Tag: कश्मीर

आस्था का सैलाब: चालदा महासू महाराज की प्रवास यात्रा का क्रम

आस्था का सैलाब: चालदा महासू महाराज की प्रवास यात्रा का क्रम

देहरादून
भारत चौहान कश्मीर से हनोल की महासू महाराज की प्रवास यात्रा का एक लंबा क्रम है, हनोल (Hanol) में प्रकटीकरण के पश्चात बोटा महाराज हनोल में ही विराजित रहते हैं. जबकि चालदा महाराज जौनसार-बावर, उत्तरकाशी (Uttarkashi) एवं हिमाचल (Himachal) प्रदेश में प्रवास करते हैं. चालदा महाराज की प्रवास यात्रा के इतिहास की लंबी कढ़ी है परंतु ब्रिटिश सरकार ने चालदा महाराज के प्रवास को दो भागों में विभक्त किया एक भाग साटी बिल (तरफ) मतलब जौनसार बावर एवं आंशिक हिमाचल का क्षेत्र जिसके वजीर दीवान सिंह जी है जो बावर क्षेत्र के बास्तील गांव के निवासी है और दूसरा भाग पासी बिल मतलब उत्तरकाशी जनपद व हिमाचल प्रदेश का क्षेत्र. जिसके वजीर जयपाल सिंह जी है जो ठडीयार गांव के निवासी है. (यहां यह बात ध्यान रखने योग्य है कि चालदा महाराज के वजीर महाराज के प्रवास यात्रा की संपूर्ण व्यवस्था करते हैं. कहां पर कब प्रवास होना है ...
क्या है चालदा महाराज के प्रवास यात्रा क्रम? जानिए…

क्या है चालदा महाराज के प्रवास यात्रा क्रम? जानिए…

देहरादून
भारत चौहान कश्मीर से हनोल की महासू महाराज की प्रवास यात्रा का एक लंबा क्रम है, हनोल में प्रकटीकरण के पश्चात बोटा महाराज हनोल में ही विराजित रहते हैं जबकि चालदा because महाराज जौनसार बावर, उत्तरकाशी एवं हिमाचल प्रदेश में प्रवास करते हैं ज्योतिष चालदा महाराज की प्रवास यात्रा के इतिहास की लंबी कढ़ी है परंतु ब्रिटिश सरकार ने चालदा महाराज के प्रवास को दो भागों में विभक्त किया एक भाग साटी बिल (तरफ) मतलब जौनसार बावर एवं आंशिक हिमाचल का क्षेत्र जिसके वजीर दीवान सिंह जी है जो बावर क्षेत्र के बास्तील गांव के निवासी है और दूसरा भाग पासी बिल because मतलब उत्तरकाशी जनपद व हिमाचल प्रदेश का क्षेत्र. जिसके वजीर जयपाल सिंह जी है जो ठडीयार गांव के निवासी है. (यहां यह बात ध्यान रखने योग्य है कि चालदा महाराज के वजीर महाराज के प्रवास यात्रा की संपूर्ण व्यवस्था करते हैं. कहां पर कब प्रवास होना है यह तय...
हिंदी की स्थिति, गति और उपस्थिति

हिंदी की स्थिति, गति और उपस्थिति

शिक्षा
भारत भाषाओं की दृष्टि से एक अद्भुत देश है जिसमें सोलह सौ से अधिक भाषाएं हैं… प्रो. गिरीश्वर मिश्र किसी भी देश के सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश में अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में भाषा बड़ी अहमियत रखती है. भाषा हमारे जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों में दखल देती है. because वह स्मृति को सुरक्षित रखते हुए एक ओर अतीत से जोड़े रखती है तो दूसरी ओर कल्पना और सर्जनात्मकता के सहारे अनागत भविष्य के बारे में सोचने और उसे रचने का मार्ग भी प्रशस्त करती है. भारत भाषाओं की दृष्टि से एक अद्भुत देश है जिसमें सोलह सौ से अधिक भाषाएं हैं जिनमें भारतीय आर्य उपभाषा और द्रविड़ भाषा परिवारों की प्रमुखता है. ऐसे में द्विभाषिकता यहाँ की एक स्वाभाविक भाषाई व्यवहार रूप है और बहुभाषिकता भी काफी हद तक पाई जाती है. आर्य भाषा समूह में आने वाली हिंदी मध्य देश में प्रयुक्त भाषा समूह का नाम है. इसके बोलने वाले एक विशाल भू भाग ...