न्यू इंडिया में स्वदेशी को जीवंत करता हथकरघा

  • वीरेंद्र दत्त सेमवाल

स्वदेशी की संकल्पना के साथ आत्मनिर्भर भारत में स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहित कर अपने कारीगरों को सशक्त और स्वावलंबी बनाने के देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के संकल्प को निरंतर सिद्धि प्राप्त हो रही है.

नई दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में नौवें हथकरघा दिवस समारोह का साक्षी बनने का सौभाग्य मिला. माननीय प्रधानमंत्री जी के साथ केंद्रीय मंत्री श्री पीयूष गोयल जी,श्री नारायण राणे जी और श्रीमती जरदौश सहित कई शीर्ष अधिकारी भी इस अवसर पर मौजूद रहे. देश के विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों से लगभग तीन हजार से अधिक कारीगरों,बुनकरों और हथकरघा क्षेत्र से जुड़े कर्मवीरों की प्रदर्शनी का निरीक्षण कर प्रधानसेवक श्री  मोदी ने कई शिल्पकारों और  बुनकरों को सम्मानित किया .

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रगति मैदान में आयोजित कार्यक्रम राष्ट्रीय हथकरघा दिवस में हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने देश में खादी के बढ़ रहे उत्पादन के बारे में जिक्र किया और शिल्पकारों, बुनकरों को सम्मानित किया.

प्रधानमंत्री जी ने जहां खादी के बढ़ते प्रभाव और इसकी बिक्री को शुभ शगुन बताया वहीं इस विश्वास को भी पुनः पुष्ट किया कि भारत को हथकरघा,खादी और कपड़ा क्षेत्र में विश्व गुरु बनायेंगे. देश में पहले से ही ‘एक जिला, एक उत्पाद’ पहल के माध्यम से विभिन्न उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है.

 भारत मंडपम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि – “7 अगस्त के दिन ही अंग्रेजों के खिलाफ स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत की गई थी. पुरानी सरकारों ने आजादी के बाद खादी उद्योग को मजबूत करने पर बिल्कुल  ध्यान नहीं दिया, जिस कारण देश में खादी उद्योग का पतन हुआ, लेकिन आज हम फिर से इस खादी उद्योग को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहे हैं.”

वास्तव में देखें तो यह सत्य है,आज खादी की बिक्री चरम पर है,स्वयं खादी का ब्रांड एंबेसडर बनकर प्रधानमंत्री जी ने देश के युवा वर्ग तक में भी खादी के प्रति क्रेज और आकर्षण बढ़ाया है.

 खादी की लोकप्रियता और इसकी बिक्री पर प्रधानमंत्री जी ने कहा कि “खादी की बिक्री देश में अब बढ़कर 1.30 लाख करोड़ रुपये की हो गई है जो 2014 से पहले लगभग 30,000 करोड़ रुपये की थी.”

प्रधानमंत्री प्रदर्शनी के निरीक्षण के दौरान जब पूर्वोत्तर राज्यों की कारीगर बहनों से मिले तो उन्होंने उनकी प्रतिभा की सराहना की. खादी के झंडे के स्टाल पर जाकर प्रधानमंत्री जी ने एक बार फिर से हर घर तिरंगा फहराने के अभियान का आह्वान किया. प्रधानमंत्री जी ने कपड़ा व फैशन उद्योग से अपना दायरा बढ़ाने और भारत को दुनिया की तीन शीर्ष अर्थव्यवस्था में ले जाने में कपड़ा उद्योग के योगदान का भी उल्लेख किया.

हथकरघा उद्योग से जुड़े होने और भारत सरकार का सम्मान प्राप्त करने के बाद प्रतिवर्ष व्यक्तिगत रूप से अपने स्तर पर हथकरघा दिवस मनाता रहा हूं. इस बार दीनदयाल योगा मैट और खादी के थैले वितरित कर  देश के कुछ शीर्ष केंद्रीय मंत्रियों से मिलने के अपने रूटीन कार्य से अलग मैंने भी भारत मंडपम में आयोजित  इस नौवें हथकरघा समारोह का आनंद उठाया जो वास्तव में स्वदेशी ,आत्मनिर्भरता और सशक्त भारत का सूत्रधार सिद्ध होगा.

(लेखक हथकरघा उद्योग के राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्तकर्ता और  पर्वतीय लोकविकास समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं.)

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