Tag: जलवायु परिवर्तन

सिर्फ सेल्फ़ी के लिए नहीं, अब पौधे ग्रीन क्रेडिट के लिए लगाएं

सिर्फ सेल्फ़ी के लिए नहीं, अब पौधे ग्रीन क्रेडिट के लिए लगाएं

पर्यावरण
भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 'ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम (जीसीपी)' कार्यान्वयन नियमों के मसौदे को सार्वजनिक करते हुए एक बेहतर और पर्यावरण हित में एक साहसिक कदम उठाया है. इस अभूतपूर्व पहल का उद्देश्य एक प्रतिस्पर्धी बाज़ार का लाभ उठाते हुए उसमें शामिल विभिन्न हितधारकों द्वारा स्वैच्छिक पर्यावरणीय कार्यों को प्रोत्साहित करना है. ग्रीन क्रेडिट कार्यक्रम शुरू करके, सरकार घरेलू कार्बन बाजार का पूरक बनाना चाहती है और कंपनियों, व्यक्तियों और स्थानीय निकायों को 'ग्रीन क्रेडिट' नामक प्रोत्साहन की एक अनूठी इकाई के माध्यम से उनके द्वारा किए गए पर्यावरण के संदर्भ में टिकाऊ या सस्टेनेब्ल कार्यों के लिए पुरस्कृत करना चाहती है. क्या है नया? पारंपरिक कार्बन क्रेडिट प्रणालियों के विपरीत, ग्रीन क्रेडिट सिस्टम पर्यावरणीय दायित्वों की एक विस्तृत श्रृंखला को शामिल करने के लिए CO2 ...
जलवायु परिवर्तन मानवजनित ही है: 99.9% अध्ययन

जलवायु परिवर्तन मानवजनित ही है: 99.9% अध्ययन

पर्यावरण
निशांत लगभग शत-प्रतिशत शोध यह कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन किसी प्राक्रतिक नियति का हिस्सा नहीं, बल्कि हमारी आपकी गतिविधियों का ही नतीजा है. because इस बात को सामने लायी है एक रिपोर्ट जिसने 88,125 जलवायु-संबंधी अध्ययनों के एक सर्वेक्षण में पाया कि 99.9% से अधिक अध्ययन यह मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन मानव जनित ही है. ज्योतिष ध्यान रहे कि साल 2013 में, 1991 और 2012 के बीच प्रकाशित अध्ययनों पर हुए इसी तरह के एक सर्वेक्षण में पाया गया था कि 97% अध्ययनों ने इस विचार का समर्थन किया कि मानव because गतिविधियां पृथ्वी की जलवायु को बदल रही हैं. वर्तमान सर्वेक्षण 2012 से नवंबर 2020 तक प्रकाशित साहित्य की जांच से यह बताता है कि आंकड़ा 97% से बढ़ कर 99.9% हो गया है. ज्योतिष कॉर्नेल विश्वविद्यालय के एलायंस फॉर because साइंस के एक विजिटिंग फेलो एवं इस पत्र के प्रमुख लेखक मार्क लिनास ने कहा की, "ह...
जलवायु संकट और कोविड ने मिलाया हाथ, 140 मिलियन लोग झेल रहे एक साथ

जलवायु संकट और कोविड ने मिलाया हाथ, 140 मिलियन लोग झेल रहे एक साथ

पर्यावरण
निशांत   चरम मौसम की घटनाओं और महामारी ने न सिर्फ एक साथ लाखों लोगों को बुरी तरह प्रभावित किया है, बल्कि जलवायु और कोविड संकट के संयोजन ने रिलीफ़ because (राहत-सहायता प्रतिक्रिया) प्रयासों में बाधा डालने के साथ-साथ 'अभूतपूर्व' मानवीय ज़रूरतें पैदा की हैं। यह कहना है इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस एंड रेड क्रिसेंट सोसाइटीज़ (IFRC) की एक रिपोर्ट का. ज्योतिष इस रिपोर्ट के अनुसार, 140 मिलियन लोग - रूस की लगभग पूरी आबादी के बराबर - महामारी के दौरान बाढ़, सूखा, तूफान और जंगल की आग से प्रभावित हुए हैं. because 65 से अधिक या पांच साल से कम उम्र के 660 मिलियन लोग हीटवेव (गर्मी की लहर) की चपेट में आ गए, जो संयुक्त राज्य अमेरिका की आबादी का लगभग दोगुना है. ज्योतिष कोविड की चपेट में आने के बाद से सबसे घातक घटना (जिसके लिए डाटा उपलब्ध है) पश्चिमी यूरोप में 2020 की हीटवेव थी, जिसमें बेल्जियम, फ...
विकास की होड़ में पर्यावरण का विनाश

विकास की होड़ में पर्यावरण का विनाश

पर्यावरण
विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून पर विशेष प्रकाश उप्रेती भारत में विकास की होड़ ने पर्यावरण के संकट को जन्म दिया. विकास के मॉडल का परिणाम ही है कि आज हर स्तर पर पर्यावरणीय संकट मौजूद है. विकास के मॉडल को because लेकर आजाद भारत में दो तरह की सोच और नीतियाँ रहीं हैं. एक जिसे नेहरू का विकास मॉडल कहा गया. जिसका ज़ोर मानव श्रम से ज़्यादा मशीनी संचालन में था जिसका आधार औद्योगिक और तकनीकी को बढ़ाव देना था, तो वहीं दूसरा मॉडल गांधी का था जोकि कुटीर और लघु उद्योगों के साथ मानव श्रम पर ज़ोर देता है. लेकिन भारत ने नेहरू के विकास मॉडल को अपनाया और गांधी धीरे-धीरे पीछे छूटते गए. अब यह पूँजी आधारित और संचालित विकास मॉडल धीरे-धीरे प्रकृति को नष्ट करने को आमादा है. इसका परिणाम पर्यावरण को लेकर उभरे अनेक आंदोलन और संघर्ष हैं. राजनैतिक विकास की आँधी में जल, जंगल और ज़मीन के अंधाधुंध दोहन ने पर्यावरण के प्रति ठ...
कैसे रखा जाये पृथ्वी के फेफड़े का ख्याल, जब ब्राज़ील में पर्यावरण बजट का हुआ बुरा हाल?

कैसे रखा जाये पृथ्वी के फेफड़े का ख्याल, जब ब्राज़ील में पर्यावरण बजट का हुआ बुरा हाल?

पर्यावरण
निशांत पिछले हफ्ते भारत से वैक्सीन पा कर ब्राज़ील के प्रधान मंत्री जैयर बोल्सनारो ने हनुमान जी द्वारा संजीवनी बूटी लाने वाले प्रकरण को याद करते हुए एक ट्वीट कर भारत को आभार व्यक्त किया और अच्छी ख़ासी सुर्खियाँ बटोरीं. बोल्स्नारो एक बार फिर सुर्ख़ियों में हैं. लेकिन गलत वजहों से. बोल्सनारो  बोल्सनारो को यूं ही because नहीं पर्यावरण विरोधी नहीं कहा जाता. बोल्सनारो प्रशासन एक बार फिर अपनी पर्यावरण विरोधी नीति के लिए सुर्ख़ियों में है. ब्राज़ील के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित 2021 का बजट पिछली शताब्दी के अंत के बाद से अब तक का सबसे कम बजट है. मौजूदा बजट प्रस्ताव बोल्सनारो प्रशासन द्वारा अपनाई गई पर्यावरणीय विघटन रणनीति को फिर से रेखांकित करता है. बजट दरअसल ब्राज़ील के पर्यावरण because मंत्रालय (MMA) और संबंधित एजेंसियों के लिए सरकार द्वारा प्रस्तावित 2021 का बजट पिछली शताब्दी क...
आज ही के दिन बदली थी कोविड को लेकर हमारी सोच

आज ही के दिन बदली थी कोविड को लेकर हमारी सोच

पर्यावरण
निशांत आज से ठीक एक साल पहले, 23 जनवरी 2020 को, चीन ने जब वुहान शहर में तालाबंदी लागू की थी, तब शायद पहली बार पूरी दुनिया ने कोविड को एक महामारी की शक्ल में संजीदगी से लिया था. खूबसूरती साल भर बाद आज कोविड-19 न सिर्फ पूरी दुनिया में ज़बरदस्त नुकसान पहुंचा चुका है, बल्कि इस ग्रह पर लगभग सभी की ज़िन्दगी को भी बदल चुका है. इस महामारी ने विश्व को because सोचने पर मजबूर कर दिया है और पुराने सभी मानदंडों को भी चुनौती भी दे दी है. इस वैश्विक महामारी ने जलवायु परिवर्तन के साथ मिल कर एक यौगिक संकट उत्पन्न कर दिया है. साथ ही प्रकृति के साथ मानव विकास को because संरेखित करने की आवश्यकता की याद दिला दी है, जो आने वाले वर्ष के लिए नई उम्मीदें प्रदान करता है. यह महत्वपूर्ण है कि हम कोविड 19 से सबक सीखें और साथ ही आगे के वर्ष  में उन चुनौतियों का समाधान करने की ओर आगे बढ़े. खूबसूरती कोविड-19 के...
जलवायु परिवर्तन हिमालय के भूगर्भीय जलस्तर को घटा रहा है : शोध

जलवायु परिवर्तन हिमालय के भूगर्भीय जलस्तर को घटा रहा है : शोध

पर्यावरण
ग्लेशियर पिघलने से जल स्रोतों की स्वतंत्रता पर गंभीर संकट… निशांत पानी के चश्मे हिमालय क्षेत्र के ऊपरी तथा बीच becauseके इलाकों में रहने वाले लोगों की जीवन रेखा हैं. लेकिन पर्यावरणीय स्थितियों और एक दूसरे से जुड़ी प्रणालियों की समझ और प्रबंधन में कमी के कारण यह जल स्रोत अपनी गिरावट की ओर बढ़ रहे हैं. भूमिगत जल यह कहना है इंडियन स्‍कूल ऑफ बिजनेस के भारती but इंस्‍टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी में रिसर्च डायरेक्‍टर एवं एडजंक्‍ट एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्‍टर अंजल प्रकाश का. ऑब्‍जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित डॉक्‍टर अंजल प्रकाश के इस अध्ययन के मुताबिक़ पानी के यह चश्मे जलापूर्ति के प्रमुख स्रोत है और वह भूतल और भूगर्भीय जल प्रणालियों के अनोखे संयोजन से फलते-फूलते और बदलते हैं. so माकूल हालात में जलसोते या चश्मे के जरिए भूगर्भीय जल रिसकर बाहर आता है. यह संपूर्ण हिमालय क्षेत्र के तमाम शहर...