टिहरी गढ़वाल

36 छोटे वाहनों को मॉडिफाइड कर  बनाया गया एम्बुलेंस

36 छोटे वाहनों को मॉडिफाइड कर बनाया गया एम्बुलेंस

टिहरी गढ़वाल
हमारे संवाददाता, नई टिहरी जिलाधिकारी ईवा आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए प्रयास निरंतर जारी है. जिसके तहत सामुदायिक/प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों सैंपल टेस्टिंग किट, लक्षणयुक्त व्यक्तियों व आइसोलेशन पर रह रहे व्यक्तियों के लिए दवाई की किटों की लगातार आपूर्ति कराई जा रही है. इसी कड़ी में इन स्वास्थ्य केंद्रों में एम्बुलेंसों की तैनाती/उपलब्धता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए कहा जनपद में एम्बुलेंस की संभावित आवश्यकता को देखते अब तक कुल 36 छोटे वाहनों को मॉडिफाइड कर एम्बुलेंस का रूप दिया गया है जिनका उपयोग रोगी को दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रो से कोविड केअर सेंटर/हायर सेंटर उपचार हेतु लाने में किया जाएगा. मॉडिफाइड एम्बुलेंस तैयार करने का जिम्मा सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी एन के ओझा को सौंपा गया था जिन्होंने तय समयसीमा के भीतर इन वाहनों को एम्बुलेंस में ढालकर क...
देश-दुनिया में शायद ही कहीं ऐसा हुआ हो- पंड़ित, क्षत्रीय और शिल्पकार का सफल संयुक्त परिवार

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टिहरी गढ़वाल
डॉ. अरुण कुकसाल उत्तराखण्ड में सामाजिक चेतना के अग्रदूत 'बिहारी लालजी' के 18 मार्च, 2021 को बूढ़ाकेदार आश्रम में निधन  होना एक युग नायक का हमारे सामाजिक जीवन से प्रस्थान करना है. टिहरी गढ़वाल जनपद की भिलंगना घाटी में धर्मगंगा और बालगंगा के संगम पर है बूढ़ाकेदार (पट्टी-थाती कठूड़). समुद्रतल से 1524 मीटर की ऊंचाई पर स्थित बूढ़ाकेदार so कभी गंगोत्री - केदारनाथ पैदल मार्ग का प्रमुख पड़ाव था. यह क्षेत्र नाथ संप्रदाय से प्रभावित रहा है. ‘गुरु कैलापीर’ इस क्षेत्र का ईष्टदेवता है. यहां बुढाकेदारनाथ, राजराजेश्वरी और बालखिल्येश्वर के प्राचीन मंदिर हैं. टिहरी गढ़वाल यह सर्वमान्य हक़ीक़त है कि जातीय भेदभाव से आज भी हमारा समाज नहीं उभर पाया है.  समय-समय पर जागरूक लोगों ने इसके लिए प्रयास जरूर किए पर कमोवेश आज भी because हमारा समाज इस मुद्दे पर सदियों पूर्व की यथास्थिति में वहीं का वहीं ठिठका हुआ ...
‘डूबता शहर’ की कथा-व्यथा सच है, पर दफ़्न है

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टिहरी गढ़वाल
पुरानी टिहरी के स्थापना दिवस, 30 दिसम्बर पर किशोरावस्था से मन-मस्तिष्क में बसी टिहरी को नमन करते हुए अग्रणी साहित्यकार स्वर्गीय ‘बचन सिंह नेगी’ का मार्मिक उपन्यास- डॉ. अरुण कुकसाल "...शेरू भाई! यदि इस टिहरी को डूबना है, तो ये लोग मकान क्यों बनाये जा रहे हैं? शेरू हंसा ‘चैतू! यही तो because निन्यानवे का चक्कर है, जिन लोगों के पास पैसा है,because वे एक का चार बनाने का रास्ता निकाल रहे हैं. डूबना तो इसे गरीबों के लिए है, बेसहारा लोगों के लिये है, उन लोगों के लिए है, जिन्हें जलती आग में हाथ सेंकना नहीं आता. जो सब-कुछ गंवा बैठने के भय से आंतकित हैं.' चैतू ...चैतू सोच में डूब जाता है, soउनका क्या होगा? आज तक रोजी-रोटी ही अनिश्चित थी, अब रहने का ठिकाना भी अनिश्चित हो रहा है.’’ (पृष्ठ, 9-10) टिहरी बांध बनने के बाद because ‘उसका, उसके परिवार और उनका क्या होगा?’ यह चिंता केवल चैतू की...