फिर शुरू हुआ जीवन
बुदापैश्त डायरी : 6
डॉ. विजया सती
नए देश में हम अपने देश को भी नई दृष्टि से देखते हैं. ऐसा ही होता रहा हमारे साथ बुदापैश्त में ..अपने जाने-पहचाने जीवन की नई-नई छवियाँ खुलती रही हमारे सामने.
विभाग में हिन्दी पढ़ने वाले युवा विद्यार्थियों की पहली पसंद होती – भारत जाने पर बनारस की यात्रा! उन्हें राजस्थान के रंगों का भी मोह था. हम भी बनारस को नए सिरे से देखने को ललक उठते, ऐसा क्या है हमारे बनारस में जो अब तक हम न देख पाए?
क्षमा कीजिएगा... बनारस नहीं, उनकी वाराणसी ! बहुत जागरुक और चौकन्ना होना होता है हमें अपने देश के लिए परदेश में. ...
भारतीय भोजन को लेकर तरह-तरह के भ्रम थे - उन्हें मिटाना था. रोजमर्रा का वह जीवन जब दिल्ली जैसे शहर में सड़कों पर हमारे साथ-साथ गाय भी चले, इस पर उनसे क्या कहना हुआ, यह सोचना था.
सबसे बढ़कर भारत में स्त्री. कितने-कितने सवाल - असुरक्षित है उनका जीवन...