकी चिंतन ने यूरोप से अलग दृष्टि स्वीकार की और रूस ने भी स्वायत्त चिंतन की दृष्टि वि...
कब पूरे होंगे गांधी जी के रामराज्य के अधूरे सपने

कब पूरे होंगे गांधी जी के रामराज्य के अधूरे सपने

इतिहास
राष्ट्रपिता की पुण्यतिथि पर विशेष डॉ. मोहन चंद तिवारी आज 30 जनवरी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की पुण्य तिथि है. इस दिन समूचा देश राष्ट्रपिता को देश की आजादी के लिए उनके द्वारा दिए गए योगदान हेतु अपनी because भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है.राष्ट्रपिता के दिशा निर्देशन में ही भारत की आजादी की लड़ाई लड़ी गई थी और उस स्वतंत्र भारत का लोकतांत्रिक और गणतांत्रिक स्वरूप कैसा होगा इस पर भी गांधी जी के द्वारा गम्भीरता से विचार विमर्श होता रहा था. गांधी जी के स्वराज का सपना था कि सत्ता लोगों के हाथ में होनी चाहिए न कि चुने हुए कुछ चंद लोगों के हाथ में.10 फरवरी, 1927 को 'यंग इंडिया' में गांधी जी ने लिखा- स्वराज ''सच्चा स्वराज मुट्ठी भर because लोगों के द्वारा सत्ता प्राप्ति से नहीं आएगा बल्कि सत्ता का दुरुपयोग किए जाने की सूरत में उसका प्रतिरोध करने की जनता की सामर्थ्य विकसित होने से आएगा...