उत्तराखंड हलचल

समूह ‘ग’ परीक्षाओं में साक्षात्कार की व्यवस्था समाप्त : मुख्यमंत्री

समूह ‘ग’ परीक्षाओं में साक्षात्कार की व्यवस्था समाप्त : मुख्यमंत्री

नैनीताल
हल्द्वानी में आयोजित रैली में  हजारों युवाओं ने बढ़ चढ़ कर किया प्रतिभाग, सख़्त नकल विरोधी कानून का किया स्वागतहिमांतर ब्यूरो, हल्द्वानीरामलीला मैदान, हल्द्वानी में आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नकल विरोधी कानून लागू करने के उपलक्ष में भारतीय जनता युवा मोर्चा द्वारा आयोजित आभार रैली में प्रतिभाग कर जनसभा को संबोधित किया.उच्च पदों में जहाँ साक्षात्कार आवश्यक हो, जैसे- पी०सी०एस० या अन्य उच्च पद वहां भी साक्षात्कार का प्रतिशत कुल अंकों के 10 प्रतिशत से ज्यादा नहीं रखा जाएगा. साक्षात्कार के अकों को भी पारदर्शी प्रक्रिया के तहत साक्षात्कार में किसी भी अभ्यर्थी को यदि 40 प्रतिशत से कम और 70 प्रतिशत से अधिक दिए जाते हैं तो साक्षात्कार लेने वाले व्यक्ति या बोर्ड को इसका स्पष्ट कारण बताना होगा.श्री सिंह धामी ने इस अवसर पर घोषणा की कि समूह ‘ग’ की कोई भी परीक्षा चाहे वह लोक सेव...
पहली बौंगाणी पत्रिका इज़ाज़ का लोकार्पण

पहली बौंगाणी पत्रिका इज़ाज़ का लोकार्पण

देहरादून
हिमांतर ब्यूरो, देहरादूनपेटारै थियेटर समर वैली स्कूल देहरादून में बौंगाण औंनि बौंगाणी समूह द्वारा बौंगाण के प्रथम लेखक श्री सुरेंद्र सिंह रावत ‘सुराह’ की जयंती पर एक महत्वपूर्ण बौंगाणी खुमळी  (बैठक) आयोजन किया गया. ज्ञातव्य है बौंगाण मोरी तहसील के अंतर्गत टौंस और पब्बर नदियों के बीच पड़ने वाला इलाका है. यहाँ के लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा को बौंगाणी कहते हैं. ये बैठक बौंगाणी भाषा के इतिहास की पहली ऐसी बैठक थी जहाँ इस भाषा के बचाव और उन्नयन का विषय केन्द्र में था और इस बैठक में सिर्फ बौंगाणी लोग ही आमंत्रित थे. बौंगाण औनि बौंगाणी समूह के दो प्रमुख सदस्यों सुनीता मोहन और मंजु रावत 'राधा' द्वारा आये हुए लोगों के स्वागत संबोधन से बैठक की शुरुआत की. "बौंगाण औनि बौंगाणी" समूह द्वारा गत एक वर्ष से बौंगाणी भाषा का जन शब्दकोष तैयार किया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत प्रत्येक दिन बौंगाणी भाषा ...
अनोज सिंह ‘बनाली’ की रवांल्टी कविता संग्रह ‘दुई आखर’ का लोकार्पण

अनोज सिंह ‘बनाली’ की रवांल्टी कविता संग्रह ‘दुई आखर’ का लोकार्पण

उत्तरकाशी
हिमांतर ब्यूरो, बड़कोट, उत्तरकाशीरवांल्टी भाषा में कविता लेखन का सिलसिला निरंतर जारी है. इसी कढ़ी में अनोज सिंह 'बनाली' का हालिया प्रकाशित रवांल्टी कविता संग्रह 'दुई आखर' का लोकार्पण लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार एवं उत्तराखण्ड भाषा संस्थान के सदस्य महावीर रवांल्टा के मुख्य आतिथ्य तथा सेवानिवृत्त अध्यापक एवं गहन अध्येता रूकम सिंह रावत व जिला सहकारी बैंक के पूर्व चेयरमैन जयेन्द्र सिंह रावत के विशिष्ट आतिथ्य में नगर पालिका परिषद् बड़कोट की अध्यक्ष अनुपमा रावत की अध्यक्षता में हिमांतर प्रकाशन के मुखिया शशिमोहन रावत 'रवांल्टा', शैलेश मटियानी पुस्कार से सम्मानित शिक्षक व 'पछ्याण' और  'रवांल्टी अखाण कोश' के लेखक ध्यान सिंह रावत 'ध्यानी', सामाजिक सक्रियता के लिए चर्चित असिता डोभाल व नरेश नौटियाल सहित सामाजिक एवं सा​हित्यिक—सांस्कृतिक गतिविधियों में सक्रियता निभाने वाले बलवंत सिंह पंवार (पूर्व प्र...
मुख्य सचिव ने पिरूल से निर्मित उत्पादों और उपयोगों के लिए मांगे सुझाव

मुख्य सचिव ने पिरूल से निर्मित उत्पादों और उपयोगों के लिए मांगे सुझाव

देहरादून
देहरादून. मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने गुरूवार को सचिवालय में पिरूल से आजीविका सृजन, वैकल्पिक ईंधन आदि के क्षेत्र में कार्य करने के इच्छुक विभिन्न उद्यमियों के साथ विचार विमर्श किया. becauseमुख्य सचिव ने पिरूल से निर्मित अन्य उत्पादों और उपयोगों के लिए सुझाव भी मांगे.ज्योतिष मुख्य सचिव ने वन विभाग को पिरूल कलेक्शन कर रहे स्वयं सहायता समूहों को नियमित भुगतान के लिए व्यवस्था सुनिश्चित किए जाते हुए एक कॉर्पस फंड बनाए जाने के निर्देश दिए, ताकि स्वयं सहायता समूहों के भुगतान में देरी न हो. उन्होंने कहा कि उद्यमियों को शुरुआती सहायता प्रदान किए जाने हेतु पहले 5 सालों में उद्यमियों द्वारा दिए जाने वाले जीएसटी का 70 प्रतिशत सब्सिडी दिए जाने के भी निर्देश दिए. because साथ ही कहा कि इस दिशा में विभिन्न पर्वतीय प्रदेशों में प्रयोग हो रही बेस्ट प्रेक्टिसेज को भी प्रदेश में अपनाया जाए. उन्होंने कह...
गणतंत्र दिवस परेड: उत्तराखंड की झांकी ‘मानसखंड’ को मिला पहला पुरस्कार

गणतंत्र दिवस परेड: उत्तराखंड की झांकी ‘मानसखंड’ को मिला पहला पुरस्कार

देहरादून
टीम लीडर केएस चौहान की मेहनत रंग लाई, अब कर चुके हैं 13 झांकियों का नेतृत्व  देहरादून. गणतंत्र दिवस की परेड में कर्तव्य पथ पर शामिल उत्तराखंड की मानसखंड झांकी को पहला पुरस्कार मिला है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस उपलब्धि के लिए प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि हम सबके लिए गौरवशाली पल है. मुख्यमंत्री ने कहा कि पुराणों में गढ़वाल का केदारखंड और कुमाऊं का मानसखंड के रूप में वर्णन किया गया है. स्कंदपुराण में मानसखंड के बारे में बताया गया है. जागेश्वर मंदिर की बहुत धार्मिक मान्यता है. गणतंत्र दिवस परेड को अभी तक राजपथ के नाम से जाना जाता था, किंतु इस वर्ष उसका नाम बदलकर कर्तव्य पथ रखा गया है. नाम बदलने के बाद कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस की यह. पहली परेड थी, जिसमे उत्तराखंड की झांकी मानसखंड को देश मे प्रथम स्थान मिलने से इतिहास में उत्तराखंड राज्य का नाम दर्ज हो गया है....
अवैज्ञानिक और अनियोजित विकासकार्यों का नतीजा है जोशीमठ भू-धसाव

अवैज्ञानिक और अनियोजित विकासकार्यों का नतीजा है जोशीमठ भू-धसाव

चमोली
उत्तराखंड के जनपद चमोली के सीमांत विकासखंड जोशीमठ में लगातार हो रहे भू-धसाव और भूस्खलन की प्रक्रिया से जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. जोशीमठ नगर भारत सुदूर उत्तर में चीन से सीमा से लगा सबसे पुराना नगर है, जिसका 1500 वर्ष पुराना क्रोनोलॉजिकल इतिहास है. यह नगर भारत की आजादी के बाद के वर्ष 1975 से क्रीपिंग मूवमेंट के साथ ऑली से लेकर अलकनंदा नदी तट के पास स्थित सेमा-कमद गांव के साथ-साथ प्रति वर्ष कुछ सेंटीमीटर अलकनदां में समा रहा है. इस क्षेत्र का 1996-97 से लेकर वर्तमान तक विभिन्न भूगर्भीय एवं पर्यावरणीय अध्ययनों पर कार्य कर रहे जे.पी. मैठाणी, हिमांतर के माध्यम से  जोशीमठ भू-धसाव की कहानी बयां कर रहे हैं- प्रस्तुत है जोशीमठ भू-धसाव पहली कड़ी. फोटोग्राफ- अनुज नंबूदरी, नितिन सेमवाल और जयदीप किशोर. देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को दूरभाष पर ...
मूली की ‘थिचवानी’: एक स्वादिष्ट पहाड़ी व्यंजन 

मूली की ‘थिचवानी’: एक स्वादिष्ट पहाड़ी व्यंजन 

अल्‍मोड़ा, हिमालयन अरोमा
डॉ. मोहन चंद तिवारीअपने गांव जोयूं जब भी जाता हूँ तो मूली की थिच्वानी मुझे बहुत पसंद है. हमारे पड़ोस के गांव मंचौर की मूली की तो बात ही और है. दिल्ली जब आता हूं तो पहाड़ की मूली लाना कभी नहीं भूलता. सर्दियों में तो यह मूली की थिच्वानी स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभकारी है. मूली तो मैदानों की भी बहुत लाभकारी है किंतु पहाड़ों की शलगमनुमा मूली की बात ही कुछ और है. इसमें हिमालय की वनौषधि के गुण समाविष्ट रहते हैं जो मैदानों में कैमिकल खाद से पैदा हुई मूली में नहीं मिलते. हमारे इलाके मंचौर की मूली इस दृष्टि से भी बहुत प्रसिद्ध है कि वहां की ताजी-ताजी मूली मिलती बड़ी मुश्किल से है क्योंकि पैदा ही बहुत कम होती है.आज मैं अपने इस लेख द्वारा पहाड़ी मूली से बनने वाली सब्जी 'थिचवानी' पर कुछ जानकारी शेयर करना चाहुंगा.कुमाऊं के स्थानीय व्यंजनों में एक स्थानीय कहावत है मनुवौ रवॉट, झुंगरौ भात, मुअकि थेच...
पिंक प्लाजो नहीं, परंपरागत परिधान में दिखी महिलाएं

पिंक प्लाजो नहीं, परंपरागत परिधान में दिखी महिलाएं

हरिद्वार
हिमांतर ब्यूरो, हरिद्वारजब अपने गांव से दूर दूसरे शहर में रहते हैं, तो हम अपने बार-त्योहार और संस्कृति से भी दूर हो जाते हैं. हालांकि, किसी ना किसी रूप में हम गांव से जुड़े तो रहते हैं. लेकिन, शहरों में नौकरी की मजबूरी और दो वक्त की रोटी के लिए अक्सर व्यस्त रहते हैं और इस व्यस्तता के बीच यह भी भूल जाते हैं कि जिस शहर में हम रह रहे हैं, वहां मेरे गांव, गांव के पास के दूसरे गांव के लोग भी रहते हैं.इनमें कुछ नौकरी में साथ हैं. कुछ दूसरे विभागों में तैनात हैं. कुछ का रोज मिलना हो जाता है, जबकि कुछ चाहकर भी एक-दूसरे से मिल पाते हैं. इसी दूरी को मिटाने के लिए हरिद्वार में रह रहे राष्ट्रीय युवा पुरस्कार विजेता उत्तरकारी जिले के नौगांव ब्लॉक की बनाल पट्टी के रचनात्मक शिक्षक दिनेश रावत भी शिक्षा विभाग में तैनात हैं. उनकी पत्नी भी यहीं पुलिस विभाग में कार्यरत हैं. दिनेश रावत ने हमेशा की तरह ...
दादी के कैनवास से शुरू हुई पेटिंग की शुरुआत…

दादी के कैनवास से शुरू हुई पेटिंग की शुरुआत…

उत्तरकाशी
आशिता डोभाल उत्तराखंड देवभूमि ऋषिमुनियों की तपस्थली होने के साथ साथ मां गंगा-यमुना का उद्गम स्थल ही नही बल्कि कुछ ऐसे साधकों की जन्मभूमि और कर्मभूमि भी है जो आज इक्कसवीं सदी में भी अपनी थाती माटी प्रेम से ओत प्रोत होकर सिर्फ यहां को संस्कृति और कला को देश दुनिया में पहचान दिला रहे हैं, उन साधकों में एक नाम है मुकुल बडोनी, जो मूल रूप से कांदला बड़ेथी चिन्यालीसौड़ के एक साधारण परिवार में जन्मे हैं, जिनके पिता एक निजी स्कूल में प्रधानाचार्य हैं और माताजी कुशल गृहणी. विद्यार्थी जीवन में अव्वल रहने वाला मुकुल हमेशा अध्यापकों के चहेते विद्यार्थियों में रहता था. स्नातकोत्तर चित्रकला से करने के बाद बीएड किया व तत्पश्चात पिट्स बीएड कॉलेज उत्तरकाशी में चित्रकला प्रशिक्षक के रूप में तैनात हैं.मुकुल बताते हैं कि अपनी थाती और माटी से जो उन्हे लगाव हुआ उसमे उनके परिवार का विशेष सहयोग रहा. घर मे...
जोशीमठ भू-धंसाव : इस स्थिति के लिए आखिर कौन जिम्मेदार?

जोशीमठ भू-धंसाव : इस स्थिति के लिए आखिर कौन जिम्मेदार?

चमोली
जोशीमठ में भू-धंसान की त्रासदी को राष्ट्रीय आपदा घोषित की जाए!डॉ. मोहन चंद तिवारीधार्मिक,पौराणिक एवं ऐतिहासिक नगर जोशीमठ भू-धंसाव के कारण इस साल की सबसे बड़ी त्रासदी झेल रहा है. उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में भू-धसाव की त्रासदी को लेकर हर तरफ चिंता है. जोशीमठ के डीएम ने बताया है कि नगर में कुल 561 भवनों में दरार आई है. साथ ही दो बहुमंजिला होटलों के खतरे की जद में आए पांच भवन खाली कराए गए हैं. उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट सिनोप्सिस (उदास) की रिपोर्ट के अनुसार, भी जोशीमठ में 500 घर रहने के लायक नहीं हैं. जोशी मठ की ग्राउंड जीरो से मिली मीडिया रिपोर्टों के आधार पर कहा जा सकता है कि जोशीमठ में भू-धंसाव किसी बड़ी अनहोनी की ओर इशारा कर रहा है. इस ऐतिहासिक शहर में पड़ी दरारें, इस बात की गवाह हैं कि हालात ठीक नहीं. वहीं प्रशासन के राहत बचाव कार्य संतोष जनक नहीं हैं, जिससे प्रभावितों को ...