Tag: पर्यावरणविद

सुन्दरलाल बहुगुणा: एक युग का अवसान

सुन्दरलाल बहुगुणा: एक युग का अवसान

स्मृति-शेष
चारु तिवारी उनका नाम हम बचपन से ही सुनते रहे थे. मैं समझता हूं कि हमारी पीढ़ी ने उन्हें एक आइकन के रूप में देखा. कई संदर्भो में. कई पड़ावों में. उन्हें भले ही एक पर्यावरणविद के रूप में लोगों ने पहचाना हो, लेकिन उनका सामाजिक, राजनीतिक चेतना में भी बड़ा योगदान रहा है. पर्यावरण को बचाने की अलख या हिमालय के because हिफाजत के सवाल तो ज्यादा मुखर सत्तर-अस्सी के दशक में हुये. ये सवाल हालांकि अंग्रेजों के दमनकारी जंगलात कानूनों और लगान को लेकर आजादी के दौर में भी उठते रहे है, लेकिन उन्हें बहुत संगठित और व्यावहारिक रूप से जनता को समझाने और अपने हकों को पाने के लिये उसमें शामिल होने का रास्ता उन्होंने दिखाया. मूलांक आजादी के आंदोलन में पहाड़ से बाहर उनकी भूमिका लाहौर-दिल्ली तक रही. टिहरी रियासत की दमनकारी नीति के खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई. एक दौर में उत्तराखंड की कोई हलचल ऐसी नहीं थी, जिसमें उनकी केन्...
एक ‘खामोश नायक’ का ‘जीवंत किवदंती’ बनने का जीवनीय सफ़र

एक ‘खामोश नायक’ का ‘जीवंत किवदंती’ बनने का जीवनीय सफ़र

स्मृति-शेष
डॉ. अरुण कुकसाल ‘श्री नलनीधर जयाल आज किन्नौर की खूबसूरत वादियों में एक ‘जिंदा कहानी’ के तौर पर लोगों के दिल-दिमागों, वहां के बाग-बगीचों, खेत-खलिहानों, स्कूलों, लोगों के शानदार रोजगारों और प्राकृतिक एवं मानवीय समृद्धि के अनेकों रंग-रूपों में रचे-बसे हैं. वह किन्नौर में एक ‘जीवंत किवदंती’ हैं. किसी भी इंसान के जीवन में सफलता का इससे सुंदर और क्या मुकाम हो सकता है, कि वह अपने कामों और नेक-नियत के बदौलत लोगों के दिल-दिमागों में एक जीवंत किवदंती ही बन जाए.’ (कुसुम रावत, पृष्ठ-130) जांबाज फाइटर पाइलट से लोकप्रिय पर्यावरणविद बनने के जीवनीय सफर के दौरान श्री जयाल काबिल नौकरशाह, साहसी पर्वतारोही, शानदार फोटोग्राफर, चर्चित लेखक, कुशल प्रशिक्षक, अग्रणी सामाजिक कार्यकर्ता, जिज्ञासू अघ्येता, और दूरदर्शी चिंतक रहे. उनके बहुआयामी व्यक्तित्व के और भी आयाम हैं. परन्तु यह भी सच है कि उनका व्यक्तित्व प...