Tag: ऊखीमठ

श्री केदारनाथ धाम के कपाट विधिवत बंद, मुख्यमंत्री धामी रहे मौजूद

श्री केदारनाथ धाम के कपाट विधिवत बंद, मुख्यमंत्री धामी रहे मौजूद

रुद्रप्रयाग
  इस वर्ष 17.68 लाख श्रद्धालुओं ने किए बाबा केदार के दर्शन केदारनाथ.  भैया दूज के पावन अवसर पर आज प्रातः 8:30 बजे भगवान शिव के ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए विधिवत रूप से बंद कर दिए गए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं उपस्थित रहे। कपाट बंद होने से पूर्व मंदिर को स्थानीय पुष्पों से सजाया गया और सेना के बैंड की भक्ति धुनों के साथ पूरा परिसर “हर हर महादेव” और “जय बाबा केदार” के उद्घोषों से गूंज उठा। ठिठुरन भरे मौसम में भी लगभग 10 हजार श्रद्धालु इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने।ब्रहममुहूर्त में मुख्य पुजारी बागेशलिंग और आचार्यगणों द्वारा यज्ञ, हवन एवं समाधि पूजन के पश्चात स्वयंभू शिवलिंग को ब्रह्मकमल, कुमजा, बुकला व अन्य पुष्पों से ढककर समाधि रूप दिया गया। तत्पश्चात गर्भगृह के द्वार बंद किए गए। इसके बाद पंचमुखी उत्सव डोली को रामपुर के लि...
प्रकृति व संस्कृति के समन्वित उल्लास का पर्व है फूल संगरांद

प्रकृति व संस्कृति के समन्वित उल्लास का पर्व है फूल संगरांद

लोक पर्व-त्योहार
बीना बेंजवाल, साहित्यकार चैत्र संक्रांति का पर्व प्रकृति व संस्कृति के समन्वित उल्लास से मन को अनुप्राणित कर देता है. बचपन की दहलीज से उठते हुए मांगलिक स्वर बुरांशों से लकदक जंगलों से होते हुए जब उत्तुंग हिमशिखरों को छूने लगते हैं तो मन को आवेष्टित किए हुए क्षुद्रताओं एवं संकीर्णताओं के कलुष वलय छंटने लगते हैं. ये लोकपर्व एक वृक्ष दृष्टि के साथ न केवल अपनी जड़ों से जोड़ता है वरन् लोकमंगल की ऊर्ध्वमुखी सोच से भी समृद्ध करता है. अपनी फुलकण्डियाँ लिए घर के बाहर खड़े नन्हें फुलारियों का संबोधन भीतर की तमाम जड़ता को तोड़ हर देहली-द्वार पर फूलों के साथ आत्मीय रिश्तों की भी एक रंगोली सजाने लगता है. सांस्कृतिक संपदा एवं प्राकृतिक सौंदर्य की धनी उत्तराखण्ड की यह धरती चैत्र संक्रांति पर फूल संगरांद या फूलदेई का अपना लोकपर्व कुछ इसी अंदाज में मनाती है. वैसे तो इस राज्य के हर पर्व, त्योहार एवं उत्सव की अप...