उत्तराखण्ड में कण्डाली की खेती हो सकती है रोजगार का सशक्त साधन
लेख एवं शोध जे.पी. मैठाणी
उत्तराखण्ड में प्रमुखतः दो प्रकार की कण्डाली पाई जाती है, 400 मीटर से 1400 मीटर तक की ऊँचाई तक उगने वाली सामान्य कण्डाली जिसे बिच्छू घास या बिच्छू बूटी भी कहते हैं। because डांस कण्डाली का वानस्पतिक नाम Girardinia heterophylla जिरार्डिनिया हैट्रोफाइला या Girardinia diversifolia जिरार्डिनिया डाइवर्सिफोलिया है। जबकि सामान्य कण्डाली का वानस्पतिक नाम Dioca urtica डायोका because अर्टिका है। कण्डाली की कोमल पत्तियों और शीर्ष वाले भाग को जिन पर तेज चुभने वाले कांटे होते हैं। और शरीर पर लगने से बेहद जलन होती है। इसका प्रयोग उत्तराखण्ड में सब्जी, काफली बनाने में किया जाता है। (यह आयरन का प्रमुख स्रोत है।)
यही नहीं कोरोना लॉकडाउन के दौरान कण्डाली because चाय के निर्माण और प्रयोग पर कई अभिनव प्रयास पूरे प्रदेश में हुए हैं और सामान्य कण्डाली रोजगार का अच्छा साधन...