Tag: अपराध

लड़ना होगा और आगे बढ़ना होगा

लड़ना होगा और आगे बढ़ना होगा

आधी आबादी
भावना मसीवाल एक ओर देश कोरोना महामारी से जुझ रहा है, दूसरी ओर अपराध की बढ़ती जघन्य से जघन्य घटनाएँ आपको भीतर तक उद्वेलित कर देती हैं. हम अपने आसपास कितने सुरक्षित हैं इसका अंदाजा लूटपाट, हत्या और यौन शोषण की बढ़ती घटनाओं से लगाया जा सकता है. जिसमें बुजुर्ग से लेकर बच्चें तक असुरक्षित है. यह असुरक्षा घर से बाहर ही नहीं बल्कि घर के भीतर भी बढ़ी है. नेशनल क्राइम ब्यूरो रिपोर्ट के अनुसार पॉक्सो कानून के तहत 2017 में 32,608 और 2018 में 39,827 बाल यौन शोषण के मामले दर्ज हुए थे. इनके अतिरिक्त बहुत से मामले ऐसे भी होते हैं जिन्हें परिवार सामाजिक सम्मान की आड़ में दर्ज ही नहीं कराता है. नेशनल क्राइम ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रतिदिन 109 बच्चे यौन शोषण से शोषित होते हैं. 2018 में 21,605 बच्चों के साथ बलात्कार की घटनाएँ दर्ज हैं, जिसमें 21,401 लड़कियाँ व 204 लडकें हैं. यह आकड़ा बतात...
अपराध, खादी और खाकी

अपराध, खादी और खाकी

समसामयिक
मुद्दा मीडिया का डॉ. रुद्रेश नारायण मिश्र समाज के विरोध में या असामाजिक तत्त्वों में संलिप्त रहना अपराध है, पर जब यही अपराध, खादी और खाकी से अगर मिल जाए तो कई सवाल सामाजिकता को लेकर उठने शुरू हो जाते हैं. जिसका समयानुसार चिंतन भी होता है परंतु कितना कारगर, इस पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है, क्योंकि भूमिका सिर्फ अपराधी की नहीं बल्कि खादी और खाकी की भी हो जाती है. जो आर्थिक और मनोवैज्ञानिक कारणों की वजह से इस तरह की परिस्थितियों को जन्म देते हैं. भारत में अपराध, खादी और खाकी का संबंध आज का नहीं है. जाहिर है, इसकी छवि को बनाने के लिए कई बार राजनीतिक और सामाजिक सुधारों के नाम पर लोगों के बीच भ्रम की स्थिति फैलाई जाती है. जिससे राजनीति के अपराधीकरण को बढ़ावा मिलता है. कई बार अपराधिक गतिविधियों में खादी और खाकी अपने लिए अवसर तलाशने लगते हैं. एक पक्ष में तो दूसरा विपक्ष में, परंतु सामाजिक संभ...