Tag: भारतीय परम्परा

भगवान शिव को क्यों प्रिय है सावन का महीना?

भगवान शिव को क्यों प्रिय है सावन का महीना?

लोक पर्व-त्योहार
डॉ. मोहन चंद तिवारी 16 जुलाई को हरेला पर्व के साथ ही उत्तराखंड so में श्रावण का पवित्र महीना भी शुरु हो गया है.इस सावन के महीने में शिवाराधना बहुत ही पुण्यदायी और मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली होती है.भगवान को सावन का महीना बहुत प्रिय है क्योंकि वे इसी महीने अपनी शक्ति के साथ सायुज्य प्राप्त करते हुए समस्त सृष्टि का सर्जन करते हैं. 'शिव'- सर्वहारा वर्ग के संरक्षक देव शिव भारतीय परम्परा में शिव परब्रह्म,परमात्मा, रुद्र, महादेव आदि विभिन्न नामों से जाने जाते हैं. 'शिव’ शब्द की एक व्याख्या के अनुसार अनन्त तापों से संतप्त होकर प्राणी जहां विश्राम हेतु शयन करते हैं अथवा प्रलय की अवस्था में जगत् जिसमें शयन करता है उसे 'शिव’ कहते हैं -'शेरते प्राणिनो यत्र स शिवः’ अथवा 'शेते जगदस्मिन्निति शिवः.’ so भगवान् राम तथा कृष्ण का आविर्भाव क्रमशः त्रेता तथा द्वापर युग में होता है किन्तु शिव सृष्टि ...
सर्वहारा संस्कृति के ‘राष्ट्रदेवता’ शिव

सर्वहारा संस्कृति के ‘राष्ट्रदेवता’ शिव

लोक पर्व-त्योहार
महाशिवरात्रि पर विशेष डॉ. मोहन चंद तिवारी आज 11 मार्च के दिन फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की तिथि को महा शिवरात्रि का पर्व है. वर्ष में होने वाली 12 शिवरात्रियों में से फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की because महाशिवरात्रि का विशेष माहात्म्य है. माना जाता है कि इस दिन महादेव के विशालकाय स्वरूप अग्निलिंग के उदय से सृष्टि का आरम्भ हुआ. ऐसी भी लोक मान्यता रही है कि इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ हुआ था. महाशिवरात्रि से संबधित कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं.इनमें से एक कथा के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन समुद्र मंथन के समय निकले कालकूट नामक विष को भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण कर लिया था. क्यों की जाती है शिव की पूजा अर्द्धरात्रि में फाल्गुन मास की कृष्ण because चतुर्दशी की महाशिवरात्रि को 'ईशानसंहिता' में 'महानिशा’ कहा गया है. इसी घोर अन्धकार की अर्धरात्रि में शिव करोड़ों सूर्यों क...