
- ललित फुलारा
करोड़ों लोगों को हंसाने वाले एक कलाकार राजू श्रीवास्तव की मौत के बाद जिस तरह से सोशल मीडिया पर उनकी विचारधारा के कारण नफ़रत फैलाई जा रही है, प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ़ वाले उनके वीडियोज को साझा कर उनके ख़िलाफ अनगल लिखा जा रहा है, असल मायने में वो इस देश के कथित ज़हरीले वामपंथियों का ‘बौद्धिक जिहाद’ है. यह बौद्धिक जिहाद व्यक्ति की उपलब्धियों, उसकी कला, पेशे को न देखकर सिर्फ यह देखता है कि वो व्यक्ति आखिर में दक्षिणपंथ की तरफ झुका क्यों? एक कलाकार ने आख़िर बीजेपी की तारीफ़ क्यों की? वो बीजेपी से क्यों जुड़ा?
जब मौत के बाद प्रशंसक अपने पसंदीदा कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव को याद कर रहे हैं, उस वक्त यह ‘बौद्धिक जिहाद’ उनके प्रति सिर्फ इसलिए नफ़रत फैला रहा है कि उन्होंने मोदी की तारीफ़ कर दी या फिर वो बीजेपी में शामिल हो गये थे. राजू श्रीवास्तव की मृत्यु को अभी चंद घंटे भी नहीं बीते की बौद्धिक जिहादियों का एजेंडा शुरू हो गया है. असल मायने में नफ़रत दक्षिणपंथ में नहीं, ज़हरीले बौद्धिक जिहाद के भीतर भरी हुई है. जो कभी किसी बाबा या कथावाचक को सिर्फ इसलिए बदनाम करने लगता है और उसके ख़िलाफ हो जाता है, क्योंकि उसका झुकाव दक्षिणपंथ की तरफ़ है.
ऐसे जिहादी चिंटुओं को इग्नोर करिये. राजू श्रीवास्तव ने जिस भी पार्टी का दामन थामा हो, उससे कॉमेडी में उनका योगदान कम नहीं हो जाता है. राजू श्रीवास्तव ने करोड़ों लोगों को हंसाया, उनके वीडियोज आगे भी आने वाली पीढ़ी को हंसाते रहेंगे. हंसी और हठाके मरते नहीं है, कलाकार को जिंदा रखते हैं. यह कोई नई बात नहीं है, जिनके दिमाग़ में बौद्धिक विषेलापन भरा हुआ है, वो भरा ही रहेगा. ऐसे लोग कभी नहीं सुधर सकते क्योंकि इनकी संवेदनाओं को ‘बौद्धिक जिहाद’ और विषेलेपन ने लील लिया है. राजू श्रीवास्तव से करोड़ों लोग मोहब्बत करते हैं…करते रहेंगे.
(सोशल मीडिया से साभार)