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गमला संस्कृति के बीच उपजते पर्यावरण के सवाल

गमला संस्कृति के बीच उपजते पर्यावरण के सवाल

पर्यावरण
विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष प्रकाश उप्रेती असिस्टेंट प्रोफेसर, पीजीडीएवी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय भारत को अपनी समस्याओं से पार पाने और उनके उत्तर तलाशने के लिए बार-बार गांधी की तरफ लौटना ही होगा। आने वाले कई वर्षों तक गांधी न तो राजनीति में अप्रासंगिक हो सकते हैं न ही समाजविज्ञान में। आगत समय के संकटों को लेकर उनकी चिंता और चिंतन किसी कुशल समाजशास्त्रीय से भी महत्वपूर्ण नज़र आते हैं। ‘पर्यावरण’ शब्द का प्रयोग भले ही गांधी के चिंतन में न हो लेकिन उन्होंने इन सब समस्याओं पर चिंता और चिंतन किया है जिन्हें आज पर्यावरण के तहत देखा जाता है। गाँधी की दृष्टि एकदम साफ थी वह पर्यावरण -दोहन के खिलाफ थे।  साथ ही उनका विरोध आधुनिक ‘गमला संस्कृति’ से भी था । गांधी के लिए ‘पर्यावरण’ जीवन से अलग नहीं था । वह इसे ‘नैतिक चेतना’ से जोड़ने पर बल देते थे, संयम, स्वावलंबन, संरक्षण और स्वच्छता उसी चेतना क...