आज कैसा दिन आया विश्व जूझ रहा उस काल से
(कबिता)
आज कैसा दिन आया विश्व जूझ रहा उस काल से
कैसी वेदना, किस को बताऊ, विश्व मे आहकार क्यों
अनोखा है यह नजारा,प्रकृति ने क्या गजब कर डाला
पशु-पक्षी आजाद है,इंसान को पिंजरे में कैद कर डाला
“आज कैसा दिन आया विश्व जूझ रहा उस काल से
पाप की ओर बढ़ मानव,प्रकृति को छेड़ रहा मानव
प्रलय की इस काल की महामारी से विश्व जूझ रहा है
मेरा भारत का हर नागरिक ,जीत कर लड़ रहा है
कुछ तो विद्वान पण्डित ,गांव में पुराने ढूढ रहा है
“आज कैसा दिन आया विश्व जूझ …………..
शहर से अब भाग रहे,बंजर भूमि घरो में ताक रहे
जहाँ बन्दरो एव जानवरो ने बनाया है डेरा,
मौत के डर के मारे कह रहे, मेरे बुजुर्गों का था घेरा
प्रकृतिक का चक्र ऐसा, पहाड़ में खुशियों मेला मेरा
आज कैसा दिन आया विश्व जूझ …………..
बूढ़े माँ को अकेले छोड़ा,अब क्यों आया भाग दौड़ा
शहर से अब भाग रहे,बंजर भूमि घरो में जाख रहे हैं
हम ने पलायन के नारे लगाए, किसी को बसा न पाये
ये कैसे चमत्कार हुआ ,गांव घर की ओर भागे आये
“आज कैसा दिन आया विश्व जूझ …………..
कोरोना से डर नही लगता, इस से मेरा देश लड़ लेगा
आँखे नम भरी है मेरी ,सुकमा में 17शहीद बलिदान से नक्सलियों एव कोरोना का सफाया, दोनों एक साथ से
अब नही बचेगे यह दोनों,जीतेगा भारत जय की बोलो
“आज कैसा दिन आया विश्व जूझ …………..
कानून व्यवस्था का पालन करना ,लॉक डाउन पूर्ण करे
मुहल्ले मे घूमना नहीं है,सरकार का साथ देना सही
दुकानों,चौराहे पर, ग्रुप मे खड़ा होकर न रहना सही
“आज कैसा दिन आया विश्व जूझ …………..
शब्द लेख- अपील सिंह चौहान रवांल्टा
आज कैसा दिन आया विश्व जूझ रहा उस काल से
(कबिता)
आज कैसा दिन आया विश्व जूझ रहा उस काल से
कैसी वेदना, किस को बताऊ, विश्व मे आहकार क्यों
अनोखा है यह नजारा,प्रकृति ने क्या गजब कर डाला
पशु-पक्षी आजाद है,इंसान को पिंजरे में कैद कर डाला
“आज कैसा दिन आया विश्व जूझ रहा उस काल से
पाप की ओर बढ़ मानव,प्रकृति को छेड़ रहा मानव
प्रलय की इस काल की महामारी से विश्व जूझ रहा है
मेरा भारत का हर नागरिक ,जीत कर लड़ रहा है
कुछ तो विद्वान पण्डित ,गांव में पुराने ढूढ रहा है
“आज कैसा दिन आया विश्व जूझ …………..
शहर से अब भाग रहे,बंजर भूमि घरो में ताक रहे
जहाँ बन्दरो एव जानवरो ने बनाया है डेरा,
मौत के डर के मारे कह रहे, मेरे बुजुर्गों का था घेरा
प्रकृतिक का चक्र ऐसा, पहाड़ में खुशियों मेला मेरा
आज कैसा दिन आया विश्व जूझ …………..
बूढ़े माँ को अकेले छोड़ा,अब क्यों आया भाग दौड़ा
शहर से अब भाग रहे,बंजर भूमि घरो में जाख रहे हैं
हम ने पलायन के नारे लगाए, किसी को बसा न पाये
ये कैसे चमत्कार हुआ ,गांव घर की ओर भागे आये
“आज कैसा दिन आया विश्व जूझ …………..
कोरोना से डर नही लगता, इस से मेरा देश लड़ लेगा
आँखे नम भरी है मेरी ,सुकमा में 17शहीद बलिदान से नक्सलियों एव कोरोना का सफाया, दोनों एक साथ से
अब नही बचेगे यह दोनों,जीतेगा भारत जय की बोलो
“आज कैसा दिन आया विश्व जूझ …………..
कानून व्यवस्था का पालन करना ,लॉक डाउन पूर्ण करे
मुहल्ले मे घूमना नहीं है,सरकार का साथ देना सही
दुकानों,चौराहे पर, ग्रुप मे खड़ा होकर न रहना सही
“आज कैसा दिन आया विश्व जूझ …………..
शब्द लेख- अपील सिंह चौहान रवांल्टा