अपेक्षायें

लघु कथा

  • डॉ. कुसुम जोशी 

“ब्वारी मत जाया करना रात सांझ उस पेड़ के तले से… अपना तो टक्क से becauseरस्सी में लटकी और चली गई, पर मेरे लिये और केवल’ के लिये जिन्दगी भर का श्राप छोड़ गई.

श्राप

तीन साल से एक रात भी हम मां बेटे चैन से नही सोये… but आंखें बंद होने को हों तो सामने खड़ी हो जाय… कसती है  “देखती हूं कैसे लाती हो दूसरे खानदान से ब्वारी…”. अब ले तो आई हूं तुझे,  अपना और केवल का ध्यान रखना…. तारी ने सास धर्म का पालन करते हुये बहू को आगाह किया.

“किसे पता… क्या दिमाग फिरा उसका… कुछ लोगों को सुख नही सहा जाता है ना, सोलह साल हो गये थे ब्याह के… गरभ से एक पत्थर तक न पड़ा… केवल ने सारे वैध… हकीम… शहर के बड़े डाक्टर तक एक कर दिये… बांझ थी वो.., फिर भी सबने दिल में पत्थर रख लिया था”

सास

कांप उठी थी चन्दा सास की बात सुन कर, soधीरे से बोली “ऐसा क्यों किया बड़ी ने”?

“किसे पता… क्या दिमाग फिरा उसका… becauseकुछ लोगों को सुख नही सहा जाता है ना, सोलह साल हो गये थे ब्याह के… गरभ से एक पत्थर तक न पड़ा… केवल ने सारे वैध… हकीम… शहर के बड़े डाक्टर तक एक कर दिये… बांझ थी वो.., फिर भी सबने दिल में पत्थर रख लिया था”.

सन्तान

“सन्तान न होने का गम खा गयी होगी…कैसी सुंदर but लगती है फोटु में. ऐसी हिम्मत कैसे  कर गई” चन्दा उदास स्वर में बोली.

बस

“बांवरी थी पूरी, बस जिद्द में अड़ गई, so कि अपनी रिश्ते की गरीब परिवार की बहन को अपनी सौत बना के लाने को, हम दोनों ही तैयार नही थे…

तीन

“केवल तो शादी को ही तैयार नही था, कहता जो बदा becauseहै नसीब में होने दो”. पर उसने तो जिद पकड़ ली थी, मैंने ही  एक दिन दो टूक कह दिया “तेरे खानदान की लड़की तो आयेगी नही इस घर में, करनी ही होगी तो दूसरी खानदान से लाऊंगी…

तीन

“उसी दिन से चुप्पी साध ली थी उसने …क्या था, becauseमन में… देवता ही जाने, अभागन के भाग में इस घर का सुख नही था”.

“अरे ना ब्वारी तू क्यों डरती है, डरे soतेरे दुश्मन. बस तू जल्दी से खुशखबरी दे दे, वो भी तर जायेगी, और हम भी तर जायेगें”

“इजा जो उसका डर था वो आपने मुझे इस घर butमें लाकर पूरा कर दिया, मुझे तो अब डर लग  रहा है”, चन्दा घबराहट छुपाते हुये बोली.

इजा

“अरे ना ब्वारी तू क्यों डरती है, डरे soतेरे दुश्मन. बस तू जल्दी से खुशखबरी दे दे, वो भी तर जायेगी, और हम भी तर जायेगें”.

ब्वारी

ये कहते तारी की आंखों में उम्मीद की चमक से भयbecause तिरोहित हो रहा था, चन्दा अपेक्षा के बोझ तले धसनें लगी थी.

तारी

(लेखिका साहित्यकार हैं becauseएवं छ: लघुकथा संकलन और एक लघुकथा संग्रह (उसके हिस्से का चांद) प्रकाशित.
अनेक पत्र-पत्रिकाओं में सक्रिय लेखन.)

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