Tag: भकार

दैंणी द्वार भरे भकार

दैंणी द्वार भरे भकार

संस्मरण
मेरे हिस्से और पहाड़ के किस्से भाग—7 प्रकाश उप्रेती मिट्टी और गोबर से लीपा, लकड़ी के फट्टों से बना ये- 'भकार' है. भकार (कोठार) के अंदर अमूमन मोटा अनाज रखा जाता था. इसमें तकरीबन 200 से 300 किलो अनाज आ जाता था. गाँव में अनाज का भंडारण, भकार में ही किया जाता था. साथ ही भकार कमरे के पार्टीशन का काम भी करता था. पहाड़ के घरों के अंदर का एस्थेटिक्स भकार से भी बनता था. भकार का होना समृद्धि का सूचक भी था. तब खूब खेती होती थी और इतने जंगली जानवर भी नहीं थे. खूब सारा अनाज हुआ करता था. इतना सारा अनाज खुले में रख नहीं सकते थे इसलिए हर घर में भकार रखना आवश्यक वस्तु थी. हमारे घर में दो भकार थे: एक में धान और दूसरे में मंडुवा रखा रहता था. ईजा धान और मंडुवा साफ करने के बाद, 'सुखा-पका' कर भकार में रख देती थीं. जब धान और मंडुवा कम हुआ तो फिर बाजार से गेहूं लाकर वो रखा जाने लगा. अब तो जो लोग खेती कर भी...