Tag: गणतंत्र दिवस

उत्तराखंड : सरकारी स्कूलों में ज्यादा बच्चों का एडमिशन कराने का संकल्प

उत्तराखंड : सरकारी स्कूलों में ज्यादा बच्चों का एडमिशन कराने का संकल्प

उत्तराखंड हलचल
देहरादून :  डोईवाला में गणतंत्र दिवस पर ग्रामीणों ने अनोखी पहल की। लोगों नें प्रभात फेरी निकाल रहे सरकारी स्कूल के छात्रों को कॉफी व मिष्ठान बांटे। इसके साथ ही सरकारी स्कूलों में ज्यादा से ज्यादा दाखिले कराने का संकल्प लिया। प्रदेशभर में गणतंत्र दिवस का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस मौके पर राजकीय प्राथमिक स्कूलों के छात्रों ने प्रभात फेरी निकाल देश भक्ति गीतों से देश प्रेम की भावना को जागृत किया। बुल्लावाला गांव के ग्रामीण भी इसका हिस्सा बने। वर्तमान में अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला कराने से परहेज कर रहे हैं। इसी दूरी को कम करने के लिए ग्रामीणों द्वारा प्रभात फेरी में शामिल सरकारी स्कूलों के सैकड़ों छात्रों के लिए कॉफी व मिष्ठान वितरण किया और सरकारी स्कूलों में ज्यादा से ज्यादा दाखिले कराए जाने के संकल्प लेने के साथ बड़ा संदेश दिया। सामाजिक कार्यकर्...
गणतंत्र का आह्वान सुनें!

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देश—विदेश
26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर विशेष प्रो. गिरीश्वर मिश्र  चौहत्तर साल पहले आज ही के दिन भारत की संसद ने देश की शासन व्यवस्था चलाने के लिए एक संविधान स्वीकार किया था जिसने भारत सरकार अधिनियम-1935 की जगह ली. इस संविधान का आरम्भ उसकी उद्देशिका (प्रिएम्बल) के साथ होता है और उद्देशिका का आरम्भ संविधान को लेकर कुछ आधारभूत स्थापनाओं के लिए भारतीय समाज की प्रतिश्रुति के साथ होता है. ये प्रतिश्रुतियाँ संविधान का आधार बनती है और उसके प्रयोग की सम्भावनाओं और सीमाओं को भी रेखांकित करती हैं. न्याय , स्वतंत्रता , समता  और बंधुत्व के चार मानवीय और सभ्यतामूलक लक्ष्यों को समर्पित ये प्रतिश्रुतियाँ भारतीय समाज की उन भावनाओं के सार तत्व को प्रतिबिम्बित करती हैं जो एक आधुनिक राष्ट्र की परिकल्पना को मूर्त आकार देती हैं. एक तरह से पूरा संविधान ही इन्हीं प्रतिश्रुतियों को व्यवहार में लाने की व्यवस्था का विस्तार ...
आंदोलन के नाम पर अराजकता

आंदोलन के नाम पर अराजकता

कविताएं
उमेद सिंह बजेठा गणतंत्र दिवस हमारा पर्व है, सभी धर्मों संप्रदायों का गर्व है. हमने ही जय जवान तथा, जय किसान का नारा दिया. फिर क्यों आज किसान ने, जवान पर तलवार से प्रहार किया. लाल किला राष्ट्रीय स्मारक है, राष्ट्र के गौरव का प्रतीक है. इसकी सुरक्षा व सम्मान प्रत्येक, भारतीय का कर्तव्य पुनीत है. आंदोलन की आड़ में तौहीन, यह कतई बर्दाश्त नहीं. तिरंगे के स्थान पर किसी, अन्य को यह मान प्राप्त नहीं न भाषा मर्यादित है,  न आचरण प्रशंसनीय है. शांति व प्रेम से हल खोजो, टकराव की राह निंदनीय है. इतिहास के पन्ने पढ़कर, तुमने कुछ नहीं सीखा है. बलिदान को उनके भुला दिया, देश को जिन्होंने लहू से सींचा है. मत खेलो उन हाथों में, तोड़ना देश जो चाहते हैं. विफल करो षड्यंत्र सभी, ज्वाला नफ़रत जो फैलाते हैं. मिल बैठकर बातें कर लो, क्रोध विनाश का मूल है. वरना कुछ भी हासिल नहीं ह...