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गोपाल गोस्वामी : कालिदास जैसे विरह गीतों के रचनाकार

गोपाल गोस्वामी : कालिदास जैसे विरह गीतों के रचनाकार

स्मृति-शेष
 गोपाल बाबू गोस्वामी  के जन्मदिन (2 फरवरी) पर विशेष डॉ. मोहन चंद तिवारी आज 2 फरवरी को देशभक्ति और नारी संवेदनाओं को हृदयस्पर्शी समवेत स्वर देने वाले उत्तराखंड सुर सम्राट स्वर्गीय गोपाल बाबू गोस्वामी का जन्मदिन है. उत्तराखंड गौरव गोपाल बाबू भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं परंतु पहाड़ से पलायन के इस दौर में उनके द्वारा गाए हुए ‘घुघुती ना बांसा’, 'कैले बाजे मुरूली' जैसे गीतों की याद से बरबस पहाड़ से बिछड़ने की वेदनाएं मार्मिक रूप से उभरने लगती हैं. because गायक गोपाल बाबू गोस्वामी की कला साधना उत्तराखण्ड की महान धरोहर है. उनके द्वारा गाए गीतों में पहाड़ की लोक संस्कृति और उससे उभरी समस्याओं की असली लोकपीड़ा भी अभिव्यक्त हुई है. पर्वतीय जनजीवन में पहाड़, नदी, पेड़, पौधे और घुघुती आदि उनके सुख दुःख के पर्यावरण मित्र हैं. ये ही वे पांच तत्त्व हैं जिनसे किसी कविता या गीत की आत्मा बनती है,जिसे हम...