Author: Himantar

हिमालय की धरोहर को समेटने का लघु प्रयास
क्या हैं चावल से जुड़ी मान्यताएं व रस्में…

क्या हैं चावल से जुड़ी मान्यताएं व रस्में…

ट्रैवलॉग
देहरादून के बासमती चावल की दुनियाभर में रही है धाक! मंजू दिल से… भाग-20 मंजू काला आज धानेर खेते रोद्र छाया लुको चोरी खेला  रे भयी लुको चोरी खेला रे! (ठाकुर जी का रविंद्र संगीत) प्राचीन समय से ही भारतीय थाली में दाल और चावल परोसने की परंपरा रही है. चावल की दुनियाभर में तकरीबन चालीस हजार से ज्यादा किस्में हैं. चावल के उत्पादन में भारत दूसरे स्थान पर है. बहुत पहले विश्वभर में धान जंगली रूप में उगता था, लेकिन खुशबू तथा स्वाद के चलते चावल के किस्से मशहूर होने लगे. ढेरों किस्सों-कहानियों because से रूबरू करवाने वाले चावल की नस्लों को सहेजने के लिए फिलीपींस में एक जीन बैंक भी है. फिलीपींस का ही बनाऊ चावल खेती के लिए आठवें आश्चर्य की तरह देखा जाता है. रोचक बात यह भी है कि यहां टेरेस फॉर्मिंग जैसी जगह है, जहां समुद्र तल से 3,000 फीट की ऊंचाई पर हजारों साल पुराने खेत हैं, जहां पहाड़िय...
जगमोहन बंगाणी: चित्रकारी में शब्दों का जादूगर…

जगमोहन बंगाणी: चित्रकारी में शब्दों का जादूगर…

कला-रंगमंच
प्रकाश उप्रेती उत्तराखंड का एक छोटा सा गाँव मौंडा है. यह हिमाचल और उत्तराखंड के बॉर्डर पर स्थित है. एक तरह से उत्तरकाशी जिले का अंतिम छोर . मौंडा गाँव से एक लड़का कला (आर्ट) का पीछा because करते-करते देहरादून, दिल्ली होते हुए लंदन तक पहुँच जाता है. जिस दौर में इस लड़के ने कला का पीछा किया उस दौर में पहाड़ के ज्यादातर लड़कों की दौड़ सड़क से शुरू होकर सेना तक पहुँचती थी. इसलिए लंदन से लौटने पर उसके पिता ने भी उससे पूछा- बेटा विदेश से आ गया है... ये बता कोई सरकारी नौकरी इस पढ़ाई से लगेगी कि नहीं ? पहाड़ के हर पिता की चिंता अपने बेटे के लिए एक अदत सरकारी नौकरी की होती थी. ज्योतिष वह नहीं जानते थे कि उनका लड़का जो कर रहा है उसमें वह सरकारी नौकरी की दौड़ से बहुत दूर अपनी दुनिया में चला गया है. उसकी दुनिया, रंगों की दुनिया है. उसकी दुनिया because भविष्य को रेखाओं के माध्यम से रचने की दुनिया है. उ...
उत्तराखंड एडवेंचर फेस्ट का आगाज

उत्तराखंड एडवेंचर फेस्ट का आगाज

देहरादून
फेस्ट में लगे विभिन्न स्टॉलों में साहसिक पर्यटन की दी जा रही जानकारी हिमांतर ब्यूरो, देहरादून देवभूमि उत्तराखंड में साहसिक खेलों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित दो दिवसीय उत्तराखंड एडवेंचर फेस्ट का रविवार को आगाज हो गया. दो दिवसीय फेस्ट में माननीय डॉ. हरक सिंह रावत, पर्यावरण एवं वन मंत्री उत्तराखण्ड सरकार ने साहसिक खेलों की अपार संभावना और रोजगार के अवसर समेत विभिन्न मुद्दों पर विशेषज्ञों के साथ विस्तार से चर्चा की. वहीं इस मौके पर वन मंत्री ने माउंटिंग संबंधित सेवाओं के लिए सिंगल विंडो सिस्टम का शुभारंभ भी किया गया. मसूरी रोड, मालसी में उत्तराखण्ड पर्यटन की ओर से फिक्की (एफएलओ) के सहयोग से 26 और 27 सितंबर को उत्तराखंड एडवेंचर फेस्ट का आयोजन किया जा रहा है. फेस्ट में राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग, माउंटेन बाइकिंग, हॉट एयर बलून, कैंपनिंग, आइसकिंग, कयाकिंग समेत स्थानीय व्यंजन के स्टॉ...
पितृपूजा: वैदिक धर्म की विराट ब्रह्मांडीय अवधारणा

पितृपूजा: वैदिक धर्म की विराट ब्रह्मांडीय अवधारणा

लोक पर्व-त्योहार
पितृपक्ष: धर्मशास्त्रीय विवेचन-2 डॉ. मोहनचंद तिवारी मैंने पिछले लेख में भारतीय काल गणना के अनुसार पितृपक्ष के बारे में बताया था कि धर्मशात्र के ग्रन्थ  ‘निर्णयसिन्धु’ के अनुसार आषाढी कृष्ण अमावस्या से पांच पक्षों के because बाद आने वाले पितृपक्ष में जब सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करता है तब पितर जन क्लिष्ट होते हुए अपने पृथ्वीलोक में रहने वाले वंशजों से प्रतिदिन अन्न जल पाने की इच्छा रखते हैं- “आषाढीमवधिं कृत्वा पंचमं because पक्षमाश्रिताः. कांक्षन्ति because पितरःक्लिष्टा अन्नमप्यन्वहं because जलम् ..” ज्योतिष यानी आश्विन मास के पितृपक्ष में पितरों को यह आशा रहती है कि हमारे पुत्र-पौत्रादि हमें पिण्डदान तथा तिलांजलि देकर संतुष्ट करेंगे. इसी इच्छा को लेकर वे पितृलोक से पृथ्वीलोक में because आते हैं. पितृपक्ष में यदि पितरों को पिण्डदान या तिलांजलि नहीं मिलती है तो वे पितर निरा...
दुर्गा मैडम

दुर्गा मैडम

किस्से-कहानियां
राजू पाण्डेय दुर्गा मैडम का स्कूल में पहला दिन था, अब गाँव के प्राइमरी स्कूल में दो अध्यापक हो गये थे, दूसरे मासाब लोहाघाट से रोज बाइक में आते थे, दुर्गा मैडम मासाब को कह रही थी, because मासाब आप तो पुराने हो यहां मुझे गांव में ही कमरा दिला दीजिये कोई. अरे मैडम! क्या आप भी, मैं रोज आता because हूँ लोहाघाट से बाइक में पीछे वाली सीट खाली रहती है आप आ जाना साथ में, वहां दिला दूँगा कमरा आपको, गांव में क्या रखा है? ज्योतिष अरे नहीं सर मुझे गांव ही अच्छा because लगता है रोज रोज की ये दौड़ नहीं होगी मुझसे, आप छुट्टी के बाद चलियेगा मेरे साथ कोई दे देगा एक कमरा. कुछ नहीं रखा मैडम यहां बोर हो जाओगी because छुट्टी के बाद, वहां रौनक रहती है बहुत सारे स्टाफ के लोग रहते है, और एक से एक प्राइवेट स्कूल भी हैं वहां बच्चों को पढ़ाने के लिए. नहीं सर मुझे आदत है गांव की, यहीं रहूँगी. ज्योतिष छुट्टी ...
भारत की जोन ऑफ आर्क सुशीला दीदी

भारत की जोन ऑफ आर्क सुशीला दीदी

स्मृति-शेष
सुनीता भट्ट पैन्यूली मैं स्त्री-स्वभाव वश स्त्रियों की because अभिरुचि, विचार, स्वभाव, आचरण, राष्ट्रीय विकास में उनके योगदान, उन्नयन का अध्यन करते-करते भारत के  स्वतंत्रता संग्राम के क्रान्तिकारी वीरों के बलिदान से संबद्ध उस इतिहास के पन्ने पर पहुंच गयी हूं जहां उनका साथ देने वाली महिला क्रांतिकारियों के बारे में शायद ही हम में से किसी को पता है. ज्योतिष दिल्ली में फतेहपुरी से चांदनी because चौक, घंटाघर तक जाने वाली सड़क का नाम 'सुशीला मोहन मार्ग' है किंतु सुशीला मोहन कौन शख़्शियत हैं शायद ही बहुत से लोगों को पता हो? ज्योतिष इतिहास अगर मार्गदर्शक और सचेत रहा है देश की स्वाधीनता में अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाली वीरांगनाओं के प्रति तो निश्चित ही उन महान महिला क्रांतिकारी विभूतियों की यश-गाथा किसी न because किसी रुप में हम  सभी तक पहुंचनी चाहिए. स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं के ब...
रात है, ढल जाएगी

रात है, ढल जाएगी

कविताएं
अल्फ़ाज़ बहुत वीरान है, रात है, ढल जाएगी, आफ़त है, क़यामत because है, टल जाएगी. खौफ़ का दरिया because उबाल मार रहा है, किनारा कोई न because नजर आ रहा है. है विश्वास भरा because हौसलों के सागर में, तूफान में किश्ती because मेरी संभल जाएगी. बहुत वीरान है, because रात है, ढल जाएगी, आफ़त है, क़यामत है, because टल जाएगी. ज्योतिष माना कि because दुबक रहा है, सिसक रहा है, वक्त बुरा है मुश्किलों because से गुजर रहा है, सफर में हूं मगरbecause राह से अनजान हूं, मंजिल है, सब्र because करो मिल जाएगी. बहुत वीरान है, रात है, because ढल जाएगी, आफ़त है, क़यामत है, because टल जाएगी. ज्योतिष इंसान भी because तो हूं, बेबस हो जाता हूं, कभी अपनी परछाइ से because डर जाता हूं कभी बुराई से भिड़-लड़ because जाता हूं, ईमान में रहो, जिन्दगी because संभल जाएगी बहुत वीरान है, रात है, because ढल जाएगी, ...
भारतीय गौरव अवार्ड—2021 से सम्मानित होंगी उत्तराखंड की बेटी

भारतीय गौरव अवार्ड—2021 से सम्मानित होंगी उत्तराखंड की बेटी

साहित्यिक-हलचल
रामेश्वरी नादान को दिल्ली में उत्कृष्ट लेखन के लिए इस सम्मान से नवाजा जाएगा हिमांतर ब्यूरो, नई दिल्ली यूथ वर्ल्ड सोशल मंच और डिकेएसडी लाड़ली नूर कपूर फाउंडेशन दिल्ली द्वारा कला, साहित्य, शिक्षा, चिकित्सा सहित के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के की 101 प्रतिभाओ को because 'भारतीय गौरव अवार्ड—2021' से सम्मानित करने जा रहा है. समारोह का आयोजन दिल्ली के लाजपत भवन में 27 अक्टूबर, 2021को किया जाएगा. वही यूथ वर्ल्ड सोशल मीडिया मैत्री सम्मेलन का आयोजन भी किया जा रहा है, जिसमे सोशल मीडिया के सकारात्मक पहलुओं पर चर्चा की जाएगी. ज्योतिष यूथ वर्ल्ड सोशल मंच के नेशनल एडवाइजर because डॉ. सुरेन्द्र गोयल ने बताया की मंच द्वारा दिल्ली में आयोजित होने वाले इस भव्य समारोह में गाजियाबाद से लेखिका और कवियत्री रामेश्वरी नादान के नाम का चयन भी किया गया है और उन्हें इस आयोजन मे...
सराद बाबू का…

सराद बाबू का…

किस्से-कहानियां
नीमा पाठक इस साल बचुली बूबू दो तीन महीनों के लिए अपने मैत आई थी. कितना कुछ बदल गया था पहाड़ में अब हरे भरे ऊँचे पहाड़ भी जगह  जगह उधरे पड़े थे. पहाड़ों के बीच में because गगन चुम्बी बिजली या मोबाईल के टावर खड़े थे. जंगल में चरती गाएँ भी अब कहीं नजर नहीं आ रही थीं. खेत भी या तो बंजर थे जिनमें जंगली घास उग आई थी या फिर ‘बरसीम घास’ चारे के लिए बो दी गई थी. बचुली बूबू को याद आने लगे अपने पुराने दिन जब बाबू बड़बाज्यू का श्राद्ध करते थे कितनी because तैयारी होती थी, पहले दिन से ही पंडित जी को याद दिला दी जाती थी, आस पास की बहन बेटियों को निमंत्रण दिया जाता था, बिरादरी के लोग तो आते ही थे. ज्योतिष अनाज बोना तो छोड़ ही दिया था लोगों ने क्योंकि सरकार की तरफ से किसी वर्ग को मुफ्त में और किसी को नाममात्र की कीमत पर अनाज बंट रहा था. कौन मूर्ख होगा जो खेतों में because काम करेगा, उसके लिए बैल पालेग...
पितृपक्ष: आखिर इस बार 17 दिनों के क्यों हुए श्राद्ध

पितृपक्ष: आखिर इस बार 17 दिनों के क्यों हुए श्राद्ध

लोक पर्व-त्योहार
पितृपक्ष में श्राद्ध एक धर्मशास्त्रीय विवेचन डॉ. मोहन चंद तिवारी इस साल पितृपक्ष सोमवार 20 सितंबर से प्रारम्भ हो चुका है और 6 अक्टूबर को समाप्त होगा. पितृपक्ष अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में आता है. इसकी शुरुआत पूर्णिमा तिथि से होती है, जबकि because समाप्ति अमावस्या पर होती है. आमतौर पर पितृपक्ष 16 दिनों का होता है, लेकिन इस साल तिथि के एक दिन बढ़ जाने से यह 17 दिनों का हो गया है. 26 सितंबर को श्राद्ध तिथि का अभाव होने से इस दिन श्राद्ध नहीं होगा. इस प्रकार श्राद्ध की तिथि बढ़ने से इस बार एक नवरात्र भी कम हो गया है इस बार पितृपक्ष की तिथिवार श्राद्ध की स्थिति इस प्रकार है- ज्योतिष 20 सितंबर को पूर्णिमा श्राद्ध 21 सितंबर because को प्रतिपदा श्राद्ध 22 सितंबर because को द्वितीया श्राद्ध 23 सितंबर because को तृतीया श्राद्ध 24 सितंबर because को चतुर्थी श्राद्ध 25 सितंबर को पंचमी श...