देहरादून: उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने कहा कि पुरोला से विधायक दुर्गेश्वर लाल को भाजपा सरकार में मंत्री ने अपशब्द कह कर प्रताड़ित किया, जो कि भाजपा की दलितों के प्रति मानसिकता का परिचायक है। इस बीच पार्टी ने विधायक को तलब किया, जिसके बाद विधायक ने बयान दिया कि यह उनके घर का मामला है।
उत्तराखण्ड विकास पार्टी ने कहा कि विधायक जनता का प्रतिनिधि है, और कोई अधिकारी जनता को प्रताड़ित कर रहा है तो उसका फौरन तबादला हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब भाजपा सरकार बिना जॉच के पीसीएस अधिकारी बर्नवाल और आइएएस जोगदंडे आदि अधिकारियों का तबादला कर सकती है, तो आईएफएस अधिकारियों के तबादले पर वन मंत्री का दबाव बनाना बताता है कि जनता और विधायक को प्रताड़ित करने में वन मंत्री का सीधा हाथ है।
जब हॉफ जॉच में अधिकारी को सस्पेंड करने की बात कर रहे थे तब वन मंत्री द्वारा मना किया जाना बताता है कि अंदर खाने मूल निवासियों के हक हकूकों पर डाका डाला जा रहा है, पद पर रहते हुए अधिकारी के खिलाफ कौन कर्मचारी बयान देगा। स्पष्ट है कि जॉच के नाम पर खानापूर्ति की जा रही थी।
उविपा के अध्यक्ष मुजीब नैथानी ने कहा कि कुछ दिन पहले वायरल हुए वीडियो में वन मंत्री ने हाईकोर्ट तक को अपशब्द कहे , इससे पहले बेरोजगारों को भी अपशब्द कह कर भगा दिया था व हल्द्वानी के एक व्यवसायी ने इसी व्यवहार से दुखी होकर भाजपा कार्यालय में इनके सामने ही जहर पी कर अपनी जान दे दी थी।
इतना सब हो जाने के बावजूद भाजपा नैतिकता के आधार पर भी वन मंत्री से इस्तीफा नहीं मांग पा रही है , तो यही प्रतीत होता है कि मूल निवासियों के हक हकूकों पर मोदी सरकार में डाला डलवाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों से कॉर्बेट नेशनल पार्क के बफर जोन में रहने वाले मूल निवासियों के हक हकूक भी बहाने बना कर नहीं दिए जा रहे हैं, जो कि वाकई चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार मूल निवासियों के हक हकूकों को इसी प्रकार धीरे धीरे खत्म कर रही है ताकि जनता को पता चलने तक चिड़िया खेत चुग जाए।