Tag: महावीर रवांल्टा

रवांल्टी भाषा को बचाने के लिए विचार गोष्ठी एवं रवांल्टी विशेषांक का विमोचन

रवांल्टी भाषा को बचाने के लिए विचार गोष्ठी एवं रवांल्टी विशेषांक का विमोचन

उत्तरकाशी
नौगांव (उत्तरकाशी). यमुना वैली पब्लिक स्कूल में हिमांतर प्रकाशन से प्रकाशित रवांल्टी कविता विशेषांक का विमोचन और सम्मान समारोह आयोजित किया गया. देश के ख्यातिलब्ध साहित्यकार महावीर रवांल्टा को वाल्मीकीय रामायण का रवांल्टी में संक्षिप्त अनुवाद करने के लिए सम्मानित किया गया. इस दौरान गोष्ठी का भी आयोजन किया गया. इस मौके पर महावीर रवांल्टा ने कहा कि अपनी भाषा को बचाने के लिए हमें और अधिक गंभीर और सामूहिक प्रयास करने होंगे. उन्होंने रवांल्टी में कविता लेखन करने वाले युवाओं को प्रेरित करने के साथ यह संदेश भी दिया कि वे गंभीरता से लेखन करें. साथ ही यह भी कहा कि लेखन तभी अच्छा होगा, जब अध्ययन गहन होगा. इस दौरान महावीर रवांल्टा ने अपने प्रेरक संस्मरण भी सुनाए. जय प्रकाश सेमवाल ने कहा कि अपनी भाषा पर सबको गौरव होना चाहिए. अपनी लोकभाषा हमें अपनों से जोड़ने का काम करती है. डॉ. वीरेंद्र चंद न...
हमारे गौरव : पढ़ें प्रसिद्ध साहित्यकार महावीर रवांल्टा का ये लेख, कौन थे डिंगाड़ी गांव खेमचंद?

हमारे गौरव : पढ़ें प्रसिद्ध साहित्यकार महावीर रवांल्टा का ये लेख, कौन थे डिंगाड़ी गांव खेमचंद?

उत्तराखंड हलचल
महावीर रवांल्टा उतरकाशी जनपद में विकासखंड नौगांव का अंतिम गांव है सरनौल। बड़कोट से राजगढ़ी होकर सरनौल के लिए सड़क मार्ग है। बड़कोट से राजगढ़ी 18 किमी दूर है। वहां से सरनौल 21किमी पड़ता है। बताते हैं कि गोरखा शासनकाल (सन् 1803-1815 ई)से पहले राजगढ़ी का पहाड़ ‘ढोल डांडा’ के नाम से प्रसिद्ध था। इस पहाड़ के दोनों ओर की पहाड़ियों पर ढोलू भड़ का राज्य था, जिसका गढ़ संभवतः डांडे के ऊपर विलुप्त उनाला गांव के पास था। 15वीं ई में इस क्षेत्र का गढपति रावत जाति का ठाकुर था, जिसका अंतिम वंशज जीताण रावत हुआ, जिसका अधिपत्य 17वीं ईसवी में था। इसके क्षेत्र में दो गढ़ थे-पहला नंगाणगांव के समीप व दूसरा टटाव के समीप। इन्हीं गढ़पतियों द्वारा प्रशासित क्षेत्र को ठकराल पट्टी का नाम भी दिया गया। गोरखा आक्रमण के बाद उसके प्रशासकों ने ढोल डांडे के अग्र समतल स्थल पर एक किले का निर्माण किया और इसका नाम ‘गोरखाग...
प्रसिद्ध साहित्यकार महावीर रवांल्टा ने विद्यार्थियों को सुनाई ये खास कहानी

प्रसिद्ध साहित्यकार महावीर रवांल्टा ने विद्यार्थियों को सुनाई ये खास कहानी

उत्तराखंड हलचल
गंगा पुस्तक परिक्रमा कार्यक्रम शुरू किया गया है। विद्यार्थियों को कहानियों के जरिए पानी का महत्व बताया जा रहा है। उत्तरकाशी: राष्ट्रीय पुस्तक न्यास और शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार की ओर से जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार के साथ साझेदारी में गंगा पुस्तक परिक्रमा कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसके तहत विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में विद्यार्थियों को कहानियों के जरिए पानी का महत्व बताया जा रहा है। इसीके तहत काशी विश्वनाथ की नगरी उतरकाशी के श्री विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय के सभागार में उपस्थित छात्रों के बीच प्रसिद्ध साहित्यकार महावीर रवांल्टा ने पानी तो है! का पाठ किया गया। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास की ओर से मणिभूषण, मनीषा बिष्ट, सुशील कुमार के साथ ही महाविद्यालय के प्राचार्य जगदीश प्रसाद उनियाल, डॉ. अनिल बहुगुणा, लवलेश दुबे के साथ ही गंगा पर केन्द्रित चित्रकला प्रतियोगिता संपन्न करान...
रवांई के चर्चित हस्ताक्षर साहित्यकार महावीर रवांल्टा को मिलेगा ‘बाल साहित्य शिखर सम्मान’

रवांई के चर्चित हस्ताक्षर साहित्यकार महावीर रवांल्टा को मिलेगा ‘बाल साहित्य शिखर सम्मान’

उत्तरकाशी
पुरोला : रवांई गौरव और उत्तराखंड साहित्य गौरव महावीर रवांल्टा को एक और सम्मान मिलने जा रहा है। मातेश्वरी विद्यादेवी बाल साहित्य शोध एवं विकास संस्थान-सिरसा (हरियाणा) की ओर से उनको एकांकी विधा के लिए डॉ.सुरेन्द्र वर्मा बाल साहित्य शिखर सम्मान-2023 से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान उन्हें एक अक्टूबर को सिरसा में आयोजित होने वाले अखिल भारतीय बाल साहित्य सम्मेलन में दिया जाएगा। देश के प्रतिष्ठित साहित्यकार महावीर रवांल्टा को हाल ही में उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान भी मिला है। इसके अलावा उनको देश के कई प्रतिष्ठित सम्मान भी मिल चुके हैं। हिन्दी साहित्य के साथ ही अपनी लोक भाषा के संवर्धन और संरक्षण के लिए लगातार काम कर रहे हैं। रवांई का मान उन्होंने देशभर में बढ़ाया है। उनकी विभिन्न साहित्यक विधाओं में 36 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। बाल साहित्य के क्षेत्र में रचना संसार  नाम- महाबीर र...
प्रख्यात साहित्यकार महावीर रवांल्टा को मिलेगा ‘उत्तराखंड साहित्य गौरव’ सम्मान

प्रख्यात साहित्यकार महावीर रवांल्टा को मिलेगा ‘उत्तराखंड साहित्य गौरव’ सम्मान

उत्तरकाशी
उत्तरकाशी: देश के प्रतिष्ठित साहित्यकार महावीर रवांल्टा को उत्तराखंड भाषा संस्थान की ओर से उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित किया जाएगा. यह रवांई और रवांल्टी भाषा के लिए गौरव का पल है. महावीर रवांल्टा को हिन्दी साहित्य के लिए इससे पहले भी कई सम्मान मिल चुके हैं. उनके सम्मानों की सूची भले ही कितनी ही लंबी क्यों ना हो, लेकिन लोकभाषा के लिए मिलने वाला यह सम्मान उनके लिए बहुत मायने रखता है. सम्मान की घोषणा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की थी. इसके तहत राज्य की भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन करने वाले लोकभाषा साहित्यकारों का चयन किया जाना था. इसके लिए बाकायदा एक समिति का गठन किया गया था. चयन समिति ने रवांल्टी के लिए महावीर रवांल्टा का चयन किया. यह सम्मान 30 जून को सर्व चौक स्थिति आईआडीटी ऑडिटोरियम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी देंगे. मुझे बहुत सम्मान मिले हैं, लेकिन अपनी लोकभाषा ...
रंगमंच के विकास व समृद्धि में सत्येन्द्र शरत का अविस्मरणीय योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता 

रंगमंच के विकास व समृद्धि में सत्येन्द्र शरत का अविस्मरणीय योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता 

कला-रंगमंच
- स्मरण - महावीर रवांल्टा  27 मार्च 1987 को राजकीय पोलीटेक्निक उतरकाशी के वार्षिकोत्सव में मेरे निर्देशन में डा भगवतीचरण वर्मा द्वारा लिखित 'दो कलाकार' तथा सत्येन्द्र शरत द्वारा लिखित because 'समानान्तर रेखाएं' नाटक मंचित हुए थे. निर्देशन के साथ ही इनमें मैंने अभिनय भी किया था.' समानान्तर रेखाएं' में मैंने नरेश की भूमिका अभिनीत की थी.ये नाटक मैंने किसी पाठ्यक्रम के लिए प्रकाशित नाटक संग्रह से चुने थे.इनकी प्रस्तुति ने दर्शकों को प्रभावित किया था. बातचीत बुलन्दशहर में नौकरी के दौरान मुझे प्रकाशन विभाग, भारत सरकार की साहित्यिक पत्रिका 'आजकल' के माध्यम से जानकारी मिली थी कि सत्येन्द्र शरत दिल्ली में रहते हैं. because पत्रिका में उनके आलेख के साथ दिए पते पर मैंने उन्हें पत्र लिखा था लेकिन बहुत दिनों तक कोई उतर नहीं मिला. इसके बाद मैंने फिर पत्र लिखे. आखिर उनका पत्र आ ही गया जिसके म...
साहित्यकार एवं रंगकर्मी महावीर रवांल्टा सम्मानित

साहित्यकार एवं रंगकर्मी महावीर रवांल्टा सम्मानित

उत्तरकाशी
हिमांतर ब्यूरो, पुरोला श्री कमलेश्वर महादेव जीप,सुमो ड्राईवर एवं आनर्स समिति द्वारा सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं रंगकर्मी महावीर रवांल्टा को सम्मानित किया गया. समिति के पुरोला स्थित because कार्यालय में बेहद सादे आयोजन में समिति के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह रजवार, सचिव यशवीर पंवार, उपाध्यक्ष अरविन्द चौहान, संगठन मंत्री दिनेश मेहर, प्रचार मंत्री उमापति भट्ट, कोषाध्यक्ष सुरेश जोशी,संरक्षक दिलीप राणा, स्टेशन प्रभारी मनमोहन नौडियाल so व मनमोहन राणा, मालचंद, त्रिलोक राणा, गुरुदेव रावत सहित अनेक लोगों की उपस्थिति में उन्हें स्मृति चिन्ह व शाल भेंटकर सम्मानित किया गया. उत्तराखंड साहित्य की विभिन्न विधाओं में लेखनी चलाने वाले महावीर रवांल्टा की अब तक तीन दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. देशभर की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं के प्रकाशन के because साथ ही आकाशवाणी व दूरदर्शन से उनकी रचना...