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ट्यूलिप के फूल

ट्यूलिप के फूल

किस्से-कहानियां
कहानी एम. जोशी हिमानी आज दिसम्बर की 26 तारीख हो गई है. ठंड अपने चरम पर पहुंच चुकी है. मौसम के मिजाज से लग रहा है एकाध दिन में यहां अच्छी बरफ गिरेगी. गंगा खुश है कि बरफ अच्छी गिरेगी तो उसकी क्यारियों में ट्यूलिप भी बहुत अच्छे फूल देंगे तथा बगीचे में लगे सेबों की मिठास भी बढ़ जायेगी गंगा ऊनी टोपी तथा मफलर से अपने कानों को अच्छी तरह ढक लेती है. साड़ी उससे अब पहनी नहीं जाती. ऊनी गाउन के नीचे ऊनी लैगिंस, ऊपर से गरम ओवर कोट डाले, होंठों में मौसम के अनुकूल लिपस्टिक, चेहरे से टपकते अभिजात्य को देखकर पहली नजर में गंगा को हर कोई अंग्रेज मैम समझता था. मुक्तेश्वर के टाप में बना उसके दादा के जमाने का वह घर, जिसमें गर्मियों में परिवार के एकाध सदस्य अपने नौकरों के साथ जानवरों को लेकर आकर रहते थे यहां पर चार महीने तथा अगले 6-8 महीने के लिए जानवरों तथा जलावन के लिए सूखी लकड़ियों का ढेर कमरों के भीतर...