स्व. कला बिष्ट की एथेंस (यूनान) यात्रा का रोचक वृत्तांत, भाग—2
- स्व. कला बिष्ट
07 अक्टूबर, 1992
महिलाओं की समस्या पर
वर्कशॉप चल रही है, जिसमें ग्रुप डिस्कसन हो रहा है. मुख्य विषय निम्न हैं:-- गर्ल चाइल्ड व महिलाओं के सामाजिक, राजनैतिक अधिकार.
- महिलाओं को पुरूषों के समान शिक्षा.
- बढ़ती जनसंख्या पर रोक.
उत्तराखंड
इस दिन 1.30 बजे म्यूनिसिपल हॉल में पहुंचते हैं, जहां मेयर की ओर से दोपहर के भोजन में हमें आमंत्रित किया गया है. यह हॉल भी कलात्मक ढंग से सजाया गया है.
अब तक जितने मेयर हो चुके हैं, उनकी मूर्तियां काले-सफेद रंग की मिट्टी से बनी हैं. इतनी साकार लगती हैं कि जैसे अभी बोल पड़ेंगी. यहां भी छत की सीलिंग को कलात्मक ढंग से सजाया गया है. बताते हैं कि मेयर के कार्यालय में 41 सदस्य हैं, जिनमें से 19 महिलाऐं हैं. सदस्यों का चुनाव 4 वर्ष के लिए होता है. सभाकक्ष में मेयर के सामने जनता के बैठने के लिए स्थान बना है. जनता आकर कार्यवाही सुन सकती है और अपनी राय भी देती है.उत्तराखंड
एक अन्य सजा-धजा कमरा है, जिसे हमने मेयर का कार्यालय समझा, पर बताया गया कि यह नगर के कांग्रेस का कार्यालय है. दीवारों में ऊंचाई पर ग्रीस के पुराने विद्वानों के चित्र बनाये गये हैं.
प्लेटो, सुकरात व अरस्तू आदि सभी के चित्र हैं. घोड़े पर बैठे सिकन्दर महान का चित्र भी है जो पीतल पर बना है. जो हमारे देश के सिकन्दर के चित्रों से नहीं मिलता. यहां पर भी शाकाहारी लोगों के लिए भोजन की ठीक व्यवस्था नहीं है. मेयर सबसे मिलते हैं और हमारी अध्यक्षा व एक पुरानी सदस्या को सोने से बनी एथिना देवी की मूर्ति भेंट करते हैं.शाम को फिर वर्कशॉप चलती है,
आपसी विचार-विमर्श होता है, विषय में नवीनता कहीं नहीं है. इसलिए मैं चुप बैठी रहती हूं. शाम को 4 बजे शोभना जी चाय पिलाती हैं और अब बताया जाता है कि आज मीना जी का जन्म दिन है. (सरोज गोयल बहुत मोटी-सी महिला हैं, बताती हैं- ’’हमारा 150 बैडों का अस्पताल है, पति व लड़का डॉक्टर है तथा एक लड़का व बहू आईएएस है.’’ अपने गले का हार उतारकर मीना जी को पहनाती हैं.)उत्तराखंड
मैं जिज्ञासा से देख रही हूं.
दो गोरी तगड़ी महिलाऐं मेरी जिज्ञासा पर हॅंस पड़ी हैं और नाम लेकर कुछ बता रही हैं. मैं पूछती हूं ’पिग’? ’यस-यस’ कहती हैं. पेट की ओर से चीरा लगाया जाता है. महिलाएं प्रसन्न होकर खा रही हैं. बीफ की टेबिल अलग है, जिसमें ढेरों बीफ पड़ा है. प्लेट भर-भर कर वे लोग खा रही हैं.
उत्तराखंड
आज का भोजन ग्राण्ड होटल के
रॉयल रूम में विदेश मंत्री द्वारा दिया गया है. आज डेनमार्क की महिला भी बोल रही हैं जो बता रही हैं कि हमारे देश में सह-शिक्षा है, पर लड़कों से अच्छा लड़कियां पढ़ती हैं और लड़कियों की संख्या भी अधिक है. यहां तक कि अब वहां के यूनिवर्सिटी प्रशासन को एक नियम बनाना पड़ा कि कम से कम 25 प्रतिशत स्थान लड़को के लिए रिजर्व रखे जायें. यहां भोजन की व्यवस्था बहुत अच्छी है. तरह-तरह के मीट-मछली है. बड़ी-बड़ी मछलियों को पूरा-पूरा मेज में सजा दिया गया है, जिसे काटकर पूंछ की ओर से खा रहे हैं. एक सोने जैसी चमकीली थाल में पूरा सुअर रोस्ट किया हुआ रखा है, मैं जिज्ञासा से देख रही हूं. दो गोरी तगड़ी महिलाऐं मेरी जिज्ञासा पर हॅंस पड़ी हैं और नाम लेकर कुछ बता रही हैं. मैं पूछती हूं ’पिग’? ’यस-यस’ कहती हैं. पेट की ओर से चीरा लगाया जाता है. महिलाएं प्रसन्न होकर खा रही हैं. बीफ की टेबिल अलग है, जिसमें ढेरों बीफ पड़ा है. प्लेट भर-भर कर वे लोग खा रही हैं. शाकाहारियों के लिए फल, तले बादाम, पिस्ते व उबले आलू हैं. फल बहुत मीठे हैं, मधुमेह बढ़ने का डर लगता है पर न खाऊं तो खाऊं क्या? मद्रास की अमन्ना जी साथ हैं. 70 वर्षीय तमिलनाडु की प्रथम ग्रेजुएट तथा वहां की प्रथम महिला एमपी. केसी पन्त के साथ लोकसभा में भी थी. बताती है नैनीताल में प्रताप भैया से मिल चुकी हूं, उनकी जलेबी भी उन्हें याद है. खाना उठाने के लिए मुझे पुकारती हैं. मैं ढेर सारे बड़े-बड़े फल उनके झोले में भर देती हूं. यह होटल कल देखे हुए लैण्ड्रा- मैरियौट होटल से भी ज्यादा शानदार है.उत्तराखंड
08 अक्टूबर, 1992
प्रातः 9 बजे से ग्रीक भाषा में सैशन चला. बाद में संक्षिप्त अंग्रेजी अनुवाद तो दिया गया, किन्तु कार्यवाही ऊबाऊ-सी रही. इसलिए हमने शहर घूमने की सोची. 110 रुपये में एक
प्लेट शाकाहारी भोजन लिया. साथ में दीपाली सरकार तथा पूर्णिमा राय थी. भुट्टे की दालनुमा सब्जी, सलाद, मैगी जैसी चीज और दो बड़े-बड़े आलू जैसे टुकड़े. मैगी मुंह में डालते हैं, स्वाद इतना बिगड़ा उल्टी-सी होने लगी, क्योंकि मैगी में कच्चा जैतून का तेल डाला गया था, जैसे हम भी डालते हैं. चार चम्मच खाने के बाद ही कुछ सफेद सी चीज, देखी मछली के टुकड़े थे. (मैं हालांकि मांसाहारी भोजन भी ले लती हूं, पर इस समय घिन-सी आई) प्लेट को ध्यान से टटोलने पर देखा मीट के टुकड़े भी थे. होटल वापस आने पर रात्रि भोजन का इरादा छोड़ दिया और मठरी, दालमोठ पर गुजारा कर लिया. बाजार सुन्दर व कलात्मक सामान से भरा था, पर बहुत महंगा. श्रीमती सरकार ने कुछ मालायें आदि खरीदी.09 अक्टूबर,1992
आज प्रणौती एक सप्ताह के भ्रमण पर
चली गयी हैं. दीपाली के साथ उसने सामान्य शिष्टाचार भी नहीं निभाया. दीपाली मुझसे अपने कमरे में आने के लिए निवेदन करती है.उत्तराखंड
सभा स्थल में आज भी ग्रुप डिस्कसन
है. मैंने एजूकेशन तथा पौपुलेशन ग्रुप में भाग लिया. आज प्रेसीडेन्ट का चुनाव भी है. चुनाव के लिए कोई सरगर्मी नहीं है. इस पद के लिए केवल एक ही उम्मीदवार श्रीमती एलिश मंगोपोलश ही हैं. मैं प्रश्न उठाती हूं कि यदि वे एक अकेली उम्मीदवार हैं तो उन्होंने निर्विरोध विजयी घोषित क्यों नहीं किया जा सकता है? शोभना जी बताती हैं- एलिश पिछली प्रेसीडेन्ट हैं और अब वह जानना चाहती हैं कि उसे सभी देशों के शत-प्रतिशत वोट मिलते हैं या नहीं. एक देश को 12 वोट देने का अधिकार है. हमारे देश से दो संस्थाएं हैं. श्रीमती गीता दत्ता ग्रामीण महिला संगठन कलकत्ता से हैं, इसलिए श्रीमती रानाडे 6 वोट ही दे पायेंगी. एक मोटी, सांवली, लम्बी महिला जो बहुत मिलनसार व मधुर वाणी वाली है, हमारे दल में है, जो दिल्ली शाखा का प्रतिनिधित्व कर रही है. नीली साड़ी सिर पर दो टोप पहनी हैं. पता चलता है कि श्रीमती स्वराज गोयल हैं. ये भी कार्यकारिणी के बोर्ड का चुनाव लड़ना चाहती हैं और सुनने में आता है – मुख्यालय दिल्ली में कान्फ्रेन्स में दो दल हैं.उत्तराखंड
एक दुकानदार
भागकर आकर रोकता है, साथ में लड़की है, जो बताती है कि वह बम्बई से एक साड़ी खरीदकर लाई थी, पर उसे पहनना नहीं आता है. इसलिए पहनना सीखना चाहती है. आज अन्ना जी भी साथ हैं. अधिकतर दुकानें जेवर की हैं. चमड़े के जेवर बहुत ही सुन्दर व कलात्मक ढंग से सजाये गये हैं पर दाम पूछकर लगता है कि देखकर ही खुश हो लेना अच्छा है.
उत्तराखंड
दूसरे दल में श्रीमती शोभना रानाडे को हराने के लिए श्रीमती गोयल को भेजा है. लेकिन अपनी ही संस्था के प्रेसीडेन्ट के विरूद्ध चुनाव लड़ना क्या अनुशासनहीनता नहीं है?
श्रीमती रानाडे से आवेदन पर हस्ताक्षर करने को कहती हैं, वे मना तो करती हैं पर यहां के संविधान के अनुसार यदि 10 राष्ट्र समर्थन कर दें तो कोई भी चुनाव लड़ सकता है. बात समझ में आती है कि गोयल ने अपनी पहचान बनाने के लिए जोकर जैसा वेश धारण किया है. आज दिन भर के कार्यक्रम में मुझे बहुत नींद आई, ऐसा लग रहा है कि ब्लड सूगर या तो बहुत बढ़ गया है या गिर गया है. आज दिन में प्लाका बाजार गये. बाजार की सड़क की फर्श अल्मोड़े की पल्टन बाजार की तरह पत्थरों की है, पर पत्थर चमकदार हैं. वैसे ही थोड़ी थोड़ी चढ़ाई भी है. दुकानें बहुत सजी व खूब भरी हैं. एक दुकानदार भागकर आकर रोकता है, साथ में लड़की है, जो बताती है कि वह बम्बई से एक साड़ी खरीदकर लाई थी, पर उसे पहनना नहीं आता है. इसलिए पहनना सीखना चाहती है. आज अन्ना जी भी साथ हैं. अधिकतर दुकानें जेवर की हैं. चमड़े के जेवर बहुत ही सुन्दर व कलात्मक ढंग से सजाये गये हैं पर दाम पूछकर लगता है कि देखकर ही खुश हो लेना अच्छा है.उत्तराखंड
दीपाली आध्यात्मवादी हैं.
रामकृष्ण मिशन व विवेकानन्द कर काफी देर तक चर्चा करते रहते हैं. कल तक वह मुझे रूखी लग रही थी, आज उसके विचार जान लेने के बाद अच्छी लगने लगी हैं.उत्तराखंड
10 अक्टूबर, 1992
चुनाव का नतीजा सामने आया.
गीता दत्ता व शोभना रानाडे चुन ली गयी हैं पर बड़ी संख्या में वोट यूरोपियन समाज को ही मिलता है. चर्चा होती है कि यूरोपियन महिलाएं एशियन को वोट देना नहीं चाहती. सत्ता अपने ही हाथ में रखना चाहती हैं.उत्तराखंड
एक दुकानदार हमें देखकर बहुत खुश होता है, अंग्रेजी नहीं जानता. मटककर गाता है- “कोई मुझे जंगली कहे’’ और बिन्दी की ओर इशारा करते हुए ताली बजाता है.
आधा किलोमीटर के बाद जेवर की एक दुकान पर रूकते हैं. दुकानदार “नमस्ते जी’’ के बाद कहता है- “मदर इण्डिया नर्गिस-रिसर्च नर्गिस.’’ माला व जेवर की ओर इशारा करता है- ’’ स्पेशल डिस्काउन्ट फॉर नर्गिस’’.
उत्तराखंड
आज समापन समारोह होता है.
समारोह जैसा इसमें कुछ नहीं है. विभिन्न कमेटियों की रिपोर्ट पढ़ी जाती हैं. नवनिर्वाचित कार्यकारिणी से परिचय होता है कॉफी ब्रेक के बाद मैं दीपाली के साथ फिर बाजार जाती हूं. एक दुकानदार हमें देखकर बहुत खुश होता है, अंग्रेजी नहीं जानता. मटककर गाता है- “कोई मुझे जंगली कहे’’ और बिन्दी की ओर इशारा करते हुए ताली बजाता है. आधा किलोमीटर के बाद जेवर की एक दुकान पर रूकते हैं. दुकानदार “नमस्ते जी’’ के बाद कहता है- “मदर इण्डिया नर्गिस-रिसर्च नर्गिस.’’ माला व जेवर की ओर इशारा करता है- ’’स्पेशल डिस्काउन्ट फॉर नर्गिस’’. हम कुछ बुन्दे और माला उसकी दुकान से खरीद लेते हैं. यह शॉपिंग कॉम्पलैक्स बहुत बड़ा है. लगभग 200 रुपये में हम कुछ नाश्ता कर लेते हैं. रात को कांग्रेस का डिनर है, समुद्र के किनारे होटल में. होटल का नाम एस्टर है. शाकाहारी भोजन के नाम पर प्लेट भरकर बन्दगोभी व शिमलामिर्च है. गोभी बहुत मोटी कटी है. बन्द और मक्खन, उबला हुआ कमलनाल. लगभग भूखे से रह जाते हैं. फिर औरेंज जूस व दही लेते हैं, जिसका वह भुगतान मांगता है क्योंकि यह उसके मीनू में नहीं है. यहां पर जापान का लोकनृत्य तथा ग्रीक के दो लोकनृत्य देखने को मिलते हैं. ग्रीस के नृत्य की धुन, नृत्य का अभिनय और वेशभूषा भारतीय ढंग की है. वैसा ही झोड़ा, वैसी ही छपेली, वैसी ही सीटी, वैसे ही हो-हो.क्रमश:
संकलन: भुवन चन्द्र पंत