बाल कहानी
- ललित शौर्य
“तुम्हें अभी वहां नहीं जाना चाहिए.
वहां बहुत खतरा है.”, हिप्पू हाथी की माँ ने कहा.“नहीं माँ, मुझे जाने दो. मुझे अपने दोस्त
की जान बचानी है.वो चार दिन से भूखे प्यासे हैं.”, हिप्पू ने कहा.खतरा
दरअसल भयंकर बारिस और बाढ़ के कारण
हिप्पू के दोस्त जंगल के एक टीले पर फंसे हुए थे. हिप्पू को जब ये बात पता चली वो तब से बहुत परेशान था. वो अपने दोस्तों को बचाना चाहता था. हिप्पू के पापा दूसरे जंगल में किसी काम से गए हुए थे. वो भी भारी बारिस के कारण उधर ही फंसे हुए थे. माँ के मना करने पर हिप्पू ने माँ को बहुत समझाया. आखिर में माँ ने उसे मदद के लिए भेज ही दिया.हाथी की माँ
सबसे पहले हिप्पू ने
अपने खेतों से केले की बड़ी–बड़ी घड़ियाँ काट ली. वो उन्हें अपनी पीठ पर लाद कर चल दिया.हाथी की माँ
पूरे जंगल में ये बात आग की तरह फ़ैल चुकी थी कि छोटे हाथियों और हिरनों का झुण्ड टीले पर फंसा हुवा है. लेकिन किसी की भी हिम्मत नहीं हुई की वो उन्हें बचाने की कोसिस भी करे.
लेकिन हिप्पू ने उन्हें बचाने की ठान ली थी.हिप्पू धीरे-धीरे टीले की ओर बढ़ने लगा. उसकी पीठ पर खाने की चींजे थी. रास्ते में उसे जिम्फू जिराफ मिला. उसने पूछते हुए कहा, “क्या बात है हिप्पू , कहाँ जा रहे हो. इतनी घनघोर
बारिस हो रही है. नदी में पानी भी बढ़ चुका है.”“मैं अपने दोस्तों को बचाने जा रहा हूँ.
जो पहाड़ी वाले टीले पर फंसे हुए हैं.”,हिप्पू ने बड़े आत्मविश्वास के साथ कहा. “अच्छा वही झुण्ड जोपिछले चार दिनों से फंसा हुवा है.”, जिम्फू ने चिंता भरे शब्दों में कहा.हाथी की माँ
हिप्पू की बातों को
सुनकर जिम्फू की आँखें खुल गई. वो सोचने लगा एक छोटा सा हाथी इतने आत्मविश्वास के साथ अपने साथियों को बचाने निकल पडा है. हम बड़ों को भी इसकी मदद करनी ही चाहिए. जिम्फू भी अपनी पीठ पर कुछ खाने का सामान रखकर हिप्पू के साथ चलने लगा.
हाथी की माँ
“हाँ. वही. अभी तक जंगल के किसी
जानवर ने उन्हें बचाने की पहल नहीं की. वो चार दिन से भूखे-प्यासे हैं. हमें उनकी मदद करनी चाहिए.”, हिप्पू ने कहा.हिप्पू की बातों को सुनकर जिम्फू की आँखें खुल
गई. वो सोचने लगा एक छोटा सा हाथी इतने आत्मविश्वास के साथ अपने साथियों को बचाने निकल पडा है. हम बड़ों को भी इसकी मदद करनी ही चाहिए. जिम्फू भी अपनी पीठ पर कुछ खाने का सामान रखकर हिप्पू के साथ चलने लगा.हाथी की माँ
इस तरह जंगल के अनेक जानवर हिप्पू को मिले.
वो उसके उत्साह से प्रभावित होकर उसके साथ हो लिए. बारिस के बीच सभी जानवर उस टीले के पास पहुँच गए. अब खाने की बहुत सारी चींजें इकठ्ठा हो चुकी थी. टीले में फंसे जानवर भूख से कराह रहे थे. चिल्ला रहे थे.सबसे पहले किसी तरह उन तक खाने की समाग्री पहुंचाई गई. सभी ने अपनी भूख मिटाई.“हिम्मत रखो. सब ठीक हो जाएगा.
अब पूरा जंगल तुम्हें बचाने आ चुका है,” हिप्पू ने जानवरों के झुण्ड को साहस देते हुए कहा. हिप्पू की बातों से टीले में फंसे सभी जानवरों में जोश भर गया. उनके आँखें चमक उठी. अब उन सबको विश्वास हो चुका था कि वो जल्द ही इस संकट से निकल जायेंगे.
हाथी की माँ
“हिम्मत रखो. सब ठीक हो जाएगा.
अब पूरा जंगल तुम्हें बचाने आ चुका है,” हिप्पू ने जानवरों के झुण्ड को साहस देते हुए कहा. हिप्पू की बातों से टीले में फंसे सभी जानवरों में जोश भर गया. उनके आँखें चमक उठी. अब उन सबको विश्वास हो चुका था कि वो जल्द ही इस संकट से निकल जायेंगे.हाथी की माँ
हिप्पू, जिम्फू और जंगल के अन्य जानवरों
ने बहुत प्रयास किया. कमसे कम एक घंटे रेश्क्यू आप्रेशन चला. इसके बाद ही सभी जानवरों को बचाया जा सका. इस दौरना बड़ी सावधानी बरती गई. किसी को भी किसी प्रकार की चोट नहीं आई.जिम्फू ने सभी से कहा, “आज का
हीरो हिप्पू है. इसी की वजह से हम सबने टीले पर फंसे जानवरों को बचाने का प्रयास किया. हम सफल भी रहे. अगर आज हिप्पू नहीं होता तो बहुत बड़ी अनहोनी हो सकती थी.”टीले में फंसे सभी जानवरों ने हिप्पू
का धन्यवाद किया. अब जंगल में चारों तरफ हिप्पू के साहस की चर्चा होने लगे थी.हाथी की माँ
(इंजी. ललित शौर्य मूलत: पिथौरागढ़ जिले के मुवानी गांव से हैं एवं प्रदेश मंत्री अखिल भारतीय सहित्य परिषद, पिथौरागढ़. 6 साझा काव्य संग्रहों का सम्पादन. एक निजी काव्य संग्रह सृजन सुगन्धि प्रकाशित. चार बाल कहानी संग्रह दादाजी की चौपाल, कोरोना वॉरियर्स, जादुई दस्ताने, मैजिकल ग्लब्ज प्रकाशित. एक बाल कहानी संग्रह का अंग्रेजी में अनुवाद. 15 बाल कहानियों का अंग्रेजी, मराठी, गुजराती, मलयालम, तमिल समेत आठ भाषाओं में अनुवाद. कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित.)