Tag: इतिहास

उत्तराखंड के इतिहास में बड़ी खोज, 1000 साल पुरानी मूर्ति, भगवान शिव के अवतार लकुलीश और पाशुपत धर्म    

उत्तराखंड के इतिहास में बड़ी खोज, 1000 साल पुरानी मूर्ति, भगवान शिव के अवतार लकुलीश और पाशुपत धर्म    

इतिहास, उत्तरकाशी
प्रदीप रावत (रवांल्टा)  इतिहास को समझना और जानना बहुत कठिन है. परत दर परत, जितनी भी नई परतों को कुरेदते जाएंगे, हर परत के पीछे एक नई परत निकल आती है. इतिहास का प्रयोग विशेष रूप से दो अर्थों में किया जाता है. एक है प्राचीन या विगत काल की घटनाएं और दूसरा उन घटनाओं के विषय में धारणा. इतिहास शब्द का because तात्पर्य है कि "यह निश्चय था". ग्रीस के लोग इतिहास के लिए हिस्तरी शब्द का प्रयोग करते थे. हिस्तरी का शाब्दिक अर्थ बुनना होता है. ऐतिहासिक धरोहर इतिहास की कुछ ऐसी ही बुनावट उत्तराखंड के उत्तरकाशी (Uttarkashi) जिले की यमुना घाटी (Yamuna Valley) में बिखरी पड़ी है. इस बनुवाट के बिखराव पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया. पुरातात्विक महत्व की इस ऐतिहासिक धरोहर को आज तक संजोन का प्रयास भी नहीं किया गया. पहली बार इतिहासकार डॉ. विजय बहुगुणा because ने यमुना घाटी के देवल गांव में बिखरी इतिहास की...
पाती प्रेम की

पाती प्रेम की

कविताएं
यामिनी नयन गुप्ता इतिहास के पन्नों में जाकर कालातीत होने को अभिशप्त हो गई परीपाटी चिट्ठियों की वह सुनहरा दौर, डाकिए का इंतजार साइकिल की घंटी डाक लाया का शोर, अब नजर नहीं आतीं लाल रंग की पत्र पेटियां प्रियतम की पाती का दौर; बूढ़ी आंखों की प्रतीक्षा कुशलक्षेम का समाचार, गौने की राह तकती नवयुवती का इंतजार आपसी संवाद का जरिया, संदेशे प्रेम के खलिहानों का दौर; सुदूर कंक्रीट के शहरों में जा बसे बेटे का खत… फक्त कागज का पुर्जा ना था, पुरानी चिट्ठियों को उलट-पलटकर बार-बार पढ़ने का सुख, रोजी-रोटी की टोह में सब हो गई बातें बीते समय की धैर्य मानो गया है चुक; अब नहीं भाता किसी को इंतजार प्रतीक्षा प्रत्युत्तर की, कभी समय मिले तो लगाओ हिसाब तकनीक ने कितना लिया और क्या दिया, चिट्ठियों के जरिए बांटा गया अपनापन रिश्तो को सहेजने-सवांरने का ढंग अब कभी लौटकर नहीं...
एक उजड़े गाँव की दास्तां

एक उजड़े गाँव की दास्तां

पिथौरागढ़
डॉ. गिरिजा किशोर पाठक इतिहास का अवलोकन किया जाये तो देखने को मिलेगा कि कई शहर, गाँव, कस्बे कालखंड विशेष में बसते और उजड़ते रहते हैं. कई सभ्यतायें और संस्कृतियाँ इतिहास का पन्ना बन कर रह जाती हैं. मोसोपोटामियां, सिंधु घाटी से लेकर कई सभ्यतायें आज पुरातात्विक अनुसंधान के विषय हैं. हाँ,  यह सच है कि शहरों के उजड़ने और बसने के कई कारण होते हैं. उत्तराखंड के संदर्भ में बात की जाय तो बड़े चौकाने वाले तथ्य सामने आते हैं. ब्रिटिश इंडिया में जो गाँव शत-प्रतिशत आवाद थे आजादी के सात दशकों बाद आज ये वीरान और बंजर हो गए हैं. जबकि ब्रिटिश भारत का विकास व्यापारिक हितों से प्रभावित था उसमें लोक कल्याणकारी राज्य का कोई दृष्टिकोण निहित नहीं था. सन 1947 के बाद तो एक लोकतान्त्रिक, लोक कल्याणकारी और समाजवादी सरकार ने काम करना शुरू किया. फिर इतना पलायन क्यों?  यह पलायन पूरे हिमालय और पूरी सीमाओं के लिए ग...
तिलाड़ी के शहीदों को याद करने का मतलब

तिलाड़ी के शहीदों को याद करने का मतलब

इतिहास, उत्तराखंड हलचल
30 मई शहादत दिवस पर विशेष आज 30 मई है. तिलाड़ी के शहीदों को याद करने का दिन. टिहरी राजशाही के दमनकारी चरित्र के चलते इतिहास के उस काले अध्याय का प्रतिकार करने का दिन. उन सभी शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि, जिन्होंने हमें अपने हक-हकूकों के लिये लड़ना सिखाया. चारु तिवारी  अरे ओ जलियां बाग रियासत टिहरी के अभिमान! रवांई के सीने के दाग, तिलाड़ी के खूनी मैदान! जगाई जब तूने विकराल, बगावत के गणों की ज्वाल. उठा तब विप्लव का भूचाल, झुका आकाश, हिला पाताल. मचा तब शोर भयानक शोर, हिला सब ओर, हिले सब छोर. तिड़ातड़ गोली की आवाज, वनों में गूंजी भीषण गाज. रुधिर गंगा में स्नान, लगे करने भूधर हिमवान. निशा की ओट हुई जिस ओर, प्रलय की चोट हुई उस ओर. निशाचर बढ़ आते जिस ओर, उधर तम छा जाता घन-घोर. कहीं से आती थी चीत्कार, सुकोमल बच्चों की सुकुमार. विलखती अबलायें भी हाय! भटकती फिरती थी ...