बड़ी खूबसूरती से निरूपित किया है जैव विविधता के सन्तुलन को सनातनी परम्परा में
भुवन चन्द्र पन्त
प्रारम्भिक स्तर की कक्षाओं के पाठ्यक्रम में बेसिक हिन्दी रीडर में एक पाठ हुआ करता था, जिसका शीर्षक अक्षरक्षः तो स्मरण नहीं हो पा रहा है, कुछ यों था कि वनस्पति एवं जीव-जन्तु परस्पर एक दूसरे पर निर्भर हैं. तब जैव विविधता जैसे शब्द नहीं खोजे गये थे, लेकिन जिस खूबसूरती से बालमन को वनस्पति एवं जीवजन्तुओं की परस्पर उपयोगिता समझाई गयी थी, उसे जैव विविधता जैसे वजनदार शब्द से समझने से अधिक रोचक था. जैविक विविधता शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग वन्य जीव वैज्ञानिक रेमंड एफ डेशमैन द्वारा 1968 में ’ए डिफरेंट काइंड ऑफ कन्ट्री’ नामक पुस्तक में किया है. पहले बायोलॉजिकल डायवर्सिटी के नाम से because और फिर सन् 1986 के बाद संक्षिप्तिीकरण कर बायोडायवर्सिटी यानी जैव विविधत शब्द चलन में आया. बात जब पर्यावरण व पारिस्थितिकीय की आती है, तो आज हर एक की जुबान पर जैव विविधता शब्द अपनी जगह बना चुका है.
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